उदय भूमि संवाददाता
गाजियाबाद। कौशांबी स्थित होटल रेडीसन ब्लू में आयोजित क्रेडाई (कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) की एक विशेष बैठक में गाजियाबाद के भविष्य की तस्वीर उभर कर सामने आई। इस भव्य कार्यक्रम में शासन और प्रशासन के उच्च पदस्थ अधिकारियों की भागीदारी ने इसे एक ऐतिहासिक अवसर में बदल दिया। जिले के प्रभारी मंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरुण, सांसद अतुल गर्ग, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार नरेंद्र कश्यप, मेरठ मंडल के मंडलायुक्त एवं जीडीए अध्यक्ष डॉ. ऋषिकेश भास्कर यशोद, जिलाधिकारी दीपक मीणा और जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स सहित तमाम गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। इस बैठक में गाजियाबाद के समग्र विकास को लेकर एक स्पष्ट, ठोस और तकनीकी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया। स्मार्ट सिटी मिशन, डिजिटल गवर्नेंस, हरित क्षेत्र के संरक्षण, बुनियादी अवसंरचना के विकास, और तकनीक आधारित सुगम जीवनशैली जैसे विषयों पर गहन मंथन हुआ। कार्यक्रम में यह साफ तौर पर दर्शाया गया कि गाजियाबाद अब सिर्फ विस्तार की नहीं, बल्कि सुनियोजित और स्मार्ट विकास की राह पर अग्रसर है।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) द्वारा तैयार किया गया पहल पोर्टल इस बदलाव की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने इसकी व्यापक जानकारी देते हुए बताया कि यह पोर्टल आवंटियों को जीडीए कार्यालय के चक्कर काटने से निजात दिलाएगा। अब संपत्ति संबंधी हर जानकारी फ्रॉम नामांतरण से लेकर एनओसी तक-लोगों को घर बैठे डिजिटल रूप में प्राप्त होगी। प्रत्येक संपत्ति को एक यूनिक आईडी दी जाएगी, जिससे पारदर्शिता में इजाफा होगा और धोखाधड़ी की संभावनाएं नगण्य होंगी। उपाध्यक्ष ने यह भी कहा कि यह पोर्टल न केवल लोगों की सुविधा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, बल्कि यह शासन प्रशासन की कार्यप्रणाली में ई-गवर्नेंस को मजबूती देने का प्रयास है। एनओसी जैसे दस्तावेजों के लिए अब जीडीए दफ्तर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। आवंटी पोर्टल पर लॉगिन करके ऑनलाइन ही आवेदन कर सकेंगे और डिजिटल सिग्नेचर के साथ दस्तावेज़ सीधे डाउनलोड कर सकेंगे।
इस पोर्टल की एक और विशेषता यह है कि यदि कोई आवंटी तय समय से पहले पूरी धनराशि जमा करता है तो उसकी किस्तों को आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार स्वत: ही पुनर्नियोजित कर दिया जाएगा। यह प्रक्रिया पहले मैनुअल थी, जिससे नागरिकों को अनावश्यक झंझटों से गुजरना पड़ता था। बैठक में गाजियाबाद की भविष्यगत योजनाओं पर भी व्यापक चर्चा हुई। जीडीए की हरनंदीपुरम योजना को अभिनव विकास मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया गया। साथ ही, प्राधिकरण की ओर से हर गुरुवार को मानचित्र समाधान दिवस आयोजित करने की पहल को भी सराहा गया, जिसमें भवन मानचित्र स्वीकृति की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जा रहा है। गूगल शीट आधारित ट्रैकिंग सिस्टम और अनावश्यक एनओसी बाध्यता को खत्म कर इस कार्य को और अधिक जन-सुलभ बनाया गया है।
जीडीए द्वारा डिजिटल भारत की दिशा में उठाए गए कदमों में ई-ऑफिस व्यवस्था, बॉयोमेट्रिक हाजिरी, डिजिटल भुगतान प्रणाली और ऑनलाइन सेवा वितरण शामिल हैं। यह तकनीकी सुदृढ़ता न सिर्फ प्रशासनिक कार्यों को सरल बनाती है, बल्कि आमजन की परेशानी भी घटाती है। बैठक में मेरठ मंडल के मंडलायुक्त डॉ. ऋषिकेश भास्कर यशोद ने गाजियाबाद में मेरठ मॉडल को अपनाने की बात कही। उन्होंने घोषणा की कि गाजियाबाद की शहरी योजना में 10 प्रतिशत क्षेत्र हरित विकास के लिए आरक्षित किया जाएगा।
इसके साथ ही, सार्वजनिक परिवहन और इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता दी जाएगी ताकि प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सके। उन्होंने कोयल एंक्लेव पुनर्विकास योजना की सराहना की और इसे जीडीए की दूरदर्शिता का उदाहरण बताया। बैठक का समापन क्रेडाई पदाधिकारियों और जीडीए अधिकारियों के बीच आयोजित पैनल चर्चा से हुआ, जिसमें शहर के स्मार्ट विकास, जनसहभागिता और पारदर्शिता पर विशेष रूप से बल दिया गया। यह बैठक एक संकेत है कि अब गाजियाबाद विकास की नई दिशा में प्रवेश कर चुका है, जहां सुविधा, पारदर्शिता, तकनीक और पर्यावरण का समन्वय भविष्य की आधारशिला बनेगा।
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