पर्थ में पहले टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 52 गेंद में दो रन बनाए जबकि दूसरी पारी में जसप्रीत बुमराह की शानदार गेंद पर 2 रन बनाकर LBW हुए. टीम में अपनी जगह को लेकर हो रही आलोचना को नजरअंदाज करते हुए लाबुशेन ने अपनी बल्लेबाजी पर काम किया और दूसरे टेस्ट में उन्हें इसका फायदा मिला. उन्होंने गुलाबी गेंद के दूसरे टेस्ट में बुमराह और उनके साथियों के बेहद दबाव बनाने के बावजूद रन बनाने का तरीका ढूंढ लिया.
लाबुशेन ने ‘क्रिकेट.कॉम.एयू’ से कहा, ‘‘पर्थ टेस्ट के अंत तक मुझे पता था कि मैं गेंद की तरफ मूव नहीं कर रहा हूं. मैं जिस तरह खेल रहा था उसे लेकर मुझे काफी चीजें पसंद नहीं थी. इसका पॉजिटिव प्वाइंट यह था कि मैं जिस तरह खेल रहा था और मेरी जो तकनीक थी उसके बावजूद मैं लगभग 60 गेंद खेलने में सफल रहा. मुझे हल ढूंढने की अपनी ताकत पर भरोसा था. मैंने पूरे हफ्ते प्रयास किया और अलग अलग चीजों पर काम किया, पता करने की कोशिश की कि यह काम कर रही है या नहीं. इसमें बदलाव करता रहा जब तक कि मुझे वह नहीं मिल गया जिसकी जरूरत थी.’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘10 दिन के ब्रेक का मतलब था गेंद को फिर से बल्ले के बीच से खेलने की कोशिश करना, गेंद की लाइन में अच्छी तरह से आना और यह पता लगाना कि मैं कहां चूक रहा हूं. मैं नौ दिन तक लगातार बल्लेबाजी कर रहा था, बस उस स्थिति में वापस आने का रास्ता खोज रहा था जहां मैं पहुंचना चाहता था. वह जर्नी थी जिसकी शुरुआत मैंने मंगलवार को की थी और मैं यह सुनिश्चित करना चाहता था कि जब मैं एडीलेड पहुंचू तो मैं इस स्थिति में रहूं कि मैं इस पर भरोसा कर सकूं और मैदान पर जाकर खेल सकूं.’’
Tags: India vs Australia, Marnus Labuschagne
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