‘भारत में किफायती आवास’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2030 तक 3.12 करोड़ किफायती आवासों की कमी होगी और इसके संभावित बाजार का आकार 67 लाख करोड़ रुपये तक होने का अनुमान है. रिपोर्ट में कहा गया कि देश में पहले से ही 1.01 करोड़ इकाइयों की कमी है. नाइट फ्रैंक इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (अनुसंधान, परामर्श, अवसंरचना एवं मूल्यांकन) गुलाम जिया ने कहा कि भारत में किफायती आवास की कमी है, जो रियल एस्टेट डेवलपर के लिए एक बड़ा व्यावसायिक अवसर प्रस्तुत करता है.
45 लाख करोड़ का लोन चाहिए
उन्होंने कहा, ‘भारत में 2030 तक 3.12 करोड़ किफायती आवास की कमी होने का अनुमान है. इस दौरान बाजार का आकार 67,000 अरब रुपये होने का अनुमान है. यह किफायती आवास क्षेत्र भी वित्तीय संस्थाओं के लिए अनेक अवसर प्रदान कर सकता है.’ 77 प्रतिशत ऋण निर्भरता और विभिन्न ऋण सीमाओं पर लागू ऋण-से-मूल्य अनुपात के आधार पर किफायती आवास खंड में बैंकों और आवास वित्त कंपनियों के लिए संभावित वित्तपोषण के अवसर 45,000 अरब रुपये (करीब 45 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने का अनुमान है. यह पर्याप्त वृद्धि दर्शाता है, जो इस खंड में मौजूदा ऋण मात्रा से तीन गुना है.
कंपनियों के लिए भी अवसर
बैंकों के पास जहां लाखों करोड़ का लोन ग्रोथ करने का अवसर है तो रियल एस्टेट से जुड़ी कंपनियों के पास भी अपना बिजनेस बढ़ाने का मौका है. इतना ही नहीं 3 करोड़ से ज्यादा घरों की डिमांड होने पर जमीन की कीमतों में भी इजाफा होगा, जिसका फायदा प्रॉपर्टी बाजार को मिलेगा. रियल एस्टेट सेक्टर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 200 तरह के सेक्टर्स को फायदा पहुंचाता है. जाहिर है कि इन सभी सेक्टर्स की कंपनियों में भी तेजी आएगी.
आम आदमी कैसे उठाए लाभ
रियल एस्टेट सेक्टर का यह अवसर आम आदमी को भी पैसे बनाने का मौका देगा. प्रॉपर्टी बाजार में तेजी आने का फायदा भी जमीन के मालिकों को होगा, जबकि शेयर बाजार में भी इन सेक्टर्स से जुड़ी कंपनियों के स्टॉक चढ़ेंगे, जहां निवेश करके हर व्यक्ति पैसे बना सकता है. अगर 3 करोड़ मकानों के लिए 45 लाख करोड़ की जरूरत है, तो जाहिर है कि बैंकों और इससे जुड़ी डेवलपमेंट कंपनियों के स्टॉक्स में भी उछाल आएगा.
Tags: Business news, Buying a home, Home loan EMI, House tax
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