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कुछ ही क्षण पहले

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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी CBSE ने राजस्थान और दिल्ली में 21 स्कूलों का एफिलिएशन (मान्यता) रद्द कर दी है।

सीबीएसई ने इन स्कूलों का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान वीडियो प्रूफ भी जुटाए गए, जिनमें पाया गया कि स्कूल में डमी एडमिशन लिए जा रहे हैं और बच्चों की फर्जी अटेंडेंस लगाई जा रही है। सीबीएसई ने 6 अन्य स्कूलों की मान्यता 12वीं से घटाकर 10वीं तक कर दी है।

इन स्‍कूलों में पढ़ रहे बच्‍चों का अब क्‍या होगा स्‍कूलों की मान्‍यता रद्द होने का फैसला आते ही पेरेंट्स के बीच ये परेशानी बढ़ गई, कि अगर उनके बच्‍चे का स्‍कूल इस लिस्‍ट में आ गया तो उसकी पढ़ाई का क्‍या होगा। CBSE बोर्ड 10वीं, 12वीं की परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू होनी हैं।

हालांकि, CBSE ने फैसला किया है कि इन स्‍कूलों के बोर्ड एग्‍जाम में शामिल होने जा रहे बच्‍चों पर कोई असर नहीं होगा, जबकि बाकी क्‍लासेज के बच्‍चों को दूसरे स्‍कूलों में एडमिशन दिया जाएगा।

डमी स्कूलों पर कार्रवाई से बाकी स्कूलों को मैसेज

बोर्ड के मुताबिक,कई स्कूलों में क्लास 9 से 12 तक बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल नहीं आ रहे थे। औचक निरीक्षण के बाद इन स्कूलों को स्टूडेंट्स की अटेंडेंस में कमी और दूसरी खामियों के लिए शो-कॉज नोटिस जारी किया गया।

स्कूलों को 30 दिन के अंदर बोर्ड को जवाब देना था। स्कूलों ने जो जवाब दिए उनकी गंभीरता से जांच की गई। इसके बाद 21 स्कूलों का एफिलिएशन रद्द कर दिया गया।

सीबीएसई सचिव हिमांशु गुप्ता ने कहा,

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डमी या बिना स्कूल जाए एडमिशन देने की प्रथा, पढ़ाई के मूल उद्देश्य के उलट है। इससे बच्चों के बुनियादी विकास पर असर पड़ता है। हम डमी स्कूलों के बढ़ने के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई कर रहे हैं। इसके जरिए हम सीबीएसई से एफिलिएटेड स्कूलों को डमी या बिना अटेंडेंस के बच्चों को एडमिशन देने के लालच से बचने का स्पष्ट संदेश दे रहे हैं।

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CBSE पहले भी रद्द कर चुका है स्‍कूलों की मान्‍यता

ये पहली बार नहीं है कि सीबीएसई ने स्कूलों की मान्यता खत्म की है। इससे पहले 22 मार्च 2024 को सीबीएसई ने 20 स्कूलों की मान्यता रद्द की थी, इनमें से दिल्ली के 5, उत्तर प्रदेश के 3, केरल, राजस्थान और छतीसगढ़ के 2-2 स्कूल, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, असम और मध्यप्रदेश का 1-1 स्कूल शामिल था। इसके अलावा 3 स्कूलों का एफिलिएशन घटाया गया था।

पेरेंट्स का कहना- एफिलिएशन खत्‍म करने की कार्रवाई काफी नहीं

इस मसले पर हमने कुछ पेरेंट्स और दिल्‍ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्‍यक्ष अपराजिता गौतम से बात की। उन्‍होंने कहा कि स्‍कूलों का एफिलिएशन खत्‍म करने की ये कार्रवाई काफी नहीं है। उन्‍होंने हमें फेक अटेंडेंस और डमी एडमिशन के 4 बड़े कारण बताए,”

1. डमी स्कूलों की मदद से चल रहा कोचिंग बिजनेस:

डमी स्कूल और उसमें फेक एडमिशन के पीछे कोचिंग का खेल है। बच्चों को बारहवीं के बाद NEET और JEE के अलावा कॉलेज में एडमिशन के लिए CUET का एग्जाम देना होता है। बच्चों का फिक्स उसी पर रहता है।

