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Moongfali Farming: दूसरी फसलों की तुलना में मूंगफली की फसल को छुट्टा मवेशियों से कम नुकसान होता है, क्योंकि ये पशु इसके पौधों को खाना पसंद नहीं करते. साथ ही, मूंगफली जमीन के अंदर होती है, जिससे इन्हें नुकसान पह…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • मूंगफली की फसल से किसानों को अच्छी कमाई हो रही है.
  • मूंगफली की फसल को छुट्टा मवेशियों से कम नुकसान होता है.
  • मूंगफली की खेती से जैविक खाद भी तैयार होती है.

फर्रुखाबाद. बदलते मौसम और बढ़ती महंगाई के बीच किसान अब पारंपरिक खेती से हटकर ऐसी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं, जिनसे कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके. फर्रुखाबाद के एक किसान, जो पिछले 30 साल से खेती कर रहे हैं, इन दिनों अपने खेतों में मूंगफली की खेती कर रहे हैं. वे बताते हैं कि यह फसल आमतौर पर मानसून के साथ बोई जाती है और 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है. इसमें मेहनत और खर्च दोनों कम लगते हैं, जबकि मुनाफा अच्छा निकल आता है.

कम मेहनत में होगी बंपर कमाई
मनोज कुमार पाल ने बताया कि वह हर साल सात बीघा खेत में मूंगफली की खेती करते आ रहे हैं. उनकी उम्र को देखते हुए वह ऐसी फसल को प्राथमिकता देते हैं, जिसमें कम मेहनत लगे, और मूंगफली की फसल इसमें पूरी तरह से मुफीद साबित होती है. एक बीघा खेत में लगभग 16 किलो मूंगफली बीज की आवश्यकता होती है, जिसकी कीमत 60 से 80 रुपये प्रति किलो तक होती है. यह फसल करीब 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है और एक बीघा में चार से पांच कुंतल तक की पैदावार हो जाती है.

मक्का को भी मात दें रही मूंगफली
किसान बताते हैं कि कई लोग मूंगफली की खेती इतने अच्छे तरीके से करते हैं कि उन्हें प्रति बीघा साढ़े तीन से चार कुंतल तक की पैदावार मिल जाती है. मौजूदा समय में मूंगफली का भाव लगभग छह हजार रुपये प्रति कुंतल चल रहा है, जिससे एक बीघा से करीब 21 हजार रुपये या उससे अधिक की आमदनी हो रही है. यह मक्का की तुलना में कहीं अधिक लाभदायक है, क्योंकि इस साल मक्का की कीमतों में गिरावट आई है और इसका भाव करीब 400 रुपये प्रति कुंतल तक पहुंच गया है, जिससे प्रति बीघा केवल 14 हजार रुपये की ही आमदनी हो पा रही है.

छुट्टा मवेशी भी नहीं करते हैं नुकसान
दूसरी फसलों की तुलना में मूंगफली की फसल को छुट्टा मवेशियों से कम नुकसान होता है. किसान बताते हैं कि मवेशी मूंगफली के पौधों को खाना पसंद नहीं करते, वहीं मूंगफली जमीन के अंदर होती है, जिससे इन पशुओं के लिए इसे नुकसान पहुंचाना और भी मुश्किल हो जाता है. इसी कारण यह फसल अन्य फसलों की अपेक्षा सुरक्षित रहती है और नुकसान की संभावना कम होती है.

फ्री में होती हैं खाद तैयार
किसान बताते हैं कि मूंगफली की खेती के बाद जब फसल को पौधों से अलग कर लिया जाता है, तो वे उन बचे हुए पौधों को खेत के एक कोने में इकट्ठा कर जैविक खाद तैयार करते हैं. इस खाद का उपयोग वे अगली फसलों में करते हैं, जिससे पैदावार में बढ़ोतरी होती है. इस तरह मूंगफली से न सिर्फ उन्हें सीधी आमदनी होती है, बल्कि इसके अवशेष से बनी खाद के जरिए दूसरी फसलों में भी फायदा होता है, जिससे एक तरह से उन्हें डबल कमाई हो जाती है.

पोषक तत्वों से भरपूर 
जिस प्रकार मूंगफली का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है, उसका कारण इसमें मौजूद पोषक तत्व हैं. मूंगफली में फोलेट, विटामिन E, मैग्नीशियम, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो इसे एक पौष्टिक आहार बनाते हैं. इसके सेवन से न केवल शरीर को ऊर्जा मिलती है, बल्कि यह समग्र स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है. मूंगफली शारीरिक विकास में भी सहायक होती है, इसलिए इसका नियमित सेवन सेहत के लिए लाभदायक माना जाता है.

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