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गोरखपुर /रजत भट्ट: गोरखपुर को साफ और प्रदूषण-मुक्त बनाने की दिशा में नगर निगम ने नई योजनाओं की शुरुआत की है. राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत 75 लाख रुपए की लागत से एक मोबाइल प्रदूषण परीक्षण वैन खरीदी जाएगी, जो शहर में निर्माण स्थलों और फैक्ट्रियों के प्रदूषण स्तर की नियमित निगरानी करेगी. इससे प्रदूषण के स्रोतों का पता लगाकर उचित कार्रवाई की जा सकेगी, जिससे गोरखपुर की हवा को स्वच्छ और स्वास्थ्यप्रद बनाए रखने में मदद मिलेगी.

प्रदूषण नियंत्रण के कड़े कदम
प्रदूषण नियंत्रण के लिए नगर निगम ने ठेकेदारों और फैक्ट्री मालिकों पर कड़ी निगरानी रखने का निर्णय लिया है. यदि किसी स्थान पर प्रदूषण का स्तर मानकों से अधिक पाया जाता है, तो संबंधित जिम्मेदारों पर जुर्माना लगाया जाएगा. इसके लिए वायु गुणवत्ता की जांच के लिए नियमावली बनाई जा रही है, ताकि डेटा संग्रहण और निगरानी में कोई कमी न रहे. नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल का कहना है कि यह मोबाइल वैन प्रदूषण स्रोतों की पहचान और उनकी गंभीरता को मापने में सहायक साबित होगी.

जापानी मियावाकी तकनीक का उपयोग
गोरखपुर नगर निगम ने हरित क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए जापानी मियावाकी तकनीक से पौधारोपण का निर्णय लिया है. इसके तहत खाली सरकारी भूमि, सड़क किनारे और डिवाइडर पर पौधे लगाए जा रहे हैं. इस योजना के लिए 5 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है, और अब तक लगभग 8,000 से 10,000 पौधे लगाए जा चुके हैं. मियावाकी तकनीक की मदद से कम समय में सघन हरित क्षेत्र विकसित करने का लक्ष्य है, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होगा और शहर की हरियाली बढ़ेगी.

2027 तक खुले में कचरा जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध
2027 तक नगर निगम का लक्ष्य गोरखपुर को खुले में कचरा जलाने से मुक्त करना है. इसके लिए डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण और सड़कों की नियमित सफाई जैसी योजनाएं भी लागू की जा रही हैं. इन योजनाओं का उद्देश्य न केवल वायु गुणवत्ता में सुधार करना है बल्कि पर्यावरण के अनुकूल एक स्वच्छ और स्वस्थ गोरखपुर का निर्माण करना भी है.

Tags: Gorakhpur news, Local18

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