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नई दिल्ली44 मिनट पहले

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दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से सवाल किया है कि क्या इंडियन आर्म्ड फोर्सेस के इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA), इंडियन नेवल एकेडमी (INA) और एयर फोर्स एकेडमी (AFA) में कॉम्बाइंड डिफेंस एग्जामिनेशन (CDS) के जरिए महिलाओं को एंट्री मिल सकती है। हाईकोर्ट ने केंद्र को 8 हफ्ते में जवाब देने को कहा है।

कोर्ट ने ये आदेश कुश कालरा नाम के याचिकाकर्ता की याचिका पर दिया। इसमें कालरा ने दिसंबर 2023 को जारी हुए UPSC के एक नोटिफिकेशन को चैलेंज दिया था। इस नोटिफिकेशन में इंडियन मिलिट्री एकेडमी, इंडियन नेवल एकेडम, एयर फोर्स एकेडमी और ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) में CDS एग्जाम के जरिए रिक्रूटमेंट के लिए एप्लीकेशन मंगाई गई थी।

HC बोला- केंद्र 8 हफ्तों में कानून के तहत निर्णय ले
शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा ने संज्ञान लिया कि इस मामले में याचिकाकर्ता की याचिका अब तक संबंधित अथॉरिटी के पास पेंडिंग पड़ी है। जजों ने कहा कि हम केंद्र को आदेश दे रहे हैं कि वे 8 हफ्तों में कानून के तहत महिलाओं के रिप्रेजेंटेशन को लेकर कोई निर्णय लें। इस आदेश के साथ हम इस याचिका का निपटारा कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता ने कहा- महिलाओं को जेंडर के आधार पर एग्जाम से बाहर रखना गलत
याचिकाकर्ता ने अपील की थी कि IMA, INA और IAF की तरफ से कराए जाने वाली परीक्षा के नोटिफिकेशन में महिलाओं को उनके जेंडर के आधार पर अनुचित रूप से बाहर रखा गया है। महिलाओं को सिर्फ OTA में शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए अप्लाई करने की अनुमति है।

याचिकाकर्ता के मुताबिक, जब रक्षा मंत्रालय ने NDA एग्जाम में महिलाओं को एंट्री दे दी है और हर साल सेना में भर्ती होने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है, तो CDS एग्जाम के जरिए IMA, INA और IAF में महिलाओं की भर्ती ने करने का कोई कारण नजर नहीं आता है।

याचिका में अपील- महिलाओं के समानता के अधिकार का हनन हो रहा
याचिका में कहा गया कि योग्य महिला उम्मीदवारों को देश के सबसे बड़े ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स में ट्रेनिंग लेने का मौका न देना, उनके समानता के मौलिक अधिकार का हनन है। केंद्र सरकार उपयुक्त शिक्षा हासिल किए अविवाहित पुरुष उम्मीदवारों को CDS परीक्षा देने और इंडियन मिलिट्री एकेडमी, इंडियन नेवल एकेडमी और एयर फोर्स एकेडमी जॉइन करने की अनुमति देता है। हालांकि, योग्य और इच्छुक महिला उम्मीदवारों को यही एग्जाम लेने की अनुमति नहीं दी जाती है। और इसके लिए कोई सही कारण भी नहीं बताया जाता है।

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