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DRDO- DIRECT ENERGY WEAPON: तकनीक के मामले में चीन और अमेरिका को खुद पर बहुत गुमान था. उन्हें लगता था कि दुनिया में तकनीक सिर्फ वही विकसित कर सकते है. भारत ने इन दोनो देशों के ऐसी चुनौती दी कि उनके होश उड़े हुए…और पढ़ें

DRDO ने फिर से चौंकाया दुनिया को, डायरेक्ट एनर्जी वेपन से गिराया एरियल टार्गेटलेजर बीम से गिराए जाएंगे चीन-पाक के ड्रोन

हाइलाइट्स

  • भारत ने डायरेक्ट एनर्जी वेपन से एरियल टार्गेट गिराया.
  • डीआरडीओ ने लेजर बेस्ड वेपन सिस्टम विकसित किया.
  • भारत अब चीन, अमेरिका और रूस के साथ एलीट क्लब में शामिल.

DRDO- DIRECT ENERGY WEAPON: दुनिया की जंग हाब्रीड और अनमैंड हथियारों से लड़ी जा रही है. एसिमेट्रिक वॉरफेयर को रोकना सबसे महांगा सौदा साबित हो रहा है. कुछ लाख के ड्रोन अटैक को रोकने के लिए करोड़ों के एयर डिफेंस मिसाइल को लॉन्च करना पड़ता है. भारत ने इस चुनौती से निपटने के लिए लेजर बेस्ड डायरेक्ट एनर्जी वेपन पर काम करना शुरू कर दिया था. अब तक हाई पावर्ड लेजर बेस्ड डायरेक्ट एनर्जी वेपन सिर्फ चीन, अमेरिका और रूस के पास ही मौजूद थे. लेकिन डीआरडीओ की मेहनत ने भारत को इस एलीट ग्रुप का हिस्सा बना दिया. रविवार को भारत ने अपने हाई पावर्ड लेजर बीम से फिक्सड विंग एयरक्राफ्ट गिराकर नया अध्याय जोड़ दिया. आंध्रप्रदेश के कुर्नूल में इस वेपन का डेमो किया गया. डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) Mk-II (A) के नाम से जाना जाता है. इस मौके पर डीआरडीओ चेरमैन समीर वी कामथ ने कहा कि यह बस एक शुरुआत है. डीआरडीओ ने इंडस्ट्री और अकैडमिया के साथ मिलकर इसे अंजाम दिया. उन्होंने यह भी कहा कि डीआरडीओ इसी तरह के अन्य हाई एनर्जी सिस्टम जैसे की हाई एनर्जी माईक्रोवेव, इलेकट्रोमैगनेटिक पल्स तकनीक पर काम कर रही है.

क्यों खास है लेजर वेपन?
इस डायरेक्ट एनर्जी वेपन को डीआरडीओ की हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम एंड साइंस लैब ने विकसित किया है. यह एक 30 किलोवॉट लेजर बेस्ड वेपन सिस्टम है. यह पांच किलोमीटर की रेंज में किसी भी ड्रोन और हेलिकॉप्टर को निशाना बना सकता है. यह सिस्टम 360 डिग्री इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इंफ्रारेड सेंसर से लेस है. इससे फिक्सिड विंग ड्रोन, दुश्मन के सर्वेलांस सेंसर और एंटीना को भी आसानी से नष्ट किया जा सकेगा. एक बार रडार में टार्गेट डिटेक्ट करने के बाद लेजर DEW लाईट की रफ्तार से टार्गेट को एंगेज करना शुरू कर देती है. शक्तिशाली बीम टार्गेट के इलेक्ट्रोनिक सिस्टम, सैंसर को भी नष्ट कर देता है. जिससे वह जमीन पर आ गिरता है. खर्चे के हिसाब से भी यह काफी मुफीद है. कुछ सैकेंड के लेजर फायर में महज कुछ लीटर पेट्रल की कीमत का खर्च आता है. इसकी एक और खास बात यह है कि इसे रेल, रोड और एयरक्राफ्ट के जरिए बड़ी तेजी से किसी भी जगह तैनात किया जा सकता है. इसके अलावा डीआरडीओ 300 किलोवॉट सिस्टम को भी डेवल्प कर रहा है. इसे नाम दिया गया है सूर्या. इसकी रेंज तकरीबन 20 किलोमीटर के करीब होगी. इससे हाई स्पीड टार्गेट जैसे कि एयरक्राफ्ट, मिसाइल और ड्रोन को मिशाना बनाया जा सकेगा.

एंटी ड्रोन सिस्टम की खरीद सेना जारी कर चुकी है RFI
भारतीय थल सेना और वायुसेना ने एंटी ड्रोन सिस्टम की खरीद की प्रक्रिया भी शुरू कर चुकी है. बाकायदा आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी कंपनियों से इन सिस्टम की खरीद की जाएगी. इसे लेकर RFI यानी की रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन भी जारी की गई है. इसमें अपनी जरूरतों को स्वदेशी कंपनियों के सामने रखा गया है. सिस्टम ऐसा होना चाहिए जो कि दुश्मन के ड्रोन की पहचान कर सके उसे ट्रैक कर सके और फिर उसे नष्ट कर सके. इन एंटी ड्रोन के सेंसर जिसमें फेजड ऐरे रडार, आरएफ सेंसर, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल और इंफ्रा-रेड प्रणाली हो. दुश्मन के ड्रोन को मार गिराने के लिए सॉफ्ट और हार्ड किल दोनों के विकल्प हो. हार्ड किल विकल्प के लिए लेजर बेस्ड डाइरेक्टेड एनर्जी वेपन की तलाश अब खत्म होती नजर आ रही है.

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DRDO ने फिर से चौंकाया दुनिया को, डायरेक्ट एनर्जी वेपन से गिराया एरियल टार्गेट

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