बीते 9-10 सालों में भारत ने पाकिस्तान के साथ हर स्तर पर संबंधों को तोड़ लिया है. मौजूदा वक्त में भारत की आधिकारिक नीति यह रही है कि जब तक पाकिस्तान की धरती से भारत में आतंकवादी गतिविधियां चलती रहेंगी तब तक वह पड़ोसी देश से कोई बातचीन नहीं करेगा. भारत आज भी इस नीति पर कायम है. इसी कारण अंतरराष्ट्रीय और द्विपक्षीय सारें मंचों पर दोनों देशों के बीच कोई बातचीत नहीं हो रही है. भारत ने इसी नीति पर चलते हुए पाकिस्तान के साथ हर स्तर पर रिश्ते से दूरी बना रखी है. इसी कारण दक्षिण एशिया एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (SAARC) की बैठक से भी भारत ने दूरी बना ली है. अब यह संगठग करीब-करीब खत्म होने के कागार पर पहुंच गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि जयशंकर एससीओ की बैठक के लिए पाकिस्तान क्यों जा रहे हैं? आखिर SCO मोहब्बत के पीछे का राज क्या है?
रूस से दोस्ती को अहमियत
एससीओ में भारत के अलावा चीन, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान सदस्य देश हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये देश भारत के लिए इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं? दरअसल, यह एससीओ रूस का ब्रेन चाइल्ड है. यह ग्रेटर यूरेशिया के उसके सपने का हिस्सा है. ऐसे में रूस के साथ रिश्तों की अहमियत को देखते हुए भारत इस संगठन से दूरी नहीं बना सकता. इस संगठन में रूस के अलावा चार सदस्य देश- कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान पूर्व सोवियत संघ के हिस्सा हैं. भारत के मध्य एशिया के देशों के साथ भी अच्छे संबंध हैं.
सितंबर 2022 में उजबेकिस्तान के समरकंद में हुए एससीओ बैठक के वक्त पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन.
पाकिस्तान से होगी बातचीत?
भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि एस जयशंकर के इस दौरे में पाकिस्तान के साथ कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी. भारत एससीओ को महत्व देता है. इस कारण एस. जयशंकर पीएम नरेंद्र मोदी के दूत तौर पर इस बैठक में हिस्सा लेने जा रहे हैं. जानकारों का भी कहना है कि भारत को पाकिस्तान के साथ खराब रिश्ते की वजह से एससीओ की बैठक से दूरी नहीं बनानी चाहिए. आखिरकार बीते साल इस संगठन की बैठक में भाग लेने पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत आए थे. लेकिन उनके साथ भारत सरकार ने कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं की.
पिछले दिनों द हिंदू अखबार से बातचीत में पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे अजय बिसारिया कहते हैं. भारत पिछले साल बिलावल के दौरे का अहसान उतार रहा है. इस तरह अब गेंद पाकिस्तान के पाले में आ जाएगी. भारत पर आरोप लगता रहा है कि वह पाकिस्तान में आयोजित वैश्विक सम्मेलनों को भी नजरअंदाज कर देता है. एक अन्य पूर्व उच्चायुक्त टीसीए राघवन कहते हैं कि हमें किसी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के मंच पर पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय मुद्दों को हावी नहीं होने देना चाहिए. भारत के लिए एससीओ सम्मेलन का खास महत्व है. ऐसे में पाकिस्तान के साथ खराब रिश्ते की वजह से इस संगठन को कमतर नहीं करना चाहिए.
इन सभी जानकारों का मानना है कि एससीओ भारत के लिए काफी अहमियत रखता है. ऐसे में सरकार भी इस बात को समझती है और उसने इसी कारण दौरे की घोषणा के साथ ही स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान के साथ कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी.
पाकिस्तान को दिखाएंगे आईना
एस. जयशंकर के इस दौरे से एक बार फिर भारत दुनिया के मंच पर पाकिस्तान को अलग-थलग दिखाने में कामयाब होगा. वह फिर यह संदेश दे पाएगा कि जब तक पाकिस्तान अपनी धरती से आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं कर देता तब तक उसके साथ कोई बातचीत संभव नहीं है. भारत यह संदेश उसकी धरती से देगा, जो काफी प्रभावी साबित होगा.
Tags: EAM S Jaishankar, India and Pakistan
FIRST PUBLISHED : October 4, 2024, 18:20 IST
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