Ludhiana By Election News : लुधियाना उपचुनाव 2025 आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के लिए महत्वपूर्ण है. क्या दिल्ली में हार के बाद पंजाब में जीत AAP की साख बचाने और 2027 के चुनाव के लिए महत्वपूर्ण होगी?
हाइलाइट्स
- लुधियाना उपचुनाव AAP के लिए साख की लड़ाई है.
- केजरीवाल ने लुधियाना में आक्रामक प्रचार शुरू किया है.
- लुधियाना की जीत AAP को 2027 के लिए रणनीतिक बढ़त दे सकती है.
लुधियाना. पंजाब की लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर 19 जून 2025 को होने वाला उपचुनाव आम आदमी पार्टी (AAP) और इसके राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के लिए एक अग्निपरीक्षा बन चुका है. जनवरी 2025 में AAP विधायक गुरप्रीत सिंह गोगी के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर पार्टी ने अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को उतारा है. दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार के बाद केजरीवाल का फोकस पंजाब पर है और यह उपचुनाव 2027 के पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए एक लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. लेकिन AAP की सांस क्यों अटकी हुई है और क्या यह जीत केजरीवाल के लिए 2027 का गोल सेट कर देगी?
लुधियाना उपचुनाव क्यों केजरीवाल के लिए अहम?
AAP की सांस पंजाब में कई कारणों से अटकी है. पहला, दिल्ली की हार के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर हुआ है. दूसरा, पंजाब में AAP सरकार के तीन साल पूरे होने के बावजूद बिजली, बेरोजगारी और किसानों के मुद्दों पर विपक्षी दलों का दबाव बढ़ रहा है. कांग्रेस सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने दावा किया कि AAP के कई विधायक असंतुष्ट हैं और मध्यावधि चुनाव की संभावना है. इसके अलावा, लुधियाना में कांग्रेस के भारत भूषण आशु, BJP के जीवन गुप्ता और शिरोमणि अकाली दल के परुपकर सिंह घुम्मन के साथ कड़ा मुकाबला है.
केजरीवाल ने लुधियाना में आक्रामक प्रचार शुरू किया है. उनके X पोस्ट्स में दावा है कि जनता “पंजाब में तरक्की और स्थायी विकास” को वोट देगी. पार्टी ने 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की, जिसमें भगवंत मान, मनीष सिसोदिया, सुनीता केजरीवाल और हरभजन सिंह शामिल हैं. यह रणनीति शहरी मतदाताओं को लुभाने की है, क्योंकि लुधियाना AAP का मजबूत गढ़ रहा है. 2022 में पार्टी ने यहां 92 सीटें जीती थीं.
पंजाब चुनाव 2027 के लिए गोल सेट करेंगे केजरीवाल?
लुधियाना की जीत AAP को 2027 के लिए रणनीतिक बढ़त दे सकती है. यह न केवल कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाएगी, बल्कि केजरीवाल को राष्ट्रीय राजनीति में फिर से स्थापित कर सकती है. हार की स्थिति में पार्टी की साख और पंजाब सरकार की स्थिरता पर सवाल उठ सकते हैं. विश्लेषकों का मानना है कि यह उपचुनाव AAP की नीतियों और केजरीवाल की नेतृत्व क्षमता का जनता के बीच परीक्षण है.
कुल मिलाकर, लुधियाना उपचुनाव के नतीजे 23 जून को आएंगे और यह तय करेंगे कि क्या केजरीवाल 2027 का गोल सेट कर पाएंगे या AAP की सांस और अटकी रहेगी. दिल्ली में AAP के सत्ता में होने के कारण पंजाब में उनकी सक्रियता बढ़ी है, जहां 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं. दिल्ली में केजरीवाल की अनुपस्थिति ने BJP को हमला करने का मौका दिया है. हरियाणा के CM नायब सिंह सैनी ने कहा, “केजरीवाल ने दिल्ली के लिए कुछ नहीं किया और अब पंजाब में सत्ता की चाह में भटक रहे हैं.” दिल्ली में AAP की हार के बाद पार्टी के सामने पंजाब में अपनी साख बचाने की चुनौती है. विश्लेषकों का मानना है कि केजरीवाल की यह रणनीति AAP को पंजाब में मजबूत कर सकती है, लेकिन दिल्ली में उनकी अनुपस्थिति पार्टी की जमीनी पकड़ को कमजोर कर रही है.
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा…और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा… और पढ़ें
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