शाहजहांपुर की पुवायां तहसील के छोटे से गांव बुझिया के प्रगतिशील युवा किसान ज्ञानेंद्र वर्मा गन्ने की खेती व्यावसायिक तौर पर कर रहे हैं. यह किसान अपने खेत में तैयार हुई गन्ने की उपज को चीनी मिल या कोल्हू पर न बचकर गन्ने को प्रोसेस कर उसके उत्पाद तैयार कर बाजार में बेच रहे है. जिससे उनको कई गुना ज्यादा मुनाफा हो रहा है. ज्ञानेंद्र पिछले 4 साल से प्राकृतिक तरीके से गन्ने की खेती कर रहे हैं.
ऐसे करते हैं गन्ना की खेती
ज्ञानेंद्र वर्मा अपने खेत में गन्ने की फसल प्राकृतिक तरीके से तैयार करते हैं. ज्ञानेंद्र ने बताया कि वह सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से जोत कर भुरभुरा बनाते हैं. उसके बाद उसमें गोबर की सड़ी हुई खाद या वर्मी कंपोस्ट मिलाकर खेत को समतल कर लेते हैं. फिर ट्रेंच विधि से कूड़ बनाकर दो आंख वाले गन्ने के टुकड़े की बुवाई करते हैं. बुवाई से पहले बीजामृत से बीज को शोधित करते हैं. जिससे फसल में किसी तरह के रोग नहीं आते. बाद में भी घन जीवामृत, कुणपजल और पंचगव्य का इस्तेमाल करते हैं. जिससे उनको नाम मात्र के खर्चे से अच्छा उत्पादन मिलता है.
एमएसपी से 3 गुना आमदनी
ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि जब गन्ने की फसल पककर तैयार हो जाती है तो वह गन्ने को चीनी मिल या कोल्हू पर बेचने की बजाय गांव के ही लगे हुए कोल्हू को किराए पर लेकर गन्ने के उत्पाद तैयार करते हैं. वह खुद अपने हाथों से गन्ने का सिरका, गन्ने की राव, गुड़ पाउडर, गन्ने की खांड, गुड क्यूब्स, गुड़ कैंडी और चटनी बनाकर बाजार में बेचते हैं. जिससे उनको प्रति क्विंटल 900 रूपए की आमदनी हो जाती है. जबकि सरकार ने गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 380 रुपए निर्धारित किया है.
Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News Hindi
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