शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेता व पंजाब के पूर्व डिप्टी CM सुखबीर बादल पर गोल्डन टेंपल के बाहर दर्शनी ड्योढ़ी पर फायरिंग हुई। खालिस्तानी आतंकी नारायण सिंह चौड़ा ने पॉइंट ब्लैंक रेंज से सुखबीर बादल को निशाना बनाया।
हालांकि, इस हमले में सुखबीर बादल बाल-बाल बच गए। चौड़ा ने उन्हें खालिस्तानी आतंकियों के पुराने ढंग से ही निशाना बनाने की कोशिश की है। इससे पहले भी ठीक इसी स्टाइल में खालिस्तानी आतंकी एक पूर्व DIG और कई हिंदू नेताओं को शिकार बना चुके हैं।
पहले 3 तस्वीरों में देखिए सुखबीर बादल पर हमले का घटनाक्रम…
आरोपी गोल्डन टेंपल के भीतर जाने के बहाने धीरे-धीरे चलते हुए आया। गेट के पास ही सुखबीर बादल बैठे हुए हैं।
सुखबीर बादल के करीब पहुंचते ही उसने जैकेट के भीतर से पिस्टल निकाली।
पिस्टल निकालते ही सुखबीर बादल के साथ खड़े सुरक्षाकर्मी ने उसका हाथ ऊपर की ओर उठा दिया, और गोली दीवार पर जा लगी। तुरंत ही बादल के अन्य सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें घेरे में ले लिया।
अब जानिए, कब-कब खालिस्तानी आतंकियों ने इसी तरह हत्याएं कीं…
गोल्डन टेंपल में DIG अटवाल को गोली मारी 41 साल पहले, 25 अप्रैल 1983 को सुबह 11:10 बजे गोल्डन टेंपल में इसी जगह एक घटना हुई थी, जिसमें IPS ऑफिसर तत्कालीन जालंधर रेंज के DIG एएस अटवाल को पॉइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारी गई थी। स्वर्ण मंदिर में प्रार्थना करने के बाद वह बाहर निकल रहे थे।
तभी एक अज्ञात व्यक्ति ने उन पर गोली चला दी, इसमें DIG अटवाल की मौत हो गई। इस हमले में अमृतसर के रहने वाले कुलविंदर सिंह और 11 वर्षीय वरिंदरजीत सिंह भी घायल हुए थे। वरिंदरजीत की बाद में मौत हो गई, जबकि कुलविंदर गंभीर रूप से घायल थे।
DGP बोले- 2 घंटे तक पड़ा रहा था DIG का शव इसके बाद तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री पीसी सेठी ने संसद में बताया था कि DIG अटवाल को दरबार साहिब के मुख्य प्रवेश द्वार के पास गोली मारी गई। हमलावर कथित तौर पर दरबार साहिब के अंदर से आया था और फायरिंग के बाद वापस वहीं चला गया।
वहीं, पंजाब के पूर्व DGP केपीएस गिल के अनुसार, “दुकानदारों ने अपने शटर गिरा दिए, और कोई भी DIG के शव के पास जाने की हिम्मत नहीं कर पाया। हत्यारों ने शव के पास भांगड़ा किया और फिर मंदिर में लौट गए। अटवाल का शरीर लगभग 2 घंटे तक मंदिर के मुख्य द्वार पर पड़ा रहा।”
RSS नेता जगदीश गगनेजा। इनकी हत्या खालिस्तानी आतंकियों ने की थी। – फाइल फोटो
RSS नेता की लुधियाना में हुई थी हत्या करीब 8 साल पहले 2016 में लुधियाना में इसी स्टाइल से 2 बाइक सवार खालिस्तानी आतंकियों ने 60 वर्षीय RSS नेता रविंदर गोसाईं और 2017 में रिटायर ब्रिगेडियर व RSS नेता जगदीश गगनेजा की हत्या की थी। इन दोनों मामलों में हमलावर अचानक सामने आए थे और पॉइंट ब्लैंक रेंज से गोलियां मारीं। जब इस मामले की जांच हुई तो तार पाकिस्तान से होते हुए यूरोप और जर्मनी तक जुड़े थे।
टारगेट किलिंग में 9 लोगों की जान गई पंजाब में 2016 से 2017 तक कुल 9 लोगों की टारगेट किलिंग में हत्या हुई थी। इसमें कुछ राजनीतिक और धार्मिक नेता शामिल थे। जब इन मामलों की जांच हुई तो एक बात सामने आई थी कि आरोपियों ने विभिन्न जगहों पर बाइक चोरी की वारदातों को अंजाम दिया। सारी वारदातों में मोबाइल फोन का उपयोग नहीं किया।
वहीं, इन वारदातों में हथियार बाहर से आए। हत्या करने वाले लोग वारदातों को अंजाम देने के बाद दुबई चले गए थे। पुलिस ने इस मामले में सबसे पहले UK के नागरिक जग्गी जोहल को काबू किया था। उसे टारगेट किलिंग में आरोपी बनाया था।
