UPSC IAS Story: अगर किसी काम को पूरी फोकस के साथ किया जाए, तो उस पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता है. फिर किसी भी अपने पसंदीदा चीजों को छोड़ने की जरूरत नहीं होती है. ऐसे ही एक IAS ऑफिसर की कहानी है.
IAS Story: कोई भी काम को करने के लिए किसी भी चीज को छोड़ने की जरूरत नहीं होती है. बस उस काम को करते समय अपने फोकस को बनाए रखने की जरूरत होती है. ऐसी ही कहानी एक आईएएस ऑफिसर की है, जो यूपीएससी सिविल सेवा की तैयारी करते हुए उन्होंने खुद को कभी भी अपनी पसंदीदा फिल्म या मैच देखने, टेनिस खेलने या सोशल मीडिया चेक करने से रोकने की जरूरत नहीं समझी. फिर भी वह पहले ही प्रयास में 23 साल की उम्र में यूपीएससी क्रैक करके IAS ऑफिसर बन गए हैं. हम जिनकी बात कर रहे हैं, उनका नाम सिद्धार्थ पलानीचामी है.
यूपीएससी में हासिल की रैंक 155
IAS सिद्धार्थ पलानीचामी मूल रूप से तमिलनाडु के मदुरै से ताल्लुक रखते हैं. वह राजस्थान कैडर के 2020 बैच के IAS ऑफिसर हैं. उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में पहले ही प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 155 प्राप्त किया है. उन्होंने देश के टॉप राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), तिरुचि से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की हैं. सिद्धार्थ ने अपने फाइनल ईयर में ही सिविल सेवा को अपने करियर के रूप में चुनने का फैसला किया था. वह स्कूल के दिनों से ही नियमित रूप से समाचार पत्र पढ़ने की आदत डाली थी.
NIT तिरुचि से किया बीटेक
NIT तिरुचि से ग्रेजुएट करने के बाद सिद्धार्थ पलानीचामी ने सिविल सेवा की तैयारी के लिए एक साल का समय लिया और दिल्ली में अध्ययन शुरू किया. उन्होंने पॉडकास्ट सुने, कक्षाओं में भाग लिया, और