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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि हल्के मोटर वाहन (एलएमवी) ड्राइविंग लाइसेंस धारक 7,500 किलोग्राम तक के भारी परिवहन वाहन चला सकेंगे। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ का यह निर्णय बीमा कंपनियों के लिए बड़ा झटका है। बीमा कंपनियां इस आधार पर बीमे की रकम देने से बचने की कोशिश कर रही थीं। अब एलएमवी लाइसेंस धारक कार के अलावा छोटा हाथी सहित अन्य हल्के कमर्शियल वाहनों को चला सकेंगे, हालांकि बड़े ट्रक चलाने के लिए अलग लाइसेंस लेना अनिवार्य रहेगा।
अदालत की राय
पांच जजों की बेंच ने इस मुद्दे पर एकमत होकर कहा कि एलएमवी लाइसेंस धारक सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने इस बात पर जोर दिया कि जो ड्राइवर सबसे अधिक समय सड़क पर बिताते हैं, उनकी शिकायतें जायज हैं और तकनीकी आधार पर उन्हें खारिज नहीं किया जा सकता। इस मुद्दे पर जुलाई 2023 से सात दिनों तक बेंच ने सुरक्षा और आजीविका पर दलीलें सुनीं। मार्च 2022 में तीन जजों की बेंच ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के पास सुनवाई के लिए भेज दिया था।
2017 के फैसले में सुधार
मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड केस में 2017 के फैसले में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के कुछ प्रावधानों पर ध्यान नहीं दिया गया था। कोर्ट ने माना था कि 7,500 किलो से कम वजन वाला ट्रांसपोर्ट वाहन एलएमवी होगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच को यह तय करना था कि क्या एमवीए की धारा 10(2)(डी) के तहत लाइसेंस रखने वाले व्यक्ति को परिवहन वाहन चलाने के लिए अलग लाइसेंस की आवश्यकता होगी। तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि 7,500 किलोग्राम तक का वाहन एक हल्का मोटर वाहन होगा। इस फैसले ने उन हजारों वर्कर्स की आजीविका को सुरक्षित किया है, जो परिवहन उद्देश्यों के लिए एलएमवी चलाते हैं।
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