ISRO चेयरमैन वी. नारायणन ने खुद इस बात का खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि कम से कम 10 सैटेलाइट चौबीसों घंटे देश की सुरक्षा और रणनीतिक जरूरतों के लिए काम कर रहे हैं, जो धरती से लेकर समुद्र तक भारत की सीमाओं पर दुश्मन की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रख रहे हैं.
‘हमारे पड़ोसियों का सबको पता है’
इंफाल में सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (CAU) के पांचवें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए नारायण ने कहा, ‘आप सभी को हमारे पड़ोसियों के बारे में पता है. अगर हमें अपने देश की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है, तो हमें अपने सैटेलाइट्स के जरिये सेवा करनी होगी.’
नारायण ने कहा, ‘हमें अपने 7,000 किलोमीटर के समुद्री तट पर नज़र रखनी होगी. हमें पूरे उत्तरी हिस्से पर लगातार नजर रखनी होगी. सैटेलाइट और ड्रोन तकनीक के बिना हम यह हासिल नहीं कर सकते.’
ISRO की ‘आंखों’ से नहीं बच सका पाकिस्तान
पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, पंजाब और गुजरात की सीमाओं पर पाकिस्तान की तरफ से भारी गोलाबारी और ड्रोन हमले किए जा रहे थे. लेकिन ISRO के सैटेलाइट्स की सटीक निगरानी और भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने इन हमलों को काफी हद तक विफल कर दिया. इसके जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के अंदर 11 एयरबेस तबाह कर दिए, जिससे उनकी सैन्य क्षमता को भारी नुकसान पहुंचा.
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उधर भारतीय सेना के अनुसार, रविवार रात को जम्मू-कश्मीर और अंतरराष्ट्रीय सीमा के दूसरे इलाकों में शांति रही और किसी भी तरह के संघर्षविराम उल्लंघन की सूचना नहीं मिली. सेना ने इसे हाल के दिनों की पहली शांत रात करार दिया, जब पाकिस्तान की तरफ से कोई फायरिंग या ड्रोन हमला नहीं हुआ.
अब यह बात साफ हो गई कि सिर्फ ब्रह्मोस या प्रहार जैसे मिसाइल ही नहीं, बल्कि ISRO की तकनीकी ताकत भी दुश्मन को चौंकाने और जवाब देने में बड़ी भूमिका निभा रही है. अंतरिक्ष से मिली सटीक जानकारी ने ऑपरेशन की सफलता में निर्णायक भूमिका निभाई.
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