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28 मिनट पहले

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सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने स्टूडेंट्स को सिर्फ इंग्लिश या हिंदी में क्वेश्चन पेपर देने का फैसला किया है। इस फैसले ने MANUU यानी मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी स्कूलों के स्टूडेंट्स को परेशानी में डाल दिया है। हैदराबाद, नूंह (हरियाणा) और दरभंगा (बिहार) के MANUU स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को अब एडमिशन फॉर्म भरते समय इंग्लिश या हिंदी में से किसी एक भाषा को ही चुनना होगा।

उर्दू में लिखी आंसर शीट के मार्क्स नहीं जुड़ेंगे इस साल की शुरुआत में CBSE ने स्कूल प्रमुखों और एग्जाम सेंटर्स के सुप्रीटेंडेंट्स को निर्देश दिया था कि वे स्कूलों की जरूरत के हिसाब से 10वीं और 12वीं क्लास के क्वेश्चन पेपर इंग्लिश या हिंदी में ही छापें। इसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि बोर्ड की इजाजत के बिना हिंदी और इंग्लिश के अलावा किसी अन्य भाषा में लिखी गई आंसर कॉपी के मार्क्स का कैलकुलेशन नहीं किया जाएगा।

टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, CBSE ने कहा था कि अगर कोई स्टूडेंट बोर्ड की नीति के खिलाफ जाकर हिंदी या इंग्लिश के अलावा किसी दूसरी भाषा में आंसर लिख रहा है, तो उसका रिजल्ट उस सब्जेक्ट में कोई अंक दिए बिना घोषित किया जाएगा।

CBSE ने 2021 में उर्दू में क्वेश्चन पेपर बंद किया

MANUU मॉडल स्कूलों के मुताबिक CBSE ने उन्हें हिंदी और इंग्लिश के अलावा किसी भी भाषा पर लगाए प्रतिबंध के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। स्कूलों ने 2010 में तीन मॉडल स्कूल शुरू किए थे। MANUU स्कूल के एक अधिकारी ने यह भी बताया कि उनके स्टूडेंट्स को 2020 तक इंग्लिश, हिंदी और उर्दू में क्वेश्चन पेपर मिलते रहे थे। 2021 से बोर्ड ने उन्हें उर्दू में क्वेश्चन पेपर देना बंद कर दिया। इंग्लिश या हिंदी में क्वेश्चन मिलने के बावजूद स्टूडेंट्स पिछले तीन सालों से उर्दू में आंसर लिख रहे थे। हालांकि, CBSE के ताजा फैसले के तहत स्टूडेंट्स को उर्दू में आंसर लिखने की अनुमति नहीं होगी।

MANUU स्कूल के अधिकारी ने आगे कहा कि बोर्ड ने उर्दू में क्वेश्चन पेपर भेजना बंद करने से पहले उन्हें सूचित नहीं किया। इस फैसले की वजह से स्कूलों में स्टूडेंट्स को हिंदी या इंग्लिश का क्वेश्चन पेपर समझने में मुश्किल हो रही है।

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