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बहराइच: शहर के रहने वाले पप्पू पिछले 25 सालों से बहराइच शहर के दशहरे में दहन होने वाले रावण रूपी पुतले को बनाते आ रहे हैं. पिछले तीन सालों से आंखों में दिक्कत की वजह से इनको कुछ दिखाई भी नहीं देता. बावजूद इसके भी ये रावण के पुतले के साथ, कुंभकरण, मेघनाथ का पुतला भी बनाकर 15 दिनों में तैयार कर देते हैं.

पप्पू की कला और परिवार का सहयोग
रावण बनाने वाले कारीगर पप्पू ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि इनको बनाने में कोई खास दिक्कत नहीं आती है. आइडिया है किस तरह से बनाना है. और जहां पर दिक्कत आती है, घर परिवार को ये समझा देते हैं. इनका घर परिवार भी इनके साथ में मिलकर इस काम में हाथ बंटाता है. जिसके लिए इनको 25 हजार रुपये शुल्क, बहराइच रामलीला कमेटी की तरफ से दिया जाता है.

पप्पू बचपन से नेत्रहीन हैं
ऐसा नहीं है कि पप्पू कारीगर बचपन से नेत्रहीन हैं. बल्कि यह समस्या उनके साथ पिछले 3 सालों से आई है. इससे पहले पप्पू को सब कुछ दिखाई देता था. लेकिन 3 साल पहले आंखों में कुछ बीमारी के कारण इनको दिखना बिल्कुल बंद हो गया. बस इनको नाममात्र बिल्कुल धुंधला दिखाई देता है. इस दशा में भी ये 45 फुट का रावण बनाकर तैयार कर देते हैं.

आंख बंद करके भी रावण तैयार कर देते हैं
पप्पू ने बताया है रावण बनाते-बनाते इतने सालों में इनको इतना एक्सपीरियंस हो गया है कि अब यह आंख बंद करके भी रावण तैयार कर देते हैं. और इन्होंने कई जूनियर कारीगरों को भी तैयार कर दिए हैं. तो अपने साथ-साथ उनको भी रावण बनाने की ट्रेनिंग देते हैं.

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रावण की विशेषताएं
पप्पू कारीगर ने बातचीत में बताया है कि यहां बनने वाला रावण रूपी पुतला कम से कम 1 क्विंटल का होता है. जिसको बनाने के लिए बाँस की लकड़ी, बल्ली, बंधने के लिए रस्सी, रंग-बिरंगे कपड़े, चावल से बनी हुई लुगदी, पेपर, कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है. जिसको बनाने में लगभग 10 से 15 दिन का समय लगता है. और फिर इसमें मुंबई के कारीगर गोला, तमाशा लगाने के लिए बुलाए जाते हैं. जिसमें तरह-तरह के फुलझड़ी, गोले, तमाशे लगते हैं.

Tags: Bahraich news, Local18, Special Project, Uttar pradesh news

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