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देश में हर वक्त चुनावी माहौल रहता है। ऐसे में लोग राजनैतिक बहसों, चर्चाओं और गल्पों में ही उलझे रहते हैं। उनकी नजर उन बहुत सी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर कम ही पड़ती है, जो देश का गौरव और मान बढ़ाती हैं। केंद्रीय जांच एजेंसियों सीबीआई और ईडी को हाल ही में मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान ऐसी ही घटना है।

भारत में मौजूदा दौर में चल रही दलगत राजनीति ने देश के संघीय ढांचे पर कई गहरी खरोंचें स्पष्ट रूप से डाल दी हैं। केंद्र में एनडीए सरकार है और जिन राज्यों में विपक्षी पार्टियों की सरकारें हैं, वहां केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी जांच के मामलों में ये खरोंचें साफ-साफ दिखाई देने लगी हैं। यहां यह जानना दिलचस्प होगा कि जहां भारत में सीबीआई और ईडी दलगत राजनीति के द्वि-ध्रुवीय पाटों में पिसती दिखाई देती हैं, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केंद्र सरकार के इन कथित तोतों की साख में चार चांद लगते जा रहे हैं और इसे मोदी सरकार की बड़ी जीत के तौर पर देखा जाना चाहिए।

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गत 26 सितंबर (2024) को जिस दिन यह खबर आई कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने राज्य में सीबीआई जांच के लिए दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली, ठीक उस दिन ही यह महत्वपूर्ण खबर भी आई कि चीन की राजधानी बीजिंग में हुए ग्लोब नेटवर्क के पूर्ण अधिवेशन में भारत को 15 सदस्यीय ग्लोब संचालन समिति के लिए चुन लिया गया। इसके लिए वोटिंग कई स्तरों पर हुई। अब ग्लोब संचालन समिति के सदस्य के रूप में भारत भ्रष्टाचार के खिलाफ ग्लोबल एजेंडे को मजबूत करने में अहम भूमिका अदा करेगा। जाहिर है कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों पर वैश्विक बिरादरी का भरोसा बढ़ रहा है।

यह भी जान लीजिए कि तीन जून, 2021 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए हुए खास सत्र में ग्लोब नेटवर्क की रूपरेखा तैयार की गई थी। अभी ग्लोब नेटवर्क के सदस्य देशों की संख्या 121 है, जबकि सदस्य प्राधिकरणों की संख्या 219 है। भारत का गृह मंत्रालय ग्लोब नेटवर्क का केंद्रीय प्राधिकरण है। साथ ही सीबीआई और ईडी नेटवर्क के सदस्य प्राधिकरण हैं।

मतलब यह हुआ कि एक ओर विपक्षी पार्टियां और उनकी राज्य सरकारें ऐसा आरोप लगाती हैं कि उन्हें केंद्रीय जांच एजेंसियों पर भरोसा नहीं है, लेकिन पूरी दुनिया में इसका उल्टा हो रहा है। यानी दुनिया को वैश्विक भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सीबीआई और ईडी पर पूरा-पूरा भरोसा है। दुनिया के 121 देश भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए सीबीआई और ईडी को अपने यहां स्वतंत्र जांच का अधिकार दे चुके हैं।
बताते चलें कि केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने पिछले साल (2023) दिसंबर में संसद में एक सवाल के लिखित जवाब में जानकारी दी थी कि पंजाब, झारखंड, केरल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, तेलंगाना, मेघालय और तमिलनाडु ने सीबीआई जांच के लिए सामान्य सहमति वापस ली है। मतलब यह हुआ कि इन राज्यों में जांच के लिए सीबीआई को राज्य सरकारों से इजाजत लेनी होगी। ऐसे राज्यों की लिस्ट में अब कर्नाटक भी शामिल हो गया है। जैसा कि हमने ऊपर जिक्र किया है कि कर्नाटक कैबिनेट ने गत 26 सितंबर को राज्य में सीबीआई जांच के लिए दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली।
हालांकि बाकी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सीबीआई को किसी मामले की जांच के लिए राज्य सरकारों और प्रशासनों की इजाजत लेने की जरूरत नहीं है।

यह भी बताते चलें कि अदालतों की ओर से सीबीआई जांच के आदेश वाले मामलों में सामान्य सहमति वापस लिए जाने के बावजूद राज्यों की अनुमति की कोई जरूरत नहीं होगी। साथ ही बाद में राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत जिन राज्यों में बीजेपी या उसके गठबंधनों की सरकारें बन गई हैं, हो सकता है कि उन राज्यों ने सीबीआई जांच के लिए सामान्य सहमति बहाल कर दी हो या फिर बहाल कर दी जाए।

दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) एक्ट, 1946 की धारा छह के मुताबिक सीबीआई को जांच के लिए राज्य सरकारों से सहमति की जरूरत होती है। डीएसपीई अधिनियम की धारा छह के तहत सीबीआई का गठन हुआ है। इसके तहत सीबीआई राज्य सरकारों की मंजूरी के बिना उनके किसी परिक्षेत्र में अपनी ताकतों और अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकती। हालांकि राज्यों की ओर से मंजूर ‘सामान्य सहमति’ की वजह से सीबीआई को राज्यों में किसी भी मामले की जांच करने का अधिकार होता है।
पहले सभी राज्यों ने इसके लिए समान्य सहमति दे रखी थी। लेकिन केंद्र और राज्यों में अलग-अलग पार्टियों या गठबंधनों की सरकारें बनने के बाद बहुत से मामलों को ले कर टकराव बढ़ने लगे और अब कई राज्यों ने सीबीआई जांच के लिए सामान्य सहमति वापस लेना शुरू कर दिया है। साफ है कि अब समय आ गया है कि भ्रष्टाचार जैसे मामलों में दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर काम करने का वक्त आ गया है। लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा? बहरहाल, फिलहाल तो सीबीआई और ईडी को ग्लोब नेटवर्क की संचालन समिति का सदस्य बनाया जाना विश्व बिरादरी में मोदी सरकार की एक और दमदार स्वीकृति के तौर पर ही देखा जाएगा।

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Tags: CBI Director, CBI investigation, Directorate of Enforcement, ED and CBI BJP state president

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