Image Slider

  • Hindi News
  • Career
  • Changes In Ncert Books Shaheed Abdul Hameed And National War Memorial Added To 6th Class Syllabus
कुछ ही क्षण पहले

  • कॉपी लिंक

NCERT की किताबों में दो बड़े बदलाव किए गए हैं। 6वीं क्लास की किताबों में ‘नेशनल वॉर मेमोरियल’ पर कविता और ‘वीर अब्दुल हमीद’ शीर्षक वाला चैप्टर शामिल किया गया है। ये बदलाव नेशनल एजुकेशन पॉलिसी यानी NEP 2020 और नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2023 के तहत किए गए हैं।

‘वीर अब्दुल हमीद’ से मात खाने के बाद हुई पैटन टैंको की समीक्षा

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान जहां पाकिस्तान के अमेरिकन पैटन टैंक थे वहीं भारतीय सेना के सिपाही सिर्फ थ्री नॉट थ्री राइफल और लाइट मशीन गन के सहारे थे। भारतीय सेना के पास उस समय कोई बड़े हथियार नहीं थे, वहीं पाकिस्तान के पैटन टैंको को तब तक अजेय समझा जा रहा था।

इन्हीं पैटन टैंको के सहारे पाकिस्तान के पंजाब में खेम करन सेक्टर के असल उताड़ गांव पर हमला कर दिया। यहां आगे की पंक्ति में अब्दुल हमीद तैनात थे। उनके पास उस समय गन माउन्टेड जीप थी जो पैटन टैंको के सामने खिलौने जैसी लग रही थी। मगर अब्दुल हमीद पीछे नहीं हटे। उन्होंने अपनी गन माउंटेड जीप से पैटन टैंको के कमजोर अंगों पर हमला करना शुरू किया।

इस तरह कुछ ही समय में भारत का ‘असल उताड़’ गांव ‘पाकिस्तानी पैटन टैंकों’ की कब्रगाह बन गया और पाकिस्तानी सैनिक वहां से भाग खड़े हुए। लेकिन अब्दुल हमीद उन्हें यूं ही वहां से भागने नहीं दे सकते थे। वो पाकिस्तानियों का पीछा करने लगते और इसी बीच उनकी जीप पर एक गोला गिर गया जिससे वो बुरी तरह घायल हो गए। अगले दिन 1 सितंबर को उनका स्वर्गवास हो गया लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा 10 सितंबर को की गई थी।

इस युद्ध में साधारण गन माउंटेड जीप के हाथों हुई ‘पैटन टैंकों’ की बर्बादी को देखते हुए अमेरिका में पैटन टैंकों के डिजाइन को लेकर पुन: समीक्षा करनी पड़ी थी।

2019 में नेशनल वॉर मेमोरियल लोगों के लिए खोला गया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को नई दिल्ली में नेशनल वॉर मेमोरियल राष्ट्र को समर्पित किया था। इसकी स्थापना राष्ट्र की रक्षा करते हुए देश के लिए जान देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजली देने के लिए की गई थी।

NCERT किताबों में हडप्पा सिविलाइजेशन का नाम भी बदला

NCERT की 6वीं की सोशल साइंस की किताब में भी बदलाव किए गए हैं। हडप्पा सिविलाइजेशन को अब ‘इंडस-सरस्वती सिविलाइजेशन’ के नाम से जाना जाएगा। किताबों में अब जिक्र मिलेगा कि हडप्पा सिविलाइजेशन के खत्म होने की वजहों में एक सरस्वती नदी का सूखना भी था। इसके साथ किताब में यह भी बताया गया है कि भारत की अपनी ‘प्रधान मध्याह्न रेखा’ हुआ करती थी जिस ‘उज्जयिनी मध्याह्न रेखा’ कहा जाता था।

खबरें और भी हैं…
Social Media Links

Follow Us on Social Media

Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||