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भारतीय लोग पुलिस, सिविल सर्वेंट्स, राजनेता, सरकारी मंत्री या वकीलों से ज्यादा भरोसा खाना परोसने वाले वेटर्स पर करते हैं। वहीं भारत सहित पूरी दुनिया में डॉक्टर्स, टीचर्स और साइंटिस्ट्स पर सबसे ज्यादा भरोसा किया जाता है। हालांकि सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स और नेताओं पर लोग भरोसा करने से कतराते हैं। ये आंकड़े ‘IPSOS ग्लोबल ट्रस्टवर्दी इंडेक्स 2024’ में सामने आए हैं। IPSOS फ्रांस की एक मल्टीनेशनल कंपनी है। ये मार्केट रिसर्च और कंसल्टेशन का काम करती है।
डॉक्टर्स पर दुनियाभर में सबसे ज्यादा भरोसा 32 देशों पर किए गए इस सर्वे में सभी देशों के लोगों ने सबसे ज्यादा भरोसा डॉक्टर्स पर दिखाया है। भारत में 57% लोग डॉक्टर्स पर भरोसा करते हैं। इसके अलावा आर्म्ड फोर्सेज, साइंटिस्ट, जज और बैंकर्स पर भी देश में ज्यादा भरोसा किया जाता है। वहीं, राजनेताओं और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स पर दुनियाभर में लोग सबसे कम भरोसा करते हैं।
40% भारतीय लोगों को नेताओं पर भरोसा दुनियाभर में राजनेताओं, सिविल सर्वेंट्स और सरकारी मंत्रियों पर ज्यादा लोग भरोसा नहीं करते, लेकिन भारतीय इस मामले में आगे हैं। 40% भारतीय लोग नेताओं पर और 41% भारतीय लोग सरकारी मंत्रियों पर भरोसा करते हैं। इसी तरह एडवर्टाइजमेंट एग्जीक्यूटिव यानी एड बनाने वाले लोगों पर दुनियाभर में सिर्फ 19% लोग भरोसा करते हैं, वहीं भारत में 43% लोग इनपर भरोसा करते हैं। आंकड़ों के अनुसार भारतीय बाकी देशों के मुकाबले तो नेताओं और मंत्रियों पर ज्यादा भरोसा करते हैं, लेकिन अगर बाकी प्रोफेशन्स से तुलना की जाए तो अलग बात सामने आती है। बाकी प्रोफेशन्स के मुकाबले भारत में नेताओं, मंत्रियों और धर्मगुरुओं पर सबसे कम भरोसा किया जाता है।
ऐसे 5 प्रोफेशन्स जिन पर भारतीय भरोसा नहीं करते….
- नेता- 31% भारतीय भरोसा नहीं करते।
- सरकारी मंत्री- 28% भारतीय भरोसा नहीं करते।
- धर्मगुरू- 27% भारतीय भरोसा नहीं करते।
- पुलिस- 26% भारतीय भारतीय नहीं करते।
- पत्रकार- 25% भारतीय भरोसा नहीं करते।
बूमर्स इंफ्लूएंसर्स की बातों को झूठ मानते हैं सर्वे में पहली बार इंफ्लूएंसर्स को एक कैटेगरी के तौर पर शामिल किया गया था। दुनियाभर में सिर्फ 15% लोग ही सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स पर भरोसा करते हैं। इसमें भी जेनेरेशन के हिसाब से लोगों की राय अलग-अलग है। जहां एक ओर 20% जेन Z इंफ्लूएंसर्स पर भरोसा करते हैं, वहीं सिर्फ 9% बेबी बूमर्स इंफ्लूएंसर्स की बात मान पाते हैं। यानी सोशल मीडिया के आने से सालों पहले पैदा होने वाले लोग सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स की बात नहीं मानते। वहीं सोशल मीडिया के समय में पैदा होने वाले लोग इंफ्लूएंसर्स पर यकीन कर लेते हैं।
32 देशों पर किया गया था सर्वे IPSOS ने ये सर्वे 32 देशों पर 24 मई से 7 जून के बीच किया गया था। इसमें 23, 530 अडल्ट्स शामिल थे। सर्वे में 2, 200 भारतीयों को शामिल किया गया था जिनमें से 1800 लोगों का फेस टू फेस और 400 लोगों का इंटरव्यू ऑनलाइन किया गया था। सर्वे में शामिल भारतीयों में से ज्यादातर लोग टियर 1, 2 या 3 से आते हैं यानी ज्यादातर लोग शहरी हैं।
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