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-22.42 करोड़ की ठगी करने वाले दो शातिर ठगों को साइबर क्राइम की टीम ने दबोचा
-गिरोह का मुखिया विदेश से कर रहा ठगी के बिजनेस को ऑपरेट

गाजियाबाद। आजकल हर तीसरा व्यक्ति शेयर मार्केट में पैसा लगाने की सलाह दे रहा है। अब साइबर ठग भी इसी आड़ में लोगों को झांसे दे रहे हैं। जिसका हर दिन कोई न कोई शिकार हो रहा है। शेयर ट्रेडिंग में निवेश के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले गिरोह के नेटवर्क को पूरी तरह से थाना साइबर क्राइम की टीम ध्वस्त करने अपनी अहम भूमिका निभा रही है। गाजियाबाद में आरोपियों पर तीन मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें आरोपियों ने एक करोड़ 47 लाख रुपये की धनराशि विभिन्न बैंक खातों में ट्रांसफर कराई थी। आरोपियों पर तेलंगाना में सबसे ज्यादा 20 मुकदमे दर्ज हैं। हालांकि करोड़ों की ठगी मामले में तीन आरोपियों को साइबर क्राइम की टीम पूर्व में गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। गिरोह में शामिल अन्य लोगों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे है। पकड़े गए ठगों से 5 मोबाइल फोन, 1 चेकबुक, 6 एटीएम कार्ड, 1 वाई फाई डोंगल, 4 सिम कार्ड, 1 लैपटॉप, 1 आधार कार्ड, 1 पैन कार्ड बरामद किया है। पकड़े गए ठगों के नेटवर्क विदेश में बैठे साइबर ठगों से थे। गिरोह का सरगना फरार है, जो कि विदेश में रहकर पूरे नेटवर्क को संभाल रहा है।

एडीसीपी क्राइम सच्चिदानंद ने बताया कुशल पाल सिंह से 70 लाख, भगवंत कुमार सिंह बोरा से 24 लाख 81 हजार और राहुल राजा से 52 लाख 51 हजार 100 रुपये की शेयर ट्रेडिंग के नाम पर कूटरचित शेयर ट्रेडिंग ऐप टेकस्टार और यूआईसीआईसीआर आदि मोबाइल ऐप्स का प्रयोग कर फर्जी शेयर ट्रेडिंग साइबर फ्रॉड करने वाले विदेश में बैठे साइबर अपराधी से सीधे जुड़े दो ठग चेतन शर्मा पुत्र स्व: सुरेन्द्र कुमार शर्मा निवासी एफ 325 गोविन्द नगर मथुरा और राहुल कुमार साहू उर्फ मोनू पुत्र स्व: श्यामलाल तेली निवासी ग्राम आमली गंगापुर जिला भीलवाड़ा राजस्थान को रविवार देर रात थाना साइबर क्राइम प्रभारी संतोष तिवारी की टीम ने बजारिया मोड से गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों ने गाजियाबाद में तीन समेत 23 राज्यों में 168 घटनाओं में 22 करोड़ 42 लाख 38 हजार 589 रुपये की ठगी की वारदात को अंजाम दें चुके है। गाजियाबाद की तीन घटनाओं में से दो में कुल 36 लाख रुपये की रिकवरी की गई है। गाजियाबाद में एक करोड़ 47 लाख की ठगी कर चुके है। गिरोह में शामिल तीन आरोपियों को पूर्व में गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।

