Image Slider

शिवराज सिंह चौहान
– फोटो : ANI

विस्तार


केंद्रीय कृषि व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि शहरी विकास के लिए व्यवस्थित और प्रामाणिक भूमि अभिलेख की जरूरत है। इसकी मदद से अभिलेख में होने वाली किसी भी तरह की गड़बड़ियों को रोका जा सकता है। उन्होंने सोमवार को नई दिल्ली में ऑनलाइन माध्यम से शहरी भूमि अभिलेखों के सर्वेक्षण-पुनःसर्वेक्षण में आधुनिक तकनीक का उपयोग पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला के उद्धाटन के बाद ये बातें कहीं। 

Trending Videos

चौहान ने कहा कि भूमि अभिलेख का काम सबसे महत्वपूर्ण है। ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर देखता था कि व्यवस्थित भूमि अभिलेख नहीं होने के कारण रिकॉर्ड में हेराफेरी हो जाती है। उन्होंने कहा कि सूचना और प्रौद्योगिकी की मदद से केंद्र सरकार ने 2016 में डिजिटल इंडिया भूअभिलेख आधुनिकीकरण प्रोग्राम लागू किया। सरकार के इस कदम का उद्देश्य संपत्ति संबंधी विवादों में कमी लाना, लैंड मनेजमेंट, प्रशासन में पारदर्शिता लाना है।

आगे कहा कि यह योजना 875 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय से चलाई जा रही है। इससे भूमि संसाधन का उच्चतम उपयोग होगा, कार्यालयों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा और विभिन्न एजेंसियों के साथ सूचना का आदान-प्रदान हो सकेगा। विभाग और राज्य सरकार के ठोस प्रयास से 6.26 लाख लैंड रिकॉर्ड का कंप्यूटरीकरण, 223 लाख मानचित्रों का डिजिटलीकरण और 5000 से अधिक सब रजिस्ट्रार कार्यालयों का कंप्यूटरीकरण हो गया है।  

इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के वाटर शेड विकास घटक को भूमि संसाधन विभाग द्वारा वर्ष 2021-2026 के पांच वर्षों की अवधि के लिए 8136 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ लागू किया जा रहा है। इस योजना के वाटरशेड विकास घटक से अब तक लगभग 11.52 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। राज्यों में जीआईएस मैपिंग की मदद से शहरी क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण किया जा रहा है। यह कदम शहरी नागरिकों को सशक्त बनाकर संपत्ति कर निर्धारण प्रणाली में सुधार लाएगा।

सैटेलाइट और ड्रोन की मदद से भूमि का अभिलेख तैयार किया जाता है : उपाध्याय 

कार्यशाला के दौरान स्टॉल लगाने वाले एआरएचएएस टेक्नोलॉजी के चीफ ग्रोथ ऑफिसर अरविंद उपाध्याय ने कहा कि तकनीक की मदद से भूमि अभिलेख के लिए सर्वे और री-सर्वे कई राज्यों में कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सैटेलाइट और ड्रोन की मदद से भूमि का अभिलेख तैयार किया जाता है। उसके बाद ग्राउंड पर जाकर भूमि की जांच होती है, फिर प्रशासन के साथ मिलकर उक्त भूमि के अभिलेख की जांच व मिलान करवाया जाता है। सभी जांच के बाद प्रशासन उक्त अभिलेख को दस्तावेज में शामिल कर लेता है। उन्होंने कहा कि हम उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान,         बिहार, जम्मू कश्मीर और चंडीगढ़ में यह काम किया जा रहा है।

Social Media Links

Follow Us on Social Media

Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||