प्रदेश के पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा और चंडीगढ़ में कोठी नंबर 70, जिसे उन्होंने खाली नहीं किया।
हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा ने चंडीगढ़ में स्थित सरकारी कोठी खाली नहीं की है। जिस वजह से सरकार ने उन पर पीनल रेंट की कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकार अब तक हुड्डा पर 2 लाख से ज्यादा का पीनल रेंट लगा चुकी है।
सरकार का तर्क है कि नियमों के अनुसार नई सरकार बनने के बाद हुड्डा को 15 दिन के भीतर यह कोठी नंबर 70 खाली करनी थी। मगर ढाई महीने से ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी उन्होंने कोठी नहीं छोड़ी।
15 दिन का टाइम मांगा, लेकिन कब्जा नहीं छोड़ा हरियाणा में विधानसभा चुनाव का रिजल्ट 8 अक्टूबर 2024 को आया था। जिसमें भाजपा ने 90 में से 48 सीटें जीतकर सरकार बनाई। इसके बाद CM नायब सैनी और उनके मंत्रियों ने 17 अक्टूबर 2024 को शपथ ली थी। सरकार ने हुड्डा को दिसंबर 2024 में कोठी खाली करने कहा था। हुड्डा ने इसके लिए 15 दिन का टाइम मांगा था, लेकिन अब करीब 2 महीने से ज्यादा समय हो चुका है।
मंत्री गोयल ने मांगी थी कोठी, अब दूसरी के लिए आवेदन किया हुड्डा जिस कोठी नंबर 70 पर कब्जा किए बैठे हैं, वह सैनी सरकार के मंत्री विपुल गोयल को पसंद आ गई थी। इसी वजह से सरकार ने भी इसे खाली कराने के लिए तेजी दिखाई। हालांकि हुड्डा के कोठी खाली न करने पर अब मंत्री गोयल ने दूसरी कोठी के लिए आवेदन कर दिया है।
उन्होंने सरकार से चंडीगढ़ के सेक्टर 7 की कोठी नंबर 71 मांगी है। ये कोठी अभी चंडीगढ़ के कोटे की है, इसलिए सरकार यूटी की इस कोठी को अपनी 68 नंबर कोठी से बदलने की तैयारी कर रही है। इसके बाद गोयल को मनचाही कोठी मिल जाएगी। अभी वह MLA फ्लैट में अपना कामकाज चला रहे हैं।
हुड्डा पर लगाए जा रहे पीनल रेंट का नियम क्या… हरियाणा लोक निर्माण विभाग के नियमानुसार सरकार के किसी भी मंत्री या विधायक को नई सरकार बनने के 15 दिन में सरकारी आवास खाली करना होता है। यदि वह तय समय पर नहीं खाली करता है तो उसके खिलाफ पीनल रेंट की कार्रवाई होती है। पहले महीने मकान खाली नहीं होने पर 50 गुना किराया वसूल किया जाता है। दूसरे महीने में 100 गुना और तीसरे महीने 200 गुना पीनल रेंट वसूला जाता है। इसके बाद भी कोई कोठी खाली नहीं करता है तो फिर चौथे महीने से 400 गुना पीनल रेंट वसूल किया जाता है।
कांग्रेस हाईकमान की वजह से हुड्डा का दावा कमजोर पड़ा अगर भूपेंद्र हुड्डा को कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष बना देती तो कैबिनेट रैंक का दर्जा मिलने से उन्हें न तो कोठी खाली करनी पड़ती और न ही पीनल रेंट वसूलने की नौबत आती। हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने अभी नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा नहीं की है।
इस बारे में सारे विधायक पहले ही कांग्रेस हाईकमान को अधिकार दे चुके हैं। 2019 में हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था। इसके बाद ही कैबिनेट मंत्री के बराबर रैंक दिए जाने की वजह से उन्हें सेक्टर 7 की यह कोठी नंबर 70 अलॉट की गई थी। इससे पहले 2014 से 2019 तक हुड्डा चंडीगढ़ के सेक्टर 3 स्थित MLA फ्लैट में रहते थे।
कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में पंचकूला से विधायक चंद्रमोहन, गढ़ी सांपला किलोई से MLA भूपेंद्र हुड्डा, बेरी से डॉ. रघुवीर कादियान और थानेसर से अशोक अरोड़ा हैं।
हुड्डा की घोषणा भी उनके काम नहीं आई भूपेंद्र हुड्डा जब हरियाणा के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने घोषणा की थी कि पूर्व मुख्यमंत्री को भी प्रदेश में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा। उन्हें मंत्रियों को मिलने वाली तमाम सुविधाएं भी मिलेंगी। जब साल 2014 में घोषणा की गई तो इसके दायरे में तब दो ही पूर्व मुख्यमंत्री आते थे। इनमें एक चौधरी ओमप्रकाश चौटाला और दूसरे चौधरी हुकम सिंह थे।
ओम प्रकाश चौटाला उस वक्त जेल में थे, इसलिए वह यह सुविधाएं नहीं ले पाए। हुकम सिंह को तब सरकार ने कैबिनेट मंत्री वाली सभी सुविधाएं प्रदान की थीं। हुड्डा ने जब यह नियम लागू किया, तब विपक्षी दलों और नेताओं का कहना था कि भूपेंद्र हुड्डा भविष्य में खुद का जुगाड़ कर रहे हैं।
हुआ भी ऐसा ही, जब 2014 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई और भाजपा सत्ता में आ गई तो हुड्डा पूर्व मुख्यमंत्री हो गए। मनोहर लाल खट्टर की अगुआई में बनी पहली सरकार ने कुछ दिन बाद ही हुड्डा का फैसला पलट दिया।
नए नेता प्रतिपक्ष को मिलेगा नया आवास सरकार को भी अभी कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष का इंतजार है। जो भी नया नेता प्रतिपक्ष होगा, उसे सरकार नई कोठी दे सकती है। हुड्डा वाली कोठी को सरकार खाली कराना चाहती है। कैबिनेट रैंक के तहत चंडीगढ़ के सेक्टर 3, सेक्टर 7, सेक्टर 16 और पंचकूला में सेक्टर 12A में मंत्रियों के लिए आवास बनाए गए हैं। इनमें से किसी भी सेक्टर में नए नेता प्रतिपक्ष को आवास मिल सकता है। हालांकि, अधिकांश मंत्रियों को सेक्टर 3 व सेक्टर 7 की कोठियां ज्यादा पसंद आती हैं। मगर मौजूदा समय में सेक्टर 7 की 70 नंबर कोठी को छोड़कर अन्य सभी कोठियां अलॉट हो चुकी हैं।
हारे मंत्री भी खाली कर चुके कोठी विधानसभा चुनाव में भाजपा के 8 मंत्री चुनाव हार गए थे। इनमें कंवरपाल गुर्जर, सुभाष सुधा, जयप्रकाश दलाल, अभय यादव, संजय सिंह, कमल गुप्ता, असीम गोयल और रणजीत चौटाला शामिल हैं। इसके अलावा दुष्यंत चौटाला, देवेंद्र बबली जैसे नेता भी हार गए थे। चुनाव नतीजे आते ही उन्होंने 15 दिन के भीतर सरकारी कोठियां खाली कर दी थीं। जिसके बाद यह कोठियां मंत्रियों को अलॉट कर दी गईं। फिलहाल इन कोठियों में मरम्मत का काम चल रहा है।
अनिल विज ने कोठी नहीं ली सेक्टर 3 में मुख्यमंत्री आवास के साथ की कोठी सबसे वरिष्ठ मंत्री को अलॉट की जाती है। इस लिहाज से यह कोठी परिवहन मंत्री अनिल विज को मिलनी थी। हालांकि उन्होंने सरकारी आवास लेने से इनकार कर दिया। वह अंबाला से ही सचिवालय में अपडाउन करते हैं। ऐसे में यह कोठी पंचायत मंत्री कृष्णलाल पंवार को मिल गई।
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