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Agency:एजेंसियां

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Consumer Court News: कंपनी या सर्विस प्रोवाइडर की ओर से ग्राहकों का जब ध्‍यान नहीं रखा जाता है तो उनके पास कोर्ट जाने के अलावा कोई और विकल्‍प नहीं बचता है.

₹3800000 की लग्‍जरी कार, रिपेयर कॉस्‍ट ₹5500000, अब आया कोर्ट का फैसला

लग्‍जरी कार खरीदने वाले एक ग्राहक को स्‍टेट कंज्‍यूमर डिस्‍प्‍यूट रिड्रेसल कमीशन ने बड़ी राहत दी है. (सांकेतिक तस्‍वीर)

अहमदाबाद. लग्‍जरी कार खरीदने वाले एक शख्‍स को 12 साल के बाद गुजरात स्‍टेट कंज्‍यूमर डिस्‍प्‍यूट रिड्रेसल कमीशन की ओर से बड़ी राहत दी गई है. कमीशन ने एक अहम फैसले में सूरत के एक लग्जरी कार डीलर और उसके आफ्टर-सेल्स सर्विस प्रोवाइडर को सेवा में गंभीर कमी का दोषी ठहराया है. आयोग ने दोनों को संयुक्त रूप से 32.50 लाख रुपये ग्राहक को लौटाने का आदेश दिया है. यह फैसला एक ऐसी कार से जुड़ा है जो समुद्र के खारे पानी में डूबने के बाद पिछले 12 सालों से बिना मरम्मत के सर्विस सेंटर में पड़ी हुई है.

यह मामला सूरत निवासी परेश पंजाबी से जुड़ा है, जिन्होंने नवंबर 2012 में 38 लाख रुपये की एक लग्जरी कार खरीदी थी. जनवरी 2013 में सूरत के सुवाली बीच की यात्रा के दौरान उनकी कार कीचड़ में फंस गई और सर्विस एजेंसी की देर से आई मदद के कारण समुद्री पानी में डूब गई. स्थानीय लोगों की मदद से कार को बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक वह काफी क्षतिग्रस्त हो चुकी थी. कार को सर्विस सेंटर भेजा गया, लेकिन 12 साल बीतने के बावजूद आज तक उसकी मरम्मत नहीं हुई.

55 लाख रुपये का खर्चा बताया

सर्विस सेंटर ने कार की मरम्मत का खर्च 55 लाख रुपये बताया, जिसे बीमा कंपनी ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वाहन मालिक की लापरवाही के कारण ही कार फंसी थी. इसके बाद परेश पंजाबी ने उपभोक्ता आयोग में स्थानीय डीलर, सर्विस एजेंसी और बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने खराब प्रोडक्ट, गुमराह करने वाले विज्ञापन और बिक्री के बाद घटिया सेवा का आरोप लगाया. हालांकि, आयोग ने कार में निर्माण दोष की बात को खारिज करते हुए बीमा कंपनी की दलील को सही ठहराया, लेकिन सर्विस एजेंसी को जमकर फटकार लगाई. आयोग ने अपने आदेश में कहा, ‘सर्विस एजेंसी ने सेवा के बड़े-बड़े दावे किए, लेकिन जब असली मदद की जरूरत पड़ी, तो वे पीछे हट गए. उन्होंने मरम्मत का खर्च जानबूझकर बहुत अधिक बताया ताकि ग्राहक के नुकसान से मुनाफा कमाया जा सके, जो पूरी तरह अनैतिक है.’

32 लाख रुपये का मुआवजा

आयोग ने यह भी कहा कि यदि समय रहते सेवा दी जाती, तो नुकसान को टाला जा सकता था. अब चूंकि कार सर्विस सेंटर में वर्षों से पड़ी है, वह अब तक कबाड़ में तब्दील हो चुकी होगी. ऐसे में आयोग ने डीलर और सर्विस सेंटर को कार अपने पास रखने और ग्राहक को 32.50 लाख रुपये बतौर हर्जाना चुकाने का निर्देश दिया है. यह मामला लग्जरी गाड़ियों की बिक्री और सेवा को लेकर कंपनियों द्वारा किए गए दावों की सच्चाई पर सवाल खड़े करता है, खासकर तब जब उपभोक्ता संकट में होता है.

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Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु…और पढ़ें

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