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हरियाणा विधानसभा चुनाव की मतगणना के दौरान पार्टी की बढ़त पर दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में जश्न मनाते
– फोटो : अमर उजाला

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हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली जीत से दिल्ली भाजपा को बूस्टर डोज मिली है। भाजपा नेतृत्व इस जीत को अपने कार्यकर्ताओं के लिए संजीवनी मान रहा है। सियासी हलकों में अब डबल इंजन की सरकार बनाने के कैंपेन को दिल्ली विधानसभा चुनाव में भुनाने की चर्चा शुरू हो गई है। 

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यह इसलिए भी अहम माना जा रहा है कि चुनाव प्रचार के दौरान आप और कांग्रेस ने डबल इंजन की सरकार के भाजपा के नारे पर हमला बोला था। जीत के बाद भाजपा अब कांग्रेस और आप को मुफ्त की रेवड़ी देने के भरोसे पर भी घेर सकेगी। हरियाणा विधानसभा चुनावी जीत को दिल्ली भाजपा अपने पक्ष में मान रही है। राजनीतिक जानकारों की माने तो हरियाणा चुनाव में उम्मीद थी कि कांग्रेस के साथ आप का भी ग्राफ ऊपर जाएगा।

दिल्ली विधानसभा नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि हरियाणा की जनता ने एक बार फिर से कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति और देश विरोधी नीतियों को खारिज कर डबल इंजन सरकार में अटूट आस्था जताई है। लोग अब विकास को प्राथमिकता देते हैं आम आदमी पार्टी के झूठे वादों और मुफ्त की रेवड़ियों को नहीं। दिल्ली की जनता को धोखा देने वाली आम आदमी पार्टी की हरियाणा में सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई है। 

केजरीवाल को दिल्ली की जनता शून्य पर ला देगी : सचदेवा

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि हरियाणा ने शून्य दिया है, दिल्ली में भी केजरीवाल को शून्य पर ला देगी। हरियाणा की विकासशील जनता ने कांग्रेस की जात-पात की राजनीति को नकार दिया। दिल्ली व पंजाब में सरकार के नाम पर छलावा कर रहे अरविंद केजरीवाल को पूरी तरह ठुकरा दिया है। भाजपा सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि हरियाणा की जनता ने केजरीवाल को भ्रष्ट साबित कर दिया है। हरियाणा के बाद दिल्ली में भी अब यही नतीजे आएंगे। हरियाणा की तरह दिल्ली की जनता भी केजरीवाल को वोट न देकर यह साबित कर देगी कि केजरीवाल कट्टर बेईमान है। जनता की अदालत ने उनको निर्दोष साबित नहीं किया है। 

हाई प्रोफाइल चुनावी अभियान के बावजूद आप को 2% से कम वोट

हरियाणा चुनाव के नतीजों ने दिल्ली व पंजाब की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (आप) और उसके कार्यकर्ताओं को मायूस किया है। शीर्ष नेतृत्व के हाई प्रोफाइल चुनावी अभियान के बावजूद आप हरियाणा में खाता नहीं खोल सकी। प्रदेश की 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही आप को दो फीसदी वोट भी नहीं मिले हैं। हालांकि, इसकी भरपाई जम्मू कश्मीर में हुई इंट्री से आप नेता गदगद दिखे। संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत आप के शीर्ष नेतृत्व ने एक सीट हासिल करने की खुशी जाहिर की। 

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आप को थोड़ी राहत इस बात से है कि कांग्रेस को भी प्रदेश में सत्ता हासिल नहीं हो सकी है। हरियाणा में अगर कांग्रेस की सरकार बनती तो दिल्ली में भी कांग्रेस को बूस्ट मिलता। इससे दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान आप के लिए बड़ी सियासी मुश्किलें खड़ी हो सकती थीं। दोनों दल अगर समझौता करते तो कांग्रेस ज्यादा सीटों पर दावा करती। अकेले-अकेले लड़ने की हालत में भी भाजपा विरोधी वोट बंट जाता। फिर भी, दिल्ली भाजपा अब आप पर आक्रामक होगी।

बावजूद इसके जानकार हरियाणा में आप के प्रर्दशन को निराशाजनक मान रहे हैं। वह इसलिए भी कि इसके दोनों तरफ आप शासित राज्य हैं और दोनों सरकारों के कामकाज से हरियाणा के लोग वाकिफ भी हैं। लेकिन दोनों सरकारें अपना असर नहीं डाल सकीं। वहीं, केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद आप ने प्रदेश में मजबूत चुनावी अभियान भी चलाया। 

अब पांच राज्यों में आप के विधायक  : हरियाणा की शिकस्त बेशक आप के लिए खतरे की घंटी है, लेकिन जम्मू कश्मीर की डोडा विधानसभा की जीत पार्टी के लिए सुखद झोंका है। नतीजा आने के बाद डोडा से जीते मेहराज मलिक से अरविंद केजरीवाल ने वीडियो कॉल पर बात की। केजरीवाल ने मेहराज को बधाई देते हुए कहा कि देश के पांचवें राज्य में आप का विधायक बना है। इससे पूरे देश में कार्यकर्ता बहुत खुश हैं। इस दौरान मेहराज मलिक ने अरविंद केजरीवाल को जम्मू-कश्मीर आने का न्योता दिया। केजरीवाल ने निमंत्रण स्वीकार किया। 

कांग्रेस की दिल्ली चुनाव की तैयारियों को लगा झटका

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार ने प्रदेश इकाई की दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों को झटका लगा है। हरियाणा में हार ने कांग्रेस की संभावनाओं को कमजोर कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस को हरियाणा चुनाव में अपनी जीत के जरिये दिल्ली में भी अपनी पकड़ मजबूत होने उम्मीद थी।

दिल्ली के तीन ओर हरियाणा बसा हुआ है और दिल्ली में बड़ी संख्या में हरियाणा के लोग रहते है। वरिष्ठ नेता मान रहे हैं कि दिल्ली चुनाव के लिए अब नई रणनीति पर काम करना पड़ेगा।

हरियाणा में हार से कांग्रेस को दिल्ली में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि दिल्ली और हरियाणा की राजनीति आपस में जुड़ी हुई मानी जाती है। इस कारण हरियाणा के नतीजों का असर दिल्ली के ग्रामीण और बाहरी इलाकों में कांग्रेस के वोट बैंक पर पड़ सकता है, जहां पार्टी पहले ही कमजोर स्थिति में है। कांग्रेस इस कमजोरी को दूर करने में लगी हुई थी। इस कड़ी में उसने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और भाजपा के साथ तिकोना मुकाबला बनाने के लिए ग्रामीण  पृष्ट भूमि के अपने तेजतर्रार नेता देवेंद्र यादव को प्रदेश अध्यक्ष की कमान दे रखी है और वह कांग्रेस को स्थापित करने में लगे हुए है।

उधर, माना जा रहा है कि कांग्रेस हरियाणा की हार से सबक लेते हुए अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करेगी। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि वह जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने का कार्य करेंगे। खास कर युवाओं के साथ-साथ दिल्ली के पारंपरिक वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उनकी समस्याओं को उठाएंगे। इसी तरह दिल्ली की आप सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार के वादाखिलाफी के मुद्दों को भी उठाया जाएगा। इसके अलावा वह उम्मीदवारों के चयन, चुनाव प्रचार की रणनीति और मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर अपने खोए हुए जनाधार को पुनः प्राप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाएंगे। दरअसल कांग्रेस अभी तक आरोप-प्रत्यारोप पर अधिक जोर दे रही थी।

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