महराजगंज: उत्तर प्रदेश का महाराजगंज जिला पड़ोसी देश नेपाल से लगा हुआ है. जिले का एक बड़ा हिस्सा सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित है. महाराजगंज जिला एक ग्रामीण परिवेश वाला जिला है जहां ज्यादातर लोग खेती और पशुपालन का काम करते हैं. कुछ लोग इन व्यवसाययों से जुड़ा अन्य व्यवसाय भी करते हैं. वर्तमान समय में प्रशासन भी पशुपालकों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है. इनमें खास कर स्वदेशी नस्लों कि गायों को पालने और उनके संवर्धन पर जोर दे रही है. हालांकि, दूसरे नस्लों की गायों की तुलना में स्वदेशी नस्लों की गाय ज्यादा फायदेमंद साबित होती हैं. इनका दूध स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है और इसमें मिनरल्स और विटामिन की मात्रा भी ज्यादा होती है.
पशुपालकों को मिल रहा अनुदान
पशुपालकों को स्वदेशी नस्लों की गायों के पालन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए नंद बाबा योजना के अंतर्गत अनुदान दिया जा रहा है. पशुपालकों को अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से पशुपालन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है जिससे स्वदेशी नस्लों की गायों के पालन में वृद्धि भी देखी जा रही है. इसका उद्देश्य पशुपालकों को स्वदेशी नस्लों की गायों के पालन के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है. इसके अलावा गायों के कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से भी देसी नस्लों की गायों के संवर्धन पर भी खास जोर दिया जा रहा है. कृत्रिम गर्भाधान एक ऐसा गर्भाधान तरीका है जिससे 90% बछिया ही जन्म लेती हैं और गायों का फीमेल पापुलेशन बढ़ता है.
देसी नस्ल की गायों की देखरेख है आसान
देसी नस्ल की गाय हमारे क्षेत्रिय क्लाइमेट के हिसाब से सही भी होती है और उनका रख रखाव भी अन्य नस्लों को गायों से काफी आसान होता है. इसके साथ ही ये गाय क्षेत्रीय क्लाइमेट में बहुत ही आसानी से सर्वाइव भी करती हैं. इससे पशुपालकों को काफी फायदा होता है.
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