———–

  • Hindi News
  • National
  • Manipur Lok Sabha Election Violence; Polling Booth Firing | Imphal Bishnupur
इंफाल2 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

मणिपुर में बिष्णुपुर जिले के थमनपोकपी में एक मतदान केंद्र पर गोलीबारी हुई है।

2024 लोकसभा चुनाव के फर्स्ट फेज के दौरान शुक्रवार को मणिपुर में बिष्णुपुर जिले के थमनपोकपी में एक मतदान केंद्र पर गोलीबारी हुई। इसमें 3 लोग घायल हो गए। वहीं, इंफाल ईस्ट के थोंगजू के एक बूथ पर EVM में तोड़फोड़ की खबर सामने आई। हालांकि हमला किसने किया, इसकी जानकारी नहीं है।

राज्य की दो सीटों- इनर मणिपुर और आउटर मणिपुर सीट पर आज वोटिंग हो रही है। आउटर सीट के हिंसा प्रभावित इलाकों के कुछ बूथ पर 26 अप्रैल को भी वोटिंग होगी। राज्य में पिछले साल 3 मई से कूकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है।

कूकी संगठनों ने कुछ दिन पहले लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया है। उन्होंने न्याय नहीं तो वोट भी नहीं का नारा लगाया है। राज्य में अब तक हुई हिंसा की घटनाओं में 200 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।

फायरिंग और तोड़फोड़ की तस्वीरें…

इम्फाल पूर्व के थोंगजू के एक बूथ में EVM को तोड़ दिया गया।

इम्फाल पूर्व के थोंगजू के एक बूथ में EVM को तोड़ दिया गया।

ये बूथ के अंदर की तस्वीर है। कुछ उपद्रवियों ने EVM मशीन जमीन पर फेंक दी।

ये बूथ के अंदर की तस्वीर है। कुछ उपद्रवियों ने EVM मशीन जमीन पर फेंक दी।

मणिपुर में BJP सबसे बड़ी पार्टी, NPP और NPF से अलायंस
मणिपुर में BJP सबसे बड़ी पार्टी है। उसने कुछ लोकल पार्टियों के साथ अलायंस किया है। नेशनल पीपुल्स पार्टी यानी NPP और नगा पीपुल्स फ्रंट यानी NPF इस अलायंस का हिस्सा हैं। BJP ने सिर्फ इनर मणिपुर पर कैंडिडेट उतारा है। आउटर मणिपुर में वह NPF को सपोर्ट कर रही है।

2019 के लोकसभा चुनाव में BJP ने दोनों सीटों पर कैंडिडेट उतारे थे। पार्टी को सिर्फ इनर मणिपुर सीट पर जीत मिली थी। आउटर मणिपुर में NPF ने BJP को हरा दिया था। सूत्रों के मुताबिक, इस बार भी दोनों सीटें BJP और NPF के पास ही रहेंगीं।

कांग्रेस ने दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारे
कांग्रेस मणिपुर की दोनों सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पार्टी ने इनर मणिपुुर से प्रो. अकोइजाम बिमोल और आउटर मणिपुर से अल्फ्रेड के आर्थर को टिकट दिया है। 2019 में भी पार्टी ने दोनों सीट पर उम्मीदवार उतारे थे। उसे 24% वोट तो मिले, लेकिन सीट एक भी नहीं मिली।

वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, यानी CPI एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। पार्टी ने इनर मणिपुर सीट पर कैंडिडेट उतारा है। 2019 के चुनाव में भी पार्टी ने सिर्फ इसी सीट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गई थी।

आउटर मणिपुर सबसे हॉट सीट, दोनों कैंडिडेट नगा कम्युनिटी से
मणिपुर में सबसे ज्यादा हिंसा वाले इलाके आउटर मणिपुर सीट में ही आते हैं। BJP यहां नगा पीपुल्स फ्रंट के कैंडिडेट टिमोथी जिमिक को सपोर्ट कर रही है। जिमिक इंडियन रेवेन्यू सर्विस में अफसर रहे हैं। वे नगा कम्युनिटी से आते हैं। उनके मुकाबले में खड़े हुए कांग्रेस कैंडिडेट अल्फ्रेड के आर्थर भी नगा हैं। कुकी समुदाय से कोई भी चुनाव मैदान में नहीं है।

‘यंग कुकी’ ग्रुप ने इलेक्शन का बायकॉट किया
कुकी समुदाय के ग्रुप यंग कुकी ने हिंसा के विरोध में इलेक्शन का बायकॉट करने का फैसला किया है। ग्रुप से करीब 1000 लोग जुड़े हैं। ग्रुप की मेंबर हटजल हॉकिप कहती हैं, ‘यंग कुकी कोई ऑर्गेनाइजेशन नहीं है और न ही ये किसी से जुड़ा है। ये समान विचारधारा वाले लोगों का एक ग्रुप है, जो कुकी युवाओं के सेंटिमेंट्स और अधिकारों की बात करता है।

