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अवध ओझा ‘सर’ अब ‘सर जी’ की पार्टी के सिपाही हो गए हैं. जी हां, आईएएस-आईपीएस बनने की तैयारी करने वाले छात्रों को कोचिंग देकर लोकप्रिय हुए अवध ओझा ने राजनीति मे एंट्री ली है. उन्‍होंने दो दिसंबर को अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आम आदमी पार्टी (आप) की सदस्‍यता ली. अवध ओझा यूपी के गोंडा के हैं. वह लंबे समय से राजनीतिक महत्‍वाकांक्षा पाले हुए थे. उन्‍होंने माना है कि वह लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट चाह रहे थे. इसके लिए उन्‍होंने कोशिश भी की थी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. ओझा ने यह भी माना कि वह किसी भी पार्टी से चुनाव लड़ सकते थे- भाजपा से भी और कांग्रेस से भी. मतलब जहां से टिकट मिल जाए. लेकिन, अब उन्‍होंने आप में एंट्री लेकर राजनीतिक पारी शुरू की है.

आप दिल्‍ली की सत्‍ता में है और फरवरी में होने वाले चुनाव में जीत हासिल कर एक बार फिर सरकार बनाने की जिद्दोजहद में जुटी है. अवध ओझा का आप में शामिल होना दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है. आप ने शिक्षा को अपना एक महत्‍वपूर्ण यूएसपी बनाया है. वह चुनाव मैदान में भी जब जाती है तो शिक्षा में अपनी सरकार द्वारा किए गए काम गिना कर वोट मांगती रही है. इस बार भी ऐसा ही कर रही है. ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र से एक व्‍यक्ति को पार्टी में शामिल कराने को वह शिक्षा के एजेंडे के प्रति अपनी गंभीरता का तर्क मजबूत कर सकती है.

भाजपा में जा नहीं सकते थे अवध ओझा
उधर, अवध ओझा के लिए भी अपनी राजनीतिक महत्‍वाकांक्षा पूरी करने का यह अपेक्षाकृत आसान रास्‍ता साबित हो सकता है. कह सकते हैं कि अब उनके लिए यही एक मात्र सुरक्ष‍ित रास्‍ता बचा था. वजह यह कि हाल ही में वह एक इंटरव्‍यू में राहुल गांधी को नरेंद्र मोदी से बेहतर नेता बता चुके थे. इससे पहले के भी उनके कई ऐसे बयान हैं, जो भाजपा समर्थकों को पसंद नहीं आते रहे हैं. इसके अलावा, यह भी तथ्‍य है कि उनके पास भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा कुछ नहीं है, जो पार्टी इस सबको नजरअंदाज कर उन्‍हें सदस्‍य बना लेती. ऐसे में भाजपा में उनकी एंट्री लगभग असंभव ही थी.

कांग्रेस में बनी नहीं बात
रही बात कांग्रेस में एंट्री की, तो वहां के लिए उन्‍होंने कोशिश कर ली थी. लोकसभा चुनाव से पहले. पर बात नहीं बनी. अब अगर वह कांग्रेस में चले भी जाते तो राजनीतिक महत्‍वाकांक्षा पूरी होने की संभावनाएं सीमित ही रहतीं. ऐसे में आप उनके लिए सबसे सुरक्ष‍ित और संभावनाओं से भरा ठिकाना है.

आप के लिए अवध ओझा कितने फायदेमंद?
अवध ओझा की पृष्‍ठभूमि ऐसी रही है जो आप के लिए भी राजनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकती है. टीचर के रूप में उनकी जो छवि बनी है, वह जाति-धर्म के बंधन से परे है. वह युवा मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं, ऐसी आप की उनसे अपेक्षा होगी. आप शिक्षा के एजेंडे को मतदाताओं के बीच रखने के लिए उनमें ‘ब्रांड एंबेसेडर’ की छवि देखती होगी. शिक्षक होने के नाते उनकी तर्क क्षमता का राजनीतिक इस्‍तेमाल बेहतर तरीके से हो सकता है. वह राजनीतिक बातों को भी गैर राजनीतिक दलीलों से पुख्‍ता तरीके से रख सकते हैं. आप की उम्‍मीद यह भी होगी कि वह यूपी से हैं तो पूर्वांचली मतदाताओं के बीच भी उनका असर हो सकता है. दिल्‍ली में पूर्वांचली मतदाताओं की संख्‍या अच्‍छी-खासी है.

