अंजली शर्मा / कन्नौज. कन्नौज में किसान आलू की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. लगभग जिले में 55000 हेक्टेयर एरिया में किसान आलू की फसल करते हैं और उसके बाद यहां पर मक्का की फसल बड़े पैमाने पर की जाती है, लेकिन इन फसलों को अच्छे उर्वरक मिल सके इसके लिए किसानों को बहुत सजग रहने की जरूरत रहती है. जहां पर कुछ फसलों की विशेष पैदावार की मात्रा ज्यादा होती है, वहां पर कई तरह की समस्या की संभावना भी ज्यादा होती है. जिला कृषि अधिकारी आवेश कुमार बताते हैं कि किसान उर्वरकों में बहुत सावधानी बरतें. अगर गलत उर्वरक फसलों में पड़ गया, तो वह फसलों को खराब कर सकता है. चार प्रमुख उर्वरक होते हैं यूरिया, डीएपी, एनपीके और पोटाश इनको पहचानना थोड़ी सी सावधानी से बहुत आसान हो जाता है.
कैसे पहचानें यूरिया
कृषि अधिकारी बताते हैं कि यूरिया के दाने चमकदार होते हैं, जो पानी में घुल जाते हैं. वहीं यूरिया को पहचानने का सबसे आसान तरीका यह होता है कि वह हाथ में लगने के बाद बहुत ठंडक देता है और गर्म करने पर यह दाने गल जाते हैं.
डीएपी को कैसे पहचानें
डीएपी एक ऐसा उर्वरक होता है, जिसमें नकली होने की बहुत संभावना रहती है. क्योंकि इसमें पैकिंग नहीं होती. दूसरी चीज की पैकिंग कर इसमें गलत चीज की रिपैकिंग की जा सकती है. डीएपी में री-पैकिंग में खेल किया जाता है. डीएपी के दाने काले भूरे होते हैं या पूरे काले भी होते हैं. हाथ में खाने वाले चूने के साथ इसको रगड़ा जाए तो उसमें इतनी तेज गंध आती है जिसको सूंघना भी मुश्किल हो जाता है. वहीं डीएपी के दानों को गर्म आंच पर रखने पर वह फूल जाते हैं.
कैसे पहचानें एनपीके
एनपीके नाम के उर्वरक को पहचानना बहुत ही आसान रहता है. इसके दाने गर्म करने पर फूलते नहीं. इसके दाने देखने में बिल्कुल डीएपी की तरह ही काले भूरे या फिर पूरे काले होते हैं.
कैसे पहचानें पोटाश
इस उर्वरक के दाने चमकीले होते हैं. वहीं इसको जब पानी में घोला जाता है, तो इसकी चमक पानी के ऊपर आ जाती है. जिससे इसको बहुत ही आसान तरीके से पहचाना जा सकता है.
क्या बोले कृषि अधिकारी
जिला कृषि अधिकारी आवेश कुमार ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि कन्नौज में आलू की पैदावार किसान बड़े पैमाने पर करता है, ऐसे में उसको उर्वरक की भी आवश्यकता होती है. कई जगह से शिकायत मिलती है कि उर्वरक सही नहीं मिल रहा है. ऐसे में कुछ सावधानियां बरत कर किसान उर्वरक को अच्छे से पहचान सकते हैं. सबसे पहले किसानों को उर्वरक रजिस्टर्ड दुकानों से ही लेने चाहिए. जहां पर अंगूठा लगवाकर रसीद भी मिले, इसके बाद यूरिया, डीएपी और एनपीके, पोटाश में कुछ छोटी-छोटी सावधानियां बरतकर उनको पहचाना जा सकता है. इन सभी में डीएपी में सबसे ज्यादा डुप्लीकेट होने की संभावना रहती है. क्योंकि इसमें री पैकिंग करके लोग इसमें गड़बड़ करते हैं.
Tags: Hindi news, Local18, UP news
FIRST PUBLISHED : December 10, 2024, 13:53 IST
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