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Baraiya Pokhara: छोटे बड़े तालाब के बारे में तो आपने खूब सुना होगा. लेकिन आज हम जिस सरोवर की बात करने जा रहे हैं, उसकी खासियत हैरान करने वाली है. ये वही सरोवर है जिसके अंदर हाल बनाए गए हैं. सैकड़ों साल पुराना ये सरोवर आज जिले के लिए सबसे बड़ा पर्यटन स्थल बन चुका है. जिले के चितबड़ागांव में स्थित इस सरोवर को “बरइया पोखरा” के नाम से जानते हैं. लाखों की संख्या में रंग बिरंगी मछलियां इसके सुंदरता में चार-चांद लगाती हैं.

प्रख्यात इतिहासकार डॉ शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश के बलिया जिले का एक ऐसा सरोवर जिसे बरइया पोखरा के नाम से जाना जाता है. यह पोखरा प्राचीन काल में मलद करूस अंग और वैशाली राज्यों के जंक्शन पर बने कामेश्वर धाम कारो मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर पश्चिम दिशा में प्राचीन नगर पंचायत चितबड़ागांव में स्थित है.’

किसने बनाया था बरइया पोखरा?
दीनदयाल बरइया ने बरइया पोखरा बनवाया था. दीनदयाल का चीनी और गल्ले का बड़ा कारोबार था. उन्होंने इसे भगवान शिव के साधना के लिए श्री कम दहन भूमि पर आने वाले तीर्थ यात्रियों और चितबड़ागांव में आने वाले व्यापारियों की सुविधा के लिए बनवाया था. यह पोखरा ऐसा बना हुआ है कि इसमें मनुष्यों के स्नान के साथ-साथ पशुओं के पानी पीने के लिए भी व्यवस्था बनाई गई है. यह एक सुरम्य और सुंदर ऐसा पर्यटन स्थल है. जहां, दूर-दूर से लोग आते हैं. यह पोखरा 12 बीघे में है.

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बहुत अनोखी है कलाकारी
यह वर्तमान समय में बहुत तेजी के साथ एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है. प्रतिदिन हजारों लोग इसे देखने के लिए आते हैं. इस सरोवर में लाखों मछलियां हैं. इन मछलियों को कोई मार कर खाता नहीं है. इसमें एक सोने की नथ पहनी हुई मछली भी है. जो इसके चारों तरफ का मेहराब देख रहे हैं. इसके नीचे बड़ा हाल बना हुआ है. यह एक तहखाना है जिसे अभी तत्काल प्रशासन के द्वारा बंद कर दिया गया है. यह बलुआ लाल पत्थर से बना हुआ है.

Tags: Ballia news, Local18

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