इज्जत बचाने के लिए उत्पन्न हुई आग
परउपुर गांव के रहने वाले करतार केशव यादव ने लोकल 18 से बात करते हुए कहा कि 17वीं शताब्दी में मुगलों का भयावह आतंक था. मुगलों का शिकार सुल्तानपुर की महिलाओं को भी होना पड़ा, जिनमें सती माता एक थीं. लेकिन मुगलों के दंश से अपनी लाज बचाने के लिए सती माता ने ईश्वर से प्रार्थना की. उस दौरान सती माता के चारों तरफ स्वयं आग उत्पन्न हो गई और उन्होंने अपनी देह आग के हवाले कर दी.
गांव की रक्षा
लोगों का यह विश्वास है कि गांव में कोई भी अनहोनी न होने पाए, इसकी रक्षा सती माता करती हैं. यही कारण है कि गांव में सती माता का मंदिर भी बनवाया गया है, जहां लोग आकर पूजा-पाठ करते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आपको बता दें कि यह मंदिर सुल्तानपुर शहर से लगभग 5 किमी दूर परउपुर गांव में मौजूद है.
संतान की प्राप्ति
इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से लोगों का कष्ट दूर हो जाता है, और निःसंतानों की सूनी गोद में किलकारियां गूंजने लगती हैं. लोगों में मान्यता है कि जो भी व्यक्ति संतान प्राप्ति न होने के कारण संतान सुख का भोग नहीं कर पा रहा, उसके लिए सती माता का यह मंदिर अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है. गांव के रहने वाले दूधनाथ श्रीवास्तव ने बातचीत के दौरान बताया कि यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र रहा है. यही वजह है कि लोग इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं.
Tags: Dussehra Festival, Local18, Special Project, Sultanpur news, UP news
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