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मेरा दोस्त यूपी पुलिस भर्ती की तैयारी करने प्रयागराज आया। मेरे पास रहकर तैयारी करने लगा। किसान परिवार से था। परिवार से तीन से साढ़े तीन हजार रुपए महीने में मिलते थे। जब पेपर लीक हो गया तो उसे खर्च मिलना बंद हो गया। उसने लाइब्रेरी भी छोड़ दी। मजबूरी म

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प्रयागराज में किराए के कमरे में पढ़ाई करने वाले हर्ष सिंह यह बताते हुए भावुक हो जाते हैं। आशुतोष मौर्य आजमगढ़ से आए हैं। RO/ARO परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। कहते हैं- पेपर लीक होने से बहुत निराशा हुई। घरवाले पूछने लगते हैं- बाबू, पेपर फिर कब होगा? लाइब्रेरी और साइबर कैफे संचालकों का कहना है- पहले के मुकाबले छात्रों की संख्या घटी है। करीब 30% छात्र घर लौट गए हैं।

प्रयागराज में इस तरह की कहानियों की भरमार है। उत्तर प्रदेश के दूसरे शहरों की भी यही कहानी है। लेकिन प्रयागराज इसलिए, क्योंकि प्रदेश का सबसे बड़ा कोचिंग हब है। इसलिए नौकरी की तैयारी करने ज्यादा युवा यहां आते हैं। शहर में कोचिंग के बैच घट गए हैं। फुल रहने वाले लॉज खाली होने लगे हैं।

दैनिक भास्कर ने युवाओं, कोचिंग संचालकों, लॉज संचालकों और अभ्यर्थियों से बात की…

छात्रों के घर वापस जाने से कोचिंग में खाली पड़ी सीटें।

दिसंबर, 2023 में यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड ने 62,624 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे। इसी दौरान यूपी लोक सेवा आयोग ने भी RO/ARO के 411 पदों पर भर्ती निकाली।

दोनों भर्तियों की वैकेंसी आना पहले से तय था। इसलिए यूपी के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में छात्र प्रयागराज पहुंच गए। यहां कमरा किराए पर लिया और कोचिंग में एडमिशन लेकर तैयारी में जुट गए।

11 फरवरी को RO/ARO और 17-18 फरवरी को पुलिस भर्ती परीक्षा हुई। दोनों परीक्षाओं के पेपर लीक हो गए। शहर में रहकर तैयारी कर रहे युवाओं के हाथ निराशा लगी। परिवार ने पैसे भेजने से मना कर दिया, तो छात्रों को मजबूरन प्रयागराज छोड़ना पड़ा।

पहले क्लास में जगह नहीं, आज 40-50 बच्चों को तरस रहे
संजीव तिवारी प्रयागराज के जॉर्ज टाउन में उत्थान नाम से कोचिंग संस्थान चलाते हैं। वह बताते हैं- पिछले साल तक हमारे यहां 4-4 बैच चलते थे। हर बैच में 100 से 150 बच्चे होते थे।

अब सब बंद हो गया है। मैं अंग्रेजी पढ़ाता हूं। आज 40-50 बच्चों के लिए भी तरसना पड़ रहा है। पूरे शहर में सिविल में दृष्टि और वनडे परीक्षाओं (SSC) में क्लाइमैक्स में ही लड़के दिखते हैं। बाकी संदेश एकेडमी, सागर एकेडमी जैसे बड़े-बड़े संस्थानों में बच्चों को खोजना पड़ रहा।

इसके बाद हम बैंक रोड स्थित सागर एकेडमी पहुंचे। शाम को यहां पूरी तरह से सन्नाटा था। कोचिंग कर्मचारी हरीश कहते हैं- अब सिर्फ सुबह-सुबह ही बैच चलता है। जब से परीक्षा लीक हुई, तब से शाम को कोई भी बैच नहीं चलता। पहले एक बैच में 200-250 बच्चे होते थे, अब 100 भी नहीं होते।

प्रयागराज में 500 कोचिंग संस्थान हैं। 80% प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- SSC, रेलवे, पुलिस, सेना की तैयारी करवाते हैं। बाकी 20% में सिविल, इंजीनियरिंग और मेडिकल की कोचिंग है।

​​जहां कमरे नहीं मिलते थे, वहां अब सस्ते रूम मिल रहे
प्रयागराज में 4 लाख युवा रहकर तैयारी करते हैं। तेलियरगंज, रसूलाबाद, सलोरी, बघाड़ा, अल्लापुर, कटरा, राजापुर, गोविंदपुर, कीडगंज, मम्फोर्डगंज में ज्यादातर युवा रहते हैं। पहले इन इलाकों में रूम नहीं मिलते थे। आज हालत ये है कि हर घर में कमरे उपलब्ध हैं। हर साल जो 200 से 500 रुपए किराया बढ़ता था, वह भी अब स्थिर हो गया है।

