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नई दिल्ली4 घंटे पहले

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महाकुंभ में 6 शाही स्नान हैं। ये पौष पूर्णिमा (13 जनवरी) से महाशिवरात्रि (26 फरवरी) तक हैं।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम तट सोमवार से 45 दिन के लिए सनातन का सबसे बड़ा ‘शक्ति-केंद्र’ बनने जा रहा है। जैसे गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती की धाराएं हजारों किमी की यात्रा करके प्रयाग में मिलती हैं।

वैसे ही सनातन आस्था के प्रतीक- चारों शंकराचार्य, शैव-वैष्णव, उदासीन सहित सभी अखाड़ों के महामंडलेश्वर, सभी परंपराओं के जगद् गुरु, सिद्ध योगी और संत-महंत पौष पूर्णिमा (13 जनवरी) से महाशिवरात्रि (26 फरवरी) तक संगम किनारे विराजमान होंगे।

चारों धाम, सात पुरियों सहित सभी प्रमुख तीर्थों के प्रतिनिधि और उत्सव मूर्तियां, प्राचीन व आधुनिक मत-संप्रदायों की विभूतियां एक स्थान पर दर्शन देंगी। इनका कठिन तप, लाखों मंत्र पाठ, जप-कीर्तन और यज्ञ आहुतियां त्रिवेणी तट को सनातन का शक्ति-केंद्र बनाएंगी।

चारों शंकराचार्यों, सभी 13 अखाड़ों के महामंडलेश्वर, जगद् गुरु, पीठाधीश्वरों, हजारों साधु-संतों और सिद्ध योगियों के तप से आलोकित होगा गंगा-यमुना-सरस्वती का संगम।

प्रयाग में खुद ब्रह्मा जी ने यज्ञ करके सृष्टि का सृजन किया

प्रयाग वही दिव्य स्थान है जहां खुद ब्रह्मा जी ने यज्ञ करके सृष्टि का सृजन किया। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश से बनने वाले सुयोग में अमृत-आचमन की आकांक्षा लिए देश-दुनिया के करोड़ों तीर्थयात्री प्रयागराज आते हैं।

अमृत लाभ का यह संकल्प इस महापर्व को सनातन ही नहीं, दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बनाता है।

प्रयागराज, भारतीय संस्कृति, सनातन के अद्वितीय सिद्धांतों और शक्तियों का केंद्र है। यहां नदियों के साथ ही ईश्वर साधना का अद्वितीय संगम है, जो मानवता को एकता, शांति और भाईचारे का संदेश देता है।

एक माह कल्पवास: 3 बार स्नान, एक बार भोजन, शयन जमीन पर हजारों लोग माघ में संगम किनारे कल्पवास करते हैं। कल्पवास- ‘कल्प’ यानी निश्चित समय और ‘वास’ निवास। पद्म पुराण में इसके लिए 21 नियम हैं।

इनमें प्रमुख हैं- सच बोलना, अहिंसा, संयम, सभी प्राणियों पर दया, व्यसन मुक्ति, तीन बार स्नान, एक बार भोजन और भूमि शयन। कल्पवास जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति का मार्ग है।

महत्व: प्रयागराज जाएं तो एक सा​थ विश्व के समस्त संतों के दर्शन का पुण्य मिल जाएगा संत प्रेमानंद महाराज ने कहा, अलग-अलग जाकर संत दर्शन करें तो, जीवन बीत जाएगा, इतने संतों का दर्शन नहीं हो पाएगा। अगर प्रयाग जाएं तो एक साथ विश्व के समस्त संतों का दर्शन लाभ मिलेगा। भगवत् तत्व के ज्ञाता महापुरुषों की वाणी सुनेंगे।

कहा गया है- तीरथपति पुनि देखु प्रयागा। निरखत जन्म कोटि अघ भागा॥

यानी, तीर्थराज प्रयाग, जिसके दर्शन से करोड़ों जन्मों के पाप भाग जाते हैं।

40 करोड़ से अधिक तीर्थयात्रियों के आने का अनुमान

यूपी सरकार ने दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम के लिए ‘महाकुम्भ क्षेत्र’ को 76वां अस्थायी जिला बनाया है। 40 वर्ग किमी में फैले मेला क्षेत्र में 40 करोड़ से अधिक तीर्थयात्रियों के आने का अनुमान है।

केंद्र और यूपी सरकार ने इसके लिए 6,382 करोड़ रु. का बजट रखा है। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज होने के बाद पहले कुम्भ में जिले के बाहरी हिस्से से संगम तक सात लेयर की सुरक्षा व्यवस्था है।

मेले में 56 थाने, 60 फायर स्टेशन और तीन महिला थाने बनाए गए हैं। 37 हजार पुलिसकर्मी, 14 हजार होमगार्ड सहित 50 हजार से ज्यादा सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।

एनएसजी सहित केंद्रीय एजेंसियां भी तैनात हैं। 2700 सीसीटीवी कैमरा और 340 एआई से लैस कैमरे 24 घंटे मेले की निगरानी करेंगे।

  • सुरक्षित स्नान के लिए 25 हाईटेक जेट स्की जल पुलिस को दी गई हैं।
  • 30 अस्थायी पांटून पुल, 2.69 लाख चकर्ड प्लेट से 650 किमी सड़क बनी है।
  • 200 बेड का अस्पताल, 5 लाख लोगों की आंख की जांच होगी।
  • 9 पक्के, 12 किमी में 50 अस्थायी घाट।
  • 102 पार्किंग हैं जिनमें 5 लाख वाहन खड़े हो सकेंगे। भुगतान फास्टैग से होगा।
  • मेला प्रशासन ने बताया कि शनिवार को 25 लाख लोगों ने संगम में डुबकी लगाई।

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