NIA को सौंपी जांच फिर हरदीप सिंह शेरा, रमनदीप सिंह उर्फ कैनेडियन को काबू किया था। ये मामले कई थानों में दर्ज हैं। हालांकि, इन मामलों की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कर रही है।
NIA के मुताबिक, इन मामलों में हरमीत सिंह पीएचडी, हरदीप सिंह शेरा, रमनदीप सिंह उर्फ कैनेडियन, अनिल कुमार उर्फ काला, धमेंद्र सिंह, गुरजिदंर सिंह उर्फ शास्त्री, गुरशरनवीर सिंह और गुरजंट शामिल थे। इनमें से शास्त्री, पीएचडी और गुरशनरवीर सिंह को भगोड़ा घोषित किया गया था।
अमृतसर में गोपाल मंदिर के पास प्रदर्शन करते हुए सुधीर सूरी को गोली मारी गई थी।
अमृतसर में हिंदू नेता सूरी की भी इसी तरह हुई थी हत्या दिसंबर 2022 में अमृतसर में मंदिर के बाहर प्रदर्शन करते समय हिंदू नेता सुधीर सूरी की हत्या हुई थी। सुधीर सूरी की हत्या करने वाला सांसद अमृतपाल सिंह से प्रभावित खालिस्तानी सोच रखने वाला संदीप सिंह था।
सरेआम सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में संदीप ने पॉइंट ब्लैंक रेंज से सुधीर सूरी पर गोलियां बरसाई थीं। इससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई थी। हालांकि, संदीप को पुलिस ने पकड़ लिया था। वह अब तक जेल में है।
पूर्व CM पर बम से हुआ हमला इसके बाद 1995 में कांग्रेस नेता व राज्य के तत्कालीन CM बेअंत सिंह की चंडीगढ़ में सचिवालय से निकलकर कार में बैठते समय हत्या की गई थी। उन्हें पंजाब पुलिस के जवान दिलावर सिंह बब्बर ने बम से उड़ा दिया था। इस घटना में कुल 17 लोगों की जान गई थी। इसके बाद 2016 में 8 विभिन्न धार्मिक संस्थाओं से जुड़े लोगों की हत्या हुई थी।
हरचंद सिंह लोंगोवाल की हमले में गई थी जान जैसे सुखबीर सिंह बादल पर हमला हुआ, ठीक वैसे ही SAD के प्रधान रहे हरचंद सिंह लोंगोवाल पर भी हमला हुआ था। उन्होंने 24 जुलाई 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ पंजाब समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
समझौते पर हस्ताक्षर करने के एक महीने बाद 20 अगस्त 1985 को पटियाला से 90 किलोमीटर दूर स्थित शेरपुर गांव में गुरुद्वारे के पास गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। इसमें भी कट्टरपंथी सोच वाले लोग शामिल थे, जो इस समझौते से खुश नहीं थे।
100 साल पुरानी पार्टी हाशिए पर आई SAD की बात करें तो यह पार्टी साल 1920 में स्थापित हुई थी। पार्टी को गठित हुए 124 साल हो गए हैं, लेकिन अब कुछ समय से पार्टी कई संकटों से गुजर रही है। 2015 में हुई बेअदबी की घटनाओं और डेरा सच्चा सौदा को माफी केस से पार्टी को काफी नुकसान झेलना पड़ा है।
लोग इन चीजों के लिए पार्टी को जिम्मेदार मानते हुए इससे दूर हो रहे हैं। हालत यह हो गई कि लगातार 10 साल राज्य की सत्ता पर काबिज रही SAD 2017 से सत्ता से बाहर चल रही है। 2022 के विधानसभा चुनावों में पार्टी 117 विधायकों में मात्र 3 विधायकों पर सिमट गई।
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खालिस्तानी हमले की यह खबर पढ़ें…
सुखबीर बादल पर पूरी प्लानिंग से की फायरिंग:3 दिन से गोल्डन टेंपल आ रहा था खालिस्तानी आतंकी चौड़ा; लगातार फोन पर बात कर रहा था
पंजाब के पूर्व डिप्टी CM सुखबीर बादल पर फायरिंग करने वाले खालिस्तानी आतंकी नारायण सिंह चौड़ा ने पूरी प्लानिंग से वारदात को अंजाम दिया। वह पिछले 3 दिन से गोल्डन टेंपल आ रहा था। पुलिस ने हमले के बाद गोल्डन टेंपल में लगे सीसीटीवी खंगाले और वहां तैनात सेवादारों से भी बात की। जिसमें उसके 4 दिसंबर के सीसीटीवी फुटेज हमें मिले। पूरी खबर पढ़ें…
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