एडीसीपी ने बताया पकड़े गए ठगों द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर ट्रेडिंग से संबंधित वीडियो अपलोड किये जाते हैं, पीड़ित द्वारा इन वीडियो को देखकर इस वीडियो में दिए गए लिंक के माध्यम से साइबर ठगों द्वारा उन्हें विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप जैसे रैम इन्वेस्टमेंट अकादमी 146, टेकस्टार्स वीआईपी-सर्विस-टीम [33066], 100 आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज आधिकारिक स्टॉक और ए07 आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज आधिकारिक स्टॉक से जोड़ा जाता है। इन व्हाट्सअप ग्रुपों में पीडितों को शेयर ट्रेडिंग क्षेत्र से संबंधित प्रतिष्ठित व्यक्तियों की फर्जी प्रोफाइल पिक्चर व्हाट्सअप डीपी लगाकर उनके माध्यम से शेयर ट्रेडिंग के टिप्स दिए जाते थे। पीडितों को शेयर ट्रेडिंग के प्राइमरी मार्केट से इंस्टीट्यूशनल अकाउंट शेयर ट्रेडिंग का लालच दिया जाता है। इस इंस्टीट्यूशनल अकाउंट के माध्यम से पीडिट को शेयर मार्केट के अपर सर्किट के शेयर और कंपनियों के आईपीओ की असीमित मात्रा में सीधे कंपनियों से खरीद का लालच व्हाट्सएप ग्रुप पर लिंक टेकस्टार, यूआईसीआईसीआर, टीएक्सआईसीआईसी और ईआईसीक्रे जैसे कोडचिट शेयर ट्रेडिंग ऐप डाउनलोड करवाये जाते हैं। शेयर ट्रेडिंग ऐप पर शेयर ट्रेडिंग के लिए यूजर आईडी और पासवर्ड की जरूरत होती है।

इन ऐप में शेयर ट्रेडिंग की सुविधा एडिट से व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से अलग-अलग बैंकों के अलग-अलग बैंक खाते में जाते हैं, साथ ही वे पीडिट से पैसा ट्रांसफर करते हैं और इन ट्रांजेक्शन के स्क्रीनशॉट प्राप्त कर ग्राहक ऐप इन पर पीडिट केयूजर आईडी पर शेयर ट्रेडिंग करना चाहते हैं। ट्रांजेक्शन को अपडेट किया गया है एवेइस ऐप फर्जी शेयर ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज के रूप में एक राइस कॉन्स्टेंट बूते क्रम में दर्शायी जाती है। पीडित जब इस एप के माध्यम से शेयर ट्रेडिंग से बढे हुए मुनाफे को निकालने का प्रयास करता है तो ये साइबर अपराधी पैसे निकालने के लिए मुनाफे पर टैक्स और सरचार्ज बताकर और अधिक पैसा जमा करवाते हैं। टैक्स का पैसा जमा करने पर भी जब पैसा नहीं निकाल पाते तब पीड़ित को अपने साथ हुई साइबर फ्रॉड की घटना का पता चलता है। फर्जी फर्मों के नाम पर करंट अकाउंट खुलवा कर विदेश में बैठे फ्रॉडस्टर को अकाउंट के क्रेडेन्शियल व्हाट्सअप पर भेज दिये जाते हैं। धोखाधड़ी की ट्रांजैक्शन इन खातों पर होती है।

पूछताछ में ठगों ने बताया फर्जी कंपनियों के नाम पर करेंट अकाउंट खुलवाकर इन खातों को हुसैन नामक व्यक्ति को, जो कि विदेश में रहता है, बेच दिया करते थे। इसके बदले में हुसैन इनके बिनेंस अकाउंट में यूएसडीटी, क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से भुगतान किया गया था। बिनेंस अकाउंट को चेक करने पर पिछले 6 महीने में कुल 17,033 यूएसडीटी क्रिप्टो करेंसी का भुगतान किया गया, जो कि भारतीय रुपयों में करीब 15 लाख रुपये हैं। राहुल साहू, हुसैन से संबंधित ओटीपी फ्रोडस्टर को विदेश में डेडलाइन एप कुमार का लिंक प्राप्त कर चेतन शर्मा और पूर्व में गिरफ्तार में उनके दोस्त रवि शर्मा, सुशील शर्मा, भानु राघव और वांछित चल रहे मनोज कुमार कठैत को दिया गया था। इन लोगों के माध्यम से फर्जी फर्मों के करेंट लेकर हुसैन को दिया गया था।

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