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बलिया:  इनदिनों किसानों के खेत में धान की नर्सरी लहलहा रही है. धान की खेती का यह शुरुआती दौर होता है, जिसके बाद पौधे बड़े होने पर उनकी रोपनी की जाती है. लेकिन इस बीच अगर शुरुआती दौर में ही समस्या शुरू हो जाए, तो किसान बेहद परेशान हो जाते हैं, लेकिन किसानों को अब परेशान होने की जरूरत नहीं है. नर्सरी में आ रही तमाम समस्याओं से निजात पाने के लिए बहुत आसान तरीका अपनाया जा सकता है.

कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो इन तरीकों को अपनाने के बाद नर्सरी में संभवत: किसी प्रकार की समस्या नहीं आती है. नर्सरी पर अगर अच्छे से ध्यान दिया जाए, तो बुवाई के बाद फसल में भी बहुत कम दिक्कतें आती हैं और पैदावार भी  ज्यादा होता है.. विस्तार से जानिए…

धान की नर्सरी में आ रही हैं ये समस्याएं

पटखौली निवासी वरिष्ठ किसान नवीन कुमार राय ने बताया कि धान की कई नर्सरी लगाई गई है, जिसमें से कुछ नर्सरी लगातार विकास कर रही हैं, लेकिन कुछ नर्सरी में लगे पौधों में दिक्कत आ रही है या तो पौधे की पत्तियां भूरे या पीले रंग की हो रही हैं या पौधे का विकास ही बिल्कुल रुक जा रहा है. इसके लिए नवीन ने खाद उर्वरक का प्रयोग किया है. उन्होंने बताया कि ऐसा करने से ऐसी दिक्कतें पहले खत्म हो जाती थीं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने एक्सपर्ट से सलाह लिया.

क्या है उपाय

श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के HOD प्रो. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि जिन किसान भाइयों ने धान की नर्सरी लगा दी है, वह खेत में नमी बनाए रखें. इसमें आद्र गलन की समस्या आती है, जिसमें पौधा जमीन के पास से ही सड़ कर सूखने और गिरने लगता है. इसके लिए फफूंदी नाशक का छिड़काव एक बार जरूर करना चाहिए. नर्सरी में तीसरी बीमारी जिंक की कमी के कारण आती है, जिन्हें खैरा रोग कहा जाता है. यह रोग धान के रोपाई के बाद भी लगता है.

किन दवाओं का करें इस्तेमाल

अगर धान की नर्सरी में पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे, जगह-जगह पर झुंड में बन रहे हैं तो एक बार .5% जिंक सल्फेट का उपयोग जरूर कर दें. वैसे इसके बाद चौथी सबसे बड़ी समस्या सूक्ष्म मातृक पोषक तत्वों की कमी के कारण आती है. जैसे छोटे बच्चे पर अच्छे से ध्यान न दिया जाए तो कई समस्या आ जाती है, ठीक वैसे ही धान की नर्सरी यानी पौधशाला में भी दिक्कतें आ जाती हैं. इसके लिए बाजार में सूक्ष्म मातृक पोषक तत्वों का पाउडर मल्टीप्लेक्स नाम से आता है. इसका भी एक बार छिड़काव कर दें. वैसे जिन्होंने नर्सरी लगाने से पहले गोबर की खाद या उक्त पाउडर मिट्टी में मिलाया है, उसकी नर्सरी में यह समस्या नहीं आती है.

सिंचाई है जरूरी

इस समय बहुत तेज गर्मी पड़ रही है, इसलिए सिंचाई करते रहें. अगर खेत में नमी या समय पर पानी नहीं दिया जाएगा तो कई समस्या आ सकती हैं. किसानों को सावधानी के साथ नर्सरी की देखभाल करना आवश्यक है.

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