Murshidabad Violance In Supreme Court: मुर्शिदाबाद हिंसा मामले की सुनवाई सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई. इस दौरान वकील की जनहित याचिका को लेकर जज ने याचिकाकर्ता से कई सवाल किए. असल में याचिका को देखकर सुप्रीम …और पढ़ें
हाइलाइट्स
- यह जानकारी आपको कहां से मिली: जज ने पूछा वकील से सवाल
- याचिका को जल्दबाजी में तैयार किया गया है: सुप्रीम कोर्ट
- क्या यह दलीलों में शालीनता का मानक है जिसका आपने पालन किया है: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली. मुर्शिदाबाद हिंसा से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने से पहले जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता से जनहित याचिका (PIL) से संबंधित कई सवाल पूछे. इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि मुर्शिदाबाद हिंसा मामले में कई रिफ्यूजियों का कनेक्शन सामने आया था. इस पर जज ने याचिककर्ता से पूछा कि यह जानकारी आपको कहां से मिली.
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने बताया कि मुर्शिदाबाद हिंसा मामले में कई मीडिया रिपोर्ट में रिफ्यूजी और अन्य लोगों के शामिल होने की जानकारी मिली थी. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस मामले में फ्रेस पिटिशन फाइल करने की सलाह दी. कोर्ट ने कहा है कि याचिका को जल्दबाजी में तैयार किया गया है और याचिका में सही तरीके से तथ्यों को नहीं रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या आपको दलीलों में इन सभी अभिव्यक्तियों का उल्लेख करना चाहिए? क्या यह दलीलों में शालीनता का मानक है जिसका आपने पालन किया है.
जो लोग हमारे सामने नहीं उन पर आरोप लगा रहे हो: जज
याचिकाकर्ता शशांक ने कहा कि रेलवे की प्रेस विज्ञप्ति में भी इस संबंध में टर्मोलॉजी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये आंतरिक संचार होना चाहिए. हम आपको केवल सलाह दे सकते हैं और हम समझने की कोशिश कर रहे हैं. शशांक शेखर झा ने दलील दी कि बंगाल में इस हिंसा के खिलाफ लोग सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपका कहना है कि कानून-व्यवस्था बंगाल में खराब है. कोर्ट ने आगे कहा कि आपने बंगाल में इस व्यवस्था को सुधारने के लिए क्या-क्या किया जा सकते हैं आपने वह उपाय भी नहीं बताए हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका में वैसा नहीं है जैसा आप कह रहे हैं. आप ए और बी व्यक्तियों के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं जो हमारे सामने नहीं हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा….
शशांक ने कहा कि वह सरकारी अधिकारी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी के खिलाफ आरोप लगाने पर आपको उन्हें पक्षकार बनाने की जरूरत है. क्या हम उन व्यक्तियों के पीछे उन आरोपों को स्वीकार कर सकते हैं ? इस पर याचिकाकर्ता शशांक ने कहा कि मैं संशोधन करूंगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसीलिए हमने कहा कि आप बहुत जल्दी में हैं. हां, बेजुबानों को न्याय मिलना अच्छा है, लेकिन उचित तरीके से न्याय होना चाहिए.
याचिकाकर्ता शशांक ने कहा कि कृपया मुझे याचिका वापस लेने और नई याचिका दायर करने की छूट दें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेहतर दस्तावेजों और कथनों के साथ याचिका दायर करने की अनुमति दी जाती है.
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