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राजस्थान लोक सेवा आयोग को भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आधार कार्ड के माध्यम से अभ्यर्थियों का बायोमैट्रिक सत्यापन करने की अनुमति प्राप्त हो गई है।

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अब आयोग द्वारा भर्ती प्रक्रिया के विभिन्न चरणों जैसे- लिखित परीक्षा, दस्तावेज सत्यापन, काउंसलिंग व साक्षात्कार में अभ्यर्थी की पहचान का सत्यापन इसके माध्यम से किया जा सकेगा।

आयोग का मानना है कि पिछले दिनों डमी अभ्यर्थियों के प्रकरणों को देखते हुए आधार बायोमेट्रिक सत्यापन आयोग की कार्य प्रणाली में मील का पत्थर सहायक सिद्ध होगा।

आयोग सचिव रामनिवास मेहता ने बताया कि राजस्थान लोक सेवा आयोग के आग्रह पर राज्य सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा 8 मई 2024 को इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार को इस संबंध में लिखा गया था। इस पर कार्यवाही करते हुए भारत सरकार ने आधार एक्ट 2016 की धारा 4 एवं आधार ऑथेंटिकेशन फॉर गुड गवर्नेंस नियम 2020 के अंतर्गत अभ्यर्थियों की पहचान सत्यापित करने के उद्देश्य से आधार से सत्यापन की अनुमति प्रदान की गई है।

मेहता ने बताया कि आयोग के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसके लिए गत् 6 माह से आयोग के अधिकारियों द्वारा सतत प्रयास किए जा रहे थे एवं आयोग के अधिकारियों द्वारा संबंधित मंत्रालय एवं आधार मुख्यालय की बैठकों में उपस्थित होकर आयोग की प्रक्रियाओं के लिए बायोमेट्रिक सत्यापन के महत्व को दर्शाया गया था।

कईं बदलाव कर चुका आयोग

राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से परीक्षाओं की गोपनीयता भंग करने तथा जालसाजी करने वाले व्यक्तियों व नकल गिरोहों पर लगाम के लिए आवेदन से लेकर परीक्षा प्रक्रियाओं तक में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इनमें वन टाइम रजिस्ट्रेशन के दौरान लाइव फोटो कैप्चर, परीक्षा प्रवेश-पत्र पर सिक्योरिटी थ्रेड, क्यूआर कोड, अभ्यर्थी की अंगूठा निशानी एवं हस्तलेख लेना शुरू किया है।

इसके साथ ही ओएमआर शीट में पांचवा विकल्प एवं इंटरव्यू में टोकन के माध्यम से बोर्ड आवंटन जैसी विशेष प्रक्रियाएं सम्मिलित है। आधार बायोमेट्रिक सत्यापन सुविधा प्राप्त होने से आयोग अब और अधिक सशक्त हो सकेगा तथा जालसाजी कर परीक्षाओं में सम्मिलित होने का प्रयास करने वाले व्यक्तियों की रोकथाम प्रारंभिक स्तर पर ही संभव हो सकेगी। अब चरणबद्ध रूप से अभ्यर्थियों की बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था आयोग द्वारा प्रारंभ की जाएगी।

इसलिए ये जरूरी माना

आधार कार्ड सभी भारतीयों को एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया गया है, ताकि पहचान छिपाकर धोखाधड़ी को अंजाम देने वाली घटनाएं पर अंकुश लगेगा। आधार कार्डधारक के पहचान दावे को सत्यापित करने के लिए यूआईडीएआई एक ऑनलाइन बायोमैट्रिक (फिंगर, फेस, आईरिस) सत्यापन सुविधा प्रदान करता है।

आधार द्वारा बायोमैट्रिक सत्यापन का अर्थ उस प्रक्रिया से है जिसमें 12 अंकों की विशिष्ट आधार संख्या बायोमेट्रिक्स सहित अन्य विशेषताओं के सत्यापन के लिए केंद्रीय पहचान डेटा रिपॉजिटरी को प्रस्तुत की जाती है। आधार बायोमैट्रिक के माध्यम से अभ्यर्थियों की पहचान की पुष्टि विश्वसनीय रूप से की जा सकेगी।

इसमें दस्तावेजों के आधार पर मैन्युअली अभ्यर्थी के सत्यापन करने की तुलना में अत्यल्प समय लगता है। आधार सरकार द्वारा निर्धारित आधिकारिक रूप से मान्य दस्तावेजों में से एक है और इसलिए यह कागजी कार्रवाई की प्रक्रिया को भी आसान बनाता है।

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