क्या ओझा करेंगे सिसोदिया में रिप्लेस?
अवध ओझा को पार्टी में शामिल कराते वक्‍त अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने जिस तरह बार-बार जोर दिया कि वह शिक्षा के क्षेत्र में काम करेंगे, इससे तो ऐसा लगता है जैसे वह दिल्‍ली में अगले साल आप की सरकार बनने की स्‍थ‍िति में शिक्षा मंत्री बनने की ‘डील’ करके पार्टी में आए हों. हो सकता है अगली सरकार बनने की स्‍थ‍िति में अरविंद केजरीवाल शिक्षा मंत्री के रूप में मनीष सिसोदिया का विकल्‍प अवध ओझा में देख रहे होंगे.

AAP ने दिल्ली का बजट 25 फीसदी बढ़ाया
अरविंद केजरीवाल का यह कहना कि अवध ओझा शिक्षा के क्षेत्र में आप का काम आगे बढ़ाएंगे, इसका संकेत हो सकता है. आप सरकार ने बीते आठ-नौ सालों में शिक्षा पर बजट करीब 25 फीसदी बढ़ाया है. शिक्षकों को उच्‍च स्‍तर की ट्रेनिंग दिलवाई है. स्‍कूल प्रबंधन को खर्च करने का पहले से ज्‍यादा अधिकार दिया है. इनके अलावा भी सुधार के कई कदम उठाए हैं. इन सबके बावजूद कई चुनौतियां बरकरार हैं. इनमें स्‍कूलों में बच्‍चों की उपस्‍थ‍ि‍ति बनाए रखना, स्‍कूल छोड़ने वालों की संख्‍या कम करना, बुनियादी सुविधाओं का स्‍तर बढ़ाना प्रमुख हैं. अवध ओझा या उन जैसे शिक्षकों के होने या नहीं होने से इन चुनौतियों से निपटने का कोई संबंध नहीं है. यह सीधे तौर पर सरकार की इच्‍छाशक्ति से जुड़ा है.

अवध ओझा के यूट्यूब पर 9 लाख से ज्यादा सब्स्क्राइबर्स
ऐसे में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने अवध ओझा को पार्टी में लाने का जो कारण बताया और खुद ओझा ने आप में शामिल होने की जो वजह बताई, दोनों ही कोरी राजनीतिक बातें हैं. ओझा कह चुके हैं कि वह बीजेपी या कांग्रेस, किसी भी पार्टी से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे. अवध ओझा करीब 20 साल से यूपीएससी की तैयारी करने वाले युवाओं को पढ़ा रहे हैं, लेकिन बीते चार सालों में उनकी लोकप्रियता कुछ ज्‍यादा ही बढ़ी है. कोरोना काल में जब वह यूट्यूब पर आए तो उन्‍हें उनके छात्रों के अलावा आम लोग भी तेजी से पहचानने लगे. अप्रैल 2020 में उन्‍होंने अपना यूट्यूब चैनल बनाया था. करीब साढ़े चार साल बाद उनके यूट्यूब चैनल के नौ लाख से ज्‍यादा सब्‍स्‍क्राइबर्स हैं.

अवध ओझा 3 जुलाई, 1984 को उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में पैदा हुए थे. उनके पिता श्रीमाता प्रसाद ओझा पोस्टमास्टर थे और उनकी मां सरकारी वकील थीं. ग्रेजुएशन के बाद अवध ओझा ने यूपीएससी की परीक्षा पास करने की कोशिश की, लेकिन कर नहीं सके. तब वह इस परीक्षा की तैयारी करने वालों को पढ़ाने लगे. उन्होंने 2005 में दिल्ली आकर यह काम शुरू किया था. उन्‍होंने द एबीसी अकेडमी ऑफ सिविल सर्विस, चाणक्‍या आईएएस अकेडमी, अनअकेडमी, बर्थकुर आईएस अकेडमी जैसे संस्‍थानों में पढ़ाया. आगे चल कर अवध ओझा ने IQRA IAS Academy नाम से अपना कोचिंग संस्‍थान शुरू कर लिया. और अब, करीब 20 साल बाद वह अपने कॅरिअर को एक नई दिशा में ले जा रहे हैं.

Tags: AAP Politics, Arvind kejriwal, Manish sisodia

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