Progressive Farming Tips : अमेठी के इन किसानों ने खेती के परंपरागत तरीके बदल दिए हैं और आज वे दूसरों के लिए मिसाल हैं. कोई जैविक खेती कर रहा है तो ड्रैगन फ्रूट उगा रहा है.
सब्जियों की खेती करने वाले किसान लालू मौर्या अमेठी जिले के गौरीगंज तहसील के रहने वाले हैं. वे पांच बीघे से अधिक जमीन पर सब्जियां उगाते हैं. वे अलग-अलग मौसम में अलग-अलग मौसमी सब्जियां से अच्छा मुनाफा कमाते हैं. वे अपनी सब्जियों में जैविक खाद का ही इस्तेमाल करते हैं.
अमेठी जिले के शुकुल बाजार के मांडवा गांव के रहने वाले किसान चंद्रशेखर तिवारी ड्रैगन फ्रूट की खेती करते हैं. ड्रैगन फ्रूट की खेती से उन्हें लाखों रुपये का फायदा होता है. उद्यान विभाग की तरफ से उन्हें ड्रैगन फ्रूट की खेती पर 50% का अनुदान भी मिला है. वे धान और गेहूं की साथ ड्रैगन फ्रूट की खेती करते हैं.
अमेठी जिले के तिलोई तहसील के रहने वाले कुलदीप चौरसिया पान की खेती करते हैं. करीब दो एकड़ जमीन पर इसे उगाते हैं और एक सीजन में दो से ढाई लाख रुपये का मुनाफा कमाते हैं. पान के पत्ते खरीदने दूर-दूर से व्यापारी उनके खेत पर ही आ जाते हैं. इससे उन्हें अपनी उपज बेचने कहीं जाना नहीं पड़ता.
अमेठी जिले के जामो ब्लॉक के रहने वाले किसान राम बचन सिंह केले की खेती करते हैं. जैविक तरीके से केले की खेती का आईडिया उन्हें एक कृषि वैज्ञानिक ने दिया, जिसके बाद उनकी किस्मत बदल गई. राम बचन बताते हैं कि वे अगर 50 हजार रुपये लगाते हैं तो दो से ढाई लाख रुपये का मुनाफा होता है. केले की खेती में उन्हें 30 हजार 738 रुपये का अनुदान भी मिलता है.
अमेठी जिले के जगदीशपुर के बनभरिया गांव के रहने वाले किसान धर्मेंद्र कुमार स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं. वे बताते हैं कि 5 से 6 महीने में तैयार होने वाली स्ट्रॉबेरी उन्हें अच्छा फायदा देती है. उन्होंने इसकी खेती अपने पिता से सीखी.
अमेठी जिले के तिलोई तहसील क्षेत्र ये किसान राजा भैया के नाम से जाने जाते हैं. वे करीब पांच साल से पॉलीहाउस में सब्जियों की खेती कर रहे हैं और लाखों रुपये कमाते हैं.
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