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Delhi Metro
– फोटो : सोशल मीडिया (ट्विटर)

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दिल्ली मेट्रो के निर्माणाधीन फेज-चार के सभी कॉरिडोर पर चालक रहित मेट्रो चलाई जाएंगी। इसके लिए 312 मेट्रो कोच (52 ट्रेनें) खरीदने की प्रक्रिया शुरू की गई है। वर्तमान में फेज-4 के तीन कॉरिडोर निर्माणाधीन हैं। इनका निर्माण कार्य 2025 से 2026 में पूरा होना है। इसमें जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम, मजलिस पार्क-मौजपुर और तुगलकाबाद-एरोसिटी कारीडोर शामिल है। इन तीनों कॉरिडोर को मिलाकर कुल लंबाई 65 किलोमीटर है।

मेट्रो के अधिकारियों का कहना है कि चालक रहित ट्रेनों का बेड़ा चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा। अभी मैजेंटा और पिंक लाइन पर चालक रहित ट्रेनें संचालित हो रही हैं। इसमें पहले तो ट्रेन आपरेटर तैनात किए जाते थे, लेकिन अब पूरी तरह से स्वचालित ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इसके लिए ट्रेन के कोच से चालक के केबिन को भी हटा दिया गया है। इससे यात्रियों को बैठने के लिए और जगह मिलेगी। मैजेंटा लाइन पर 29 ट्रेनों से चालक के केबिन हटाए गए हैं।

दिल्ली मेट्रो के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अनुज दयाल ने बताया कि चालक रहित ट्रेन संचालन पहली बार दिसंबर 2020 में मैजेंटा लाइन (जनकपुरी पश्चिम से बॉटनिकल गार्डन) पर शुरू किया गया था, यह 25 स्टेशनों के साथ लगभग 37 किमी की दूरी तय करती है। बाद में नवंबर 2021 में पिंक लाइन (मजलिस पार्क से शिव विहार) पर इस तकनीक को पेश किया गया। शुरुआत में एक ट्रेन ऑपरेटर सहायता के लिए तैनात किया गया था। अब यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने और अधिक जगह प्रदान करने के लिए मैजेंटा लाइन पर ट्रेनों से चालक के केबिन हटा लिए गए हैं, जिससे ट्रेनें अब पूरी तरह से स्वचालित हो गई हैं।

वर्तमान में 97 किमी लंबा है स्वचालित नेटवर्क

दिल्ली मेट्रो का पूरी तरह से स्वचालित नेटवर्क वर्तमान में लगभग 97 किमी है। यह मैजेंटा और पिंक दोनों लाइनों पर उपलब्ध है। अधिकारियों का दावा है कि यह भारत में दिल्ली मेट्रो एकमात्र चालक रहित ट्रेन संचालन नेटवर्क बन गया है। दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन पर चालक रहित ट्रेनों की शुरुआत के साथ, डीएमआरसी दुनिया के उन सात प्रतिशत मेट्रो नेटवर्क की एलीट लीग में शामिल हो गया है जो बिना चालक के चल सकते हैं।

ऑपरेटरों पर बोझ और गलतियां होंगी कम

स्वचालित मेट्रो ट्रेनों से मानवीय हस्तक्षेप और मानवीय त्रुटियां कम होंगी साथ ही कोच की उपलब्धता में सुधार करने में भी मदद होगी। इससे जांच की मैन्युअल प्रक्रिया भी खत्म होगी जिससे ट्रेन ऑपरेटरों पर बोझ कम होगा। डिपो में स्टेबलिंग लाइन पर पार्किंग भी अपने आप होगी। चालक केबिन नहीं होने से यात्रियों की क्षमता भी बढ़ेगी। इन ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी निगरानी और बेहतर सुरक्षा के लिए रीयल-टाइम ट्रैक मॉनिटरिंग है। एलसीडी डिस्प्ले, एलईडी बैकलाइटिंग और लाइव वीडियो स्ट्रीमिंग के साथ एक डिजिटल रूट मैप भी पहली बार पेश किया गया है।

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