झागदार यमुना
– फोटो : अमर उजाला
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मानसून के विदा होने के साथ दिल्ली में यमुना ने सफेदी की चादर ओढ़ ली है। दूर-दूर तक झाग की मोटी चादर फैली हुई है। आलम यह है कि ओखला बैराज के बाद नदी का पानी दिखना मुश्किल हो गया है। वहीं, बीते सालों की तरह यमुना के झाग ने दिल्ली की सियासी तपिश भी बढ़ाई है। दिल्ली सरकार व भाजपा ने एक-दूसरे को कठघरे में खड़ा किया है।
पर्यावरणविदों का कहना है कि मानसून के दौरान यमुना में एक बार भी बाढ़ नहीं आई। इससे नदी कायदे से खुद को साफ नहीं कर सकी। बारिश के बाद जैसे ही बहाव में ठहराव आया तो झाग उभर आया। एक माह पहले नदी सफेद हो गई है। अमूमन छठ के दौरान नवंबर के पहले पखवाड़े में यह स्थिति बनती थी। समुद्र, नदी समेत दूसरे जल स्रोतों में अमूमन झाग वसा के अणु वाले पौधों के गलने से बनता है, लेकिन इस वक्त यमुना के झाग के मूल में फॉस्फेट व नाइट्रेट हैं। यमुना के शोधार्थी व फिलहाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार के प्रोफेसर डॉ. रामकुमार सिंह ने बताया कि इस बार दिल्ली में बाढ़ नहीं आई। फिर तापमान गिरने से नदी में आक्सीजन बनने की प्रक्रिया, जिसे ऑक्सीजनेशन कहते हैं, धीमी पड़ गई। इसमें ओखला बैराज से पानी नीचे गिरने पर झाग बन रहा है।
वहीं, यमुना की अविरलता और निर्मलता के संघर्ष कर रहे शोधार्थी भीम सिंह का मानना है कि नदी में पर्याप्त बहाव न होना इसकी वजह है। सरकारें यमुना का न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह बनाए रखने में नाकाम रही हैं। वहीं, नदी में गिरने वाले नालों को भी ठीक से साफ नहीं किया जा सका है। इसका नतीजा झाग के तौर पर दिख रहा है। अगर हथिनी कुंड बैराज से यमुना का करीब 50 फीसदी पानी छोड़ दिया जाता है तो इसमें कमी लाई जा सकती है।
फास्फेट व नाइट्रेट से त्वचा को नुकसान
विशेषज्ञों का कहना है कि पेड़-पौधों के वसा से बनने वाला झाग नुकसानदेह नहीं होता, लेकिन फॉस्फेट व नाइट्रेट त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। फॉस्फेट पानी की बूंदों के सतह का तनाव (सरफेस टेंशन) कम कर देता है। इससे बड़ी मात्रा में झाग बनता है। यह पानी ऊंचाई से गिरता है तो झाग की मात्रा बढ़ जाती है। सर्दी के मौसम में तापमान कम होने और हवा का दबाव बढने से झाग बनने की तीव्रता बढ़ जाती है। फॉस्फेट व नाइट्रेट एक तो घरों में इस्तेमाल होने वाले साबुन से आता है। वहीं, फैक्ट्रियां भी इसकी मात्रा बढ़ा देती हैं। इससे यह भी साबित हो रहा है कि यमुना में बड़ी मात्रा में अशोधित सीवेज छोड़ा जा रहा है। साबुन में फाॅस्फेट कम करने से झाग भी सीमित हो जाएगा।
दिल्ली सरकार रख रही यमुना की स्थिति पर नजर
यमुना के झाग पर गरमाई सियासत के बीच आम आदमी पार्टी का कहना है कि दिल्ली सरकार स्थिति की बेहद संजीदगी से निगरानी कर रही है। ओखला और आगरा कैनाल पर चीफ इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर इसके लिए तैनात किए गए हैं। ओखला बैराज के गेट खुलने के समय की निगरानी करने के साथ उच्च अधिकारियों को इसका नियमित अपडेट दिया जा रहा है। इसके अलावा हर दो घंटे पर बैराज के निचले हिस्से की तस्वीरें अपलोड की जा रही हैं। सरकार हालात का नियंत्रण करने के लिए हर संभव इंतजाम करेगी।
केजरीवाल का यमुना में डुबकी लगाने का वादा याद कर रहे लोग : भाजपा
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार की अकर्मण्यता और भ्रष्टाचार के कारण दिल्ली को प्रदूषण की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। हवा में जहरीले कणों की भरमार है तो यमुना का जल भी जहरीला हो चुका है। लोग आज केजरीवाल के 2020 के चुनावी अभियान के उन वादों को याद कर रहे हैं, जब उन्होंने 2025 के चुनाव से पहले मंत्रिमंडल के साथ यमुना में डुबकी लगाने का वादा किया था।
यमुना में नजफगढ़ व शाहदरा ड्रेन जैसे 18 छोटे-बड़े नालों में से 12 नाले सीधे यमुना गंदगी गिराते हैं, जो यमुना को जीवनदायिनी से मृत्यु-दायिनी बना रहे हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने अगस्त 2024 में जारी की रिपोर्ट के अनुसार, जल बोर्ड के 37 एसटीपी में से 22 मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। इसके बावजूद सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। यमुना जब हरियाणा से दिल्ली में प्रवेश करती है, तो उसका जल साफ और पीने योग्य होता है, लेकिन जैसे ही कालिंदी कुंज, ओखला से यूपी की ओर पानी बढ़ता है तो पूरी तरह से प्रदूषित हो जाता है। पल्ला से ओखला के बीच 39 किलोमीटर की यात्रा में यमुना में प्रतिदिन 170 एमजीडी से अधिक गंदा पानी गिरता है, जो यमुना को विषाक्त बना रहा है।
बढ़ते प्रदूषण के लिए आप जिम्मेदार : राजा इकबाल
एमसीडी में नेता प्रतिपक्ष राजा इकबाल सिंह ने बढ़ते प्रदूषण के लिए आप को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने हाल ही में जारी एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के लिए स्थानीय कारक प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। सड़कों पर धूल और गड्ढों की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि एमसीडी और पीडब्ल्यूडी अपने काम में पूरी तरह असफल रहे हैं। इसके अलावा दिल्ली के चारों ओर लगे कूड़े के ढेर भी प्रदूषण में वृद्धि कर रहे हैं।
आप ने इस वादे के साथ सत्ता संभाली थी, लेकिन यमुना में बढ़ते प्रदूषण और झाग ने उनकी नाकामी को उजागर कर दिया है। इस साल रिकॉर्ड बारिश के बावजूद यमुना में प्रदूषण स्तर बढ़ा है। आप खुद कोई काम नहीं करती और दूसरों के कामों का श्रेय लेने में लगी रहती है। एमसीडी में आप सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है जिसका खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
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