हॉकिप ने बताया- हम मणिपुर में बने हालात की वजह से इस चुनाव के खिलाफ हैं। हम ऐसे चुनाव को कैसे मंजूर करें, जब राज्य और केंद्र सरकार हमारा अस्तित्व ही नहीं मानती हैं। हमारे बुरे हालात पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। हमने इतनी शिकायतें की, आवाज उठाई, लेकिन हम अब भी पॉलिटिकली अलग-थलग पड़े हैं। हमें कोई लीडरशिप ही नहीं दिखती तो वोट क्यों दें।

इनर मणिपुर सीट पर कांग्रेस-भाजपा में मुकाबला
इनर मणिपुर सीट पर BJP और कांग्रेस आमने-सामने हैं। BJP ने इस सीट से रिटायर्ड IPS थौनाओजम बसंत कुमार सिंह को कैंडिडेट बनाया है। बसंत कुमार अभी मणिपुर के शिक्षा मंत्री हैं और IPS अधिकारी रह चुके हैं।

वहीं, कांग्रेस ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अकोइजाम बिमोल को टिकट दिया है। CPI ने लैशराम सोनित कुमार सिंह को कैंडिडेट बनाया है। सोनित पार्टी के पूर्व स्टेट सेक्रेटरी और ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के यूनिट जनरल सेक्रेटरी हैं।

BJP और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपने उम्मीदवार बदले हैं। इस सीट से 2019 में BJP के आरके रंजन जीते थे। वे केंद्र सरकार में विदेश राज्य मंत्री हैं। कांग्रेस कैंडिडेट प्रोफेसर बिमोल पहला चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

इनर मणिपुर से BJP का दावा मजबूत, लेकिन जीत आसान नहीं
एक्सपर्ट्स की मानना है कि 2019 में इनर मणिपुर सीट BJP ने जीती थी, लेकिन इस बार पार्टी के लिए ये सीट निकालना मुश्किल लग रहा है। इसकी वजह राज्य में एक साल से जारी हिंसा ही है। BJP ने इस सीट पर मार्च के आखिर में कैंडिडेट का ऐलान किया है।

मणिपुर में 1.5 लाख मुस्लिम वोटर्स
मणिपुर की इनर और आउटर सीटों पर करीब 1.5 लाख मुस्लिम वोटर हैं। मणिपुरी मुस्लिम ऑनलाइन फोरम के प्रेसिडेंट रईस अहमद कहते हैं, ‘राज्य में हिंसा खत्म होने के बाद चुनाव होते तो ठीक रहता। केंद्र और राज्य दोनों ही जगह BJP की सरकार है। राज्यसभा सांसद भी BJP से हैं। सरकार चाहे तो हफ्ते भर में मणिपुर में हिंसा रोककर सब ठीक कर सकती है, लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही है।’

कांग्रेस का जीत का दावा, लेकिन फेयर इलेक्शन न होने का डर
मणिपुर में चुनाव को लेकर विपक्ष डरा हुआ है। कांग्रेस पार्टी के स्टेट प्रेसिडेंट मेघाचंद्र कहते हैं, ‘मणिपुर में इन हालात में चुनाव होना मुश्किल है। प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर पूरी तरह खत्म है। ये डबल इंजन सरकार का फेलियर है। आउटर मणिपुर से हमारे कैंडिडेट अल्फ्रेड की दो सभाओं में गोली चली। कैंडिडेट लोगों से ही नहीं मिल पाएगा, तो फेयर इलेक्शन कैसे होगा।’

मेघाचंद्र दावा करते हैं कि कांग्रेस दोनों सीटों पर जीतेगी। बातचीत के दौरान ही वे मोबाइल फोन पर सभा में गोली चलने का वीडियो दिखाते हैं। कहते हैं, ‘ये डबल इंजन की सरकार है। यहां कानून व्यवस्था ठीक नहीं है। हमारा राज्य पिछले 10 महीने में बर्बाद हो गया है।’

‘कांग्रेस चाहती है कि सरकार यहां की व्यवस्था ठीक करे। मणिपुर में सभी पोलिंग स्टेशन पर बड़ी संख्या में फोर्स तैनात होगी, तभी वोटिंग हो पाएगी। वरना यहां वोट डालना मुश्किल हो जाएगा।’

हिंसा के बाद 65 हजार से ज्यादा लोगों ने घर छोड़ा
मणिपुर में अब तक 65 हजार से अधिक लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। 6 हजार मामले दर्ज हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। राज्य में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 IPS तैनात किए गए हैं। पहाड़ी और घाटी दोनों जिलों में कुल 129 चौकियां स्थापित की गईं हैं।

इम्फाल वैली में मैतेई बहुल है, ऐसे में यहां रहने वाले कुकी लोग आसपास के पहाड़ी इलाकों में बने कैंप में रह रहे हैं, जहां उनके समुदाय के लोग बहुसंख्यक हैं। जबकि, पहाड़ी इलाकों के मैतेई लोग अपना घर छोड़कर इम्फाल वैली में बनाए गए कैंपों में रह रहे हैं।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

लोकसभा चुनाव 2024 की ताजा खबरें, रैली, बयान, मुद्दे, इंटरव्यू और डीटेल एनालिसिस के लिए दैनिक भास्कर ऐप डाउनलोड करें। 543 सीटों की डीटेल, प्रत्याशी, वोटिंग और ताजा जानकारी एक क्लिक पर।

खबरें और भी हैं…

Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||