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Makar Sankranti Mela In Gorakhpur: मकर संक्रांति के दिन यूपी में एक जगह बेहद खास और अनोखा खिचड़ी मेला लगता है. इस मेले में विदेशी भी हिस्सा लेते हैं. जानें वजह.

Makar Sankranti Mela In Gorakhpur: गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में हर साल मकर संक्रांति पर लगने वाला खिचड़ी मेला बहुत खास होता है. आस्था, परंपरा और संस्कृति के इस संगम को देखने देश और विदेश के श्रद्धालुओं पहुंचते हैं. लोग इस मेले में खिचड़ी चढ़ाते हैं. आइए जानते हैं इसके पीछे का विशेष महत्व.

खिचड़ी मेले की सबसे खास बात नेपाल से आने वाले श्रद्धालुओं की उपस्थिति है. हर साल नेपाल के राजा की ओर से मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है. यह परंपरा नेपाल और गोरखनाथ मंदिर के बीच ऐतिहासिक और धार्मिक संबंधों का प्रतीक है. नेपाल के श्रद्धालु यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं और इस परंपरा को निभाने के लिए साल भर इंतजार करते हैं.

विदेशी श्रद्धालुओं का आकर्षण  
यह मेला केवल देश के श्रद्धालुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों से भी लोग इस अद्वितीय परंपरा का हिस्सा बनने आते हैं. विदेशी पर्यटक यहां की स्थानीय संस्कृति, भोजन और हस्तशिल्प में गहरी रुचि दिखाते हैं.

व्यापार को देते हैं बढ़ावा
खिचड़ी मेला व्यापारिक गतिविधियों का भी बड़ा केंद्र है. यहां आने वाले श्रद्धालु मेले में लगने वाली दुकानों पर लोकल उत्पाद, हस्तशिल्प, और गोरखपुर के प्रसिद्ध उत्पादों की खरीदारी करते हैं. इसके अलावा यहां लगने वाले झूले, खाने-पीने के स्टॉल और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी लोगों को लुभाते हैं.

खिचड़ी का धार्मिक महत्व  
मकर संक्रांति के अवसर पर खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा का विशेष महत्व है. इसे समर्पण, परोपकार और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का प्रतीक माना जाता है. गोरखनाथ मंदिर में चढ़ाई जाने वाली खिचड़ी को विशेष तरीके से तैयार किया जाता है, जिसे प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं के बीच वितरित किया जाता है.

परंपरा और आधुनिकता का संगम  
खिचड़ी मेला गोरखपुर की परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत मेला है. यह मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि गोरखपुर की पहचान को भी विश्व मंच पर स्थापित करता है. हर साल जनवरी में लगने वाला यह मेला न केवल आस्था और परंपरा को बनाए रखता है, बल्कि एकता और भाईचारे का संदेश भी देता है.

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मकर संक्रांति पर लगने वाला वो मेला…जहां विदेशी भी आते हैं, पर क्यों?

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