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राम नरेश, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विजय पुंडीर

Updated Sun, 11 May 2025 08:08 AM IST

मां की नींद, उसकी भूख, उसका आराम सब कुछ बच्चे की हंसी पर कुर्बान है। चाहे वो अस्पताल की ड्यूटी हो, दुकान की व्यस्तता हो या क्लासरूम की जिम्मेदारी। हर मां के दिल का एक कोना हमेशा अपने बच्चे के लिए धड़कता है। कामकाजी मां के लिए यह सफर और भी कठिन हो जाता है।


प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : Amar Ujala


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मेरी मां… बस एक छोटा सा शब्द, लेकिन इसमे समाया है अनंत प्यार, अपनापन और बलिदान। मां सिर्फ एक रिश्ता नहीं, वो एक पूरी दुनिया है। एक ऐसा एहसास जो हर दर्द को मुस्कान में बदल देता है। तपती दोपहरी में मां छांव सरीखी है और हर मुश्किल घड़ी में अवतार जैसी लगती है। 

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