अपराजिता कहती हैं कि ऐसे में बच्चे ऐसे स्कूलों में एडमिशन ले लेते हैं जहां अटेंडेंस की कोई जरूरत नहीं होती। बच्चे स्कूल न जाकर कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई करते हैं। कई स्कूल ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने यहां कॉम्पिटीटिव एग्जाम की तैयारी के लिए सेंटर खोल रखे हैं।

2. स्कूलों में चल रहीं कोचिंग, स्कूलों को डबल फायदा:

डमी स्कूलों और कोचिंग संस्थानों में मिलीभगत है। बच्चे स्कूल के बाद कोचिंग करते हैं तो पूरा समय इसी में निकल जाता है। पेरेंट्स चाहते हैं कि बच्चे का स्कूल नहीं छूटे और कोचिंग भी मिल जाए। ऐसे में कोचिंग वालों ने एक ऐसा रास्ता निकाला है, जिससे बच्चों से ज्यादा स्कूल और कोचिंग वालों को फायदा है। कोचिंग वाले आपको 4-5 स्कूलों का ऑप्शन दे देंगे, जिसमें बच्चा कहने को तो स्कूल ड्रेस में स्कूल जाएगा, लेकिन वहां कोचिंग टीम ही उसकी पढ़ाई करवाएगी। स्कूल वाले स्कूल की फीस के अलावा कोचिंग की फीस अलग से लेते हैं।

3. ज्यादा एडमिशन दिखाने से आसानी से मिलता है सीबीएसई का एफीलिएशन:

डमी एडमिशन देने के पीछे स्कूलों का अपना एक फायदा भी है। छोटे स्कूलों में आप कभी भी बच्चों की संख्या गिन लीजिए। यह कुल एडमिशन की तुलना में बहुत कम मिलेगी। अगर 500 बच्चे स्कूल आ रहे हैं तो एडमिशन 800 दिखाए जाएंगे, इसके पीछे वजह यह है कि बच्चों की संख्या ज्यादा होने से स्कूलों को सीबीएसई का एफीलिएशन आसानी से मिल जाता है।

4. बड़े स्कूलों पर कार्रवाई नहीं करता सीबीएसई

सीबीएसई ने दिल्ली में जितने भी स्कूलों का एफीलिएशन रद्द किया है, उनमें से कोई भी प्रोमिनेंट स्कूल नहीं है। सभी छोटे स्कूल हैं। बड़े नामी-गिरामी स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं होती। जबकि कई बड़े स्कूल डमी एडमिशन देते हैं। सीबीएसई सब जानते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं करता।”

कोटा सहित पूरे राजस्थान में कोचिंग और डमी स्कूल का गठजोड़

कोटा देश का सबसे बड़ा कोचिंग हब है। लाखों बच्चे यहां NEET और JEE जैसे एग्जाम की तैयारी करने जाते हैं। राजस्थान की संयुक्त अभिभावक संघ संस्था के प्रवक्ता अभिषेक जैन कहते हैं,

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डमी स्कूलों और कोचिंग का सिंडिकेट सिर्फ कोटा में नहीं बल्कि पूरे राजस्थान में है। कोटा के बाद जयपुर दूसरे नंबर पर आता है। इसके बाद सीकर और अजमेर भी बड़े गढ़ हैं। इन सभी जगहों पर कोचिंग के लिए आने वाले ज्यादातर बच्चों को कोचिंग वाले डमी स्कूल में एडमिशन करवाने की सलाह देते हैं। कहा जाता है कि बच्चे को स्कूल जाने की जरूरत नहीं है। इधर स्कूल बिना अटेंडेंस वाले एडमिशन पर भी मोटी फीस वसूलते हैं।

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अपराजिता कहती हैं कि सीबीएसई को कोटा के स्कूलों का डाटा निकलवाना चाहिए कि कितने स्कूलों में कितने बच्चे एडमिटेड हैं और असल में कितने स्कूल आ रहे हैं।

सीबीएसई के बड़े स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं करता। इस आरोप पर सीबीएसई के एक अधिकारी ने कहा कि सीबीएसई नियमों के तहत लगातार कार्रवाई कर रहा है। किसी भी स्कूल में मान्यता के नियमों के खिलाफ कोई प्रैक्टिस मिलती है तो उस पर सख्त एक्शन लिया जाता है। स्कूलों में कोचिंग चलाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह चर्चा का विषय हो सकता है, लेकिन तथ्य यह है कि हम किसी भी नियम के खिलाफ जाने वाले स्कूलों पर लगातार कार्रवाई कर रहे हैं।

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