मम्फोर्डगंज में मो. सादिक के पास कुल 20 कमरे हैं। इस वक्त 8 खाली हैं। वह कहते हैं- पेपर लीक के बाद लड़के लॉज छोड़कर घर चले गए। सोचा था कि मार्च के बाद किराया बढ़ाएंगे, लेकिन युवाओं की समस्या देखकर अब पैसा बढ़ाने का मन नहीं है।

लाइब्रेरी में भी घट गए युवा
प्रयागराज में कोचिंग संस्थानों के बाद दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा लाइब्रेरी हैं। 3 साल में लाइब्रेरी के बिजनेस में 500% का इजाफा हुआ। पूरे शहर में करीब 200 लाइब्रेरी खुल गईं। कटरा में विकल्प लाइब्रेरी है।

इसके संचालक सुरेश यादव कहते हैं- शहर में रहने वाले युवाओं में ज्यादातर किसान परिवार से हैं। वक्त लेकर आते हैं, 1-2 साल में सफल नहीं होते हैं तो घर लौटने का प्रेशर होता है। इस समय छात्रों की संख्या घटी है।

दैनिक भास्कर ने कई और लाइब्रेरी में आंकड़ा पता किया, तो हर जगह ही 20-30% बच्चों की कमी मिली।

साइबर कैफे का बिजनेस 70% डाउन
कटरा में यूनिवर्सिटी के आसपास करीब 50 साइबर कैफे हैं। यहां हमेशा प्रतियोगी परीक्षा फॉर्म भरने को लेकर युवाओं की भीड़ रहती थी, लेकिन अब सन्नाटा है।

करीब 7 साल से साइबर कैफे चला रहे आमिर शेख कहते हैं- पेपर लीक के बाद हमारा धंधा करीब 70% डाउन हो गया। 30% में किसी तरह काम चल रहा। पहले फुरसत नहीं रहती थी, अब खाली बैठना पड़ता है।

उन युवाओं का दर्द, जो कई साल से तैयारी कर रहे हैं…

घर से पैसा तो मिलता है, लेकिन पूछा जाता है कब तक देना होगा
मऊ के सुनील यादव का भी यही दर्द है। वह कहते हैं- घर से अब पैसा तो मिलता है, लेकिन साथ में सवाल पूछा जाता है कि कब तक देना होगा।

रजत सिंह प्रयागराज में रहकर शिक्षक भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। कहते हैं कि पिछली शिक्षक भर्ती 2018 में आई थी। 6 साल बीत गए। शहर में बहुत सारे युवा शिक्षक भर्ती तैयारी कर रहे थे, लेकिन 6 साल का वक्त बहुत बड़ा होता है। कोई पढ़ाई करने के बाद इतने दिन तक इंतजार नहीं कर सकता। यही वजह है कि अधिकतर लोग यहां से निकलकर दूसरे कामों में जुट गए।

प्रतापगढ़ के रवि शंकर यादव 4 साल से प्रयागराज में रहकर तैयारी कर रहे हैं। कहते हैं- पिछले दिनों नेट का पेपर दिया था, वह भी रद्द हो गया। जब NTA जैसी संस्था पर सवाल खड़ा हो रहा, तो समझ सकते हैं कि कितनी दिक्कत है।

मेरे जैसे बहुत सारे लड़के हैं, जो 10 बाई 12 के कमरे में संघर्ष कर रहे हैं। अब तो सेंस ऑफ फेलियर जैसी स्थिति है, क्या आगे जो परीक्षाएं होंगी, वह सही से हो पाएंगी?

परिवार की कमाई इतनी नहीं कि प्रयागराज में रह सकें
प्रयागराज में युवाओं से बात करने के बाद हम उन लड़कों से मिले जो प्रयागराज छोड़ चुके हैं। सतीश यादव पहले यहीं रहकर पुलिस भर्ती की तैयारी करते थे। 24 घंटे की लाइब्रेरी जॉइन की थी।

महीने का 1400 रुपए देते थे। वो कहते हैं- परीक्षा लीक हुई तो अच्छा नहीं लगा। हम लोग किसान परिवार से हैं तो पैसे को लेकर दिक्कत होती है। पैसे की तंगी के चलते ही सब कुछ छोड़ना पड़ा। सरकार ने कहा था कि 6 महीने में भर्ती करवाएंगे, लेकिन 4 महीने बीत गए, अब तक परीक्षा लेने वाली एजेंसी क्लियर नहीं हो पाई।

छोटी-छोटी दुकानों पर बड़ा असर
प्रयागराज से प्रतियोगी छात्रों के जाने से स्थानीय दुकानदारों पर भी असर पड़ा है। उनका बिजनेस डाउन हुआ है। इन सबके बीच एक सवाल यह भी कि क्या छात्र वापस प्रयागराज आएंगे? इसका हां या न में जवाब नहीं है। अगर भर्तियां निकलती हैं तो संभावना है कि वो वापस आएं।

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