पराली से खाद तैयार कर रहे किसान योगेंद्र कुमार ने लोकल 18 से बातचीत में बताया की 8 सालों से जैविक खेती पर काम कर रहे हैं. पराली अवशेष प्रबंध पर विशेष जोर दे रहे हैं. अक्सर किसान पराली को अपने खेतों में जला देते हैं. इससे किसानों को बहुत हानि होती है. ज़ब भी पराली को जलाया जाता है, उससे नीचे मौजूद सूक्ष्म जीवाणुओं की मृत्यु हो जाती है और जमीन भी बंजर हो जाती है. पराली जलाने के बाद किसान कितना भी पोषक तत्व का उपयोग करें, लेकिन पैदावार नहीं होती है.
डी-कम्पोजर का करें इस्तेमाल
योगेंद्र ने बताया कि कृषि विभाग की ओर से उपलब्ध कराया जा डी-कम्पोजर खास है. यह देशी गाय के गोबर से बनाया जीवाणु है. इसका छिड़काव फसल के अवशेष पर करते हैं. पराली में कार्बन पाया जाता है. वर्तमान समय में खेतों में कार्बन की मात्रा कम हो गई है. यह एक प्रतिशत की बजाय महज 0.25 प्रतिशत रह गया है. जिस वजह से पैदावार प्रभावित हो रही है.
इन चीजों का करें इस्तेमाल
उन्होंने बताया कि 200 लीटर वेस्ट कम्पोजर बनाने के लिए 2 किलो सरसो की खली को मिला देते हैं. 3 दिन बाद पराली या गोबर के ढ़ेर पर इसका छिड़काव कर दें. इसके बाद पराली को टुकड़ा-टुकड़ा मिलाकर गोबर में मिला देंगे. 40 दिनों के बाद खाद बनकर तैयार हो जाएगा. खास बात यह है कि इससे मिट्टी को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा और जीवाणुओं की संख्या भी बढ़ेगी.
Tags: Agriculture, Local18, Mirzapur news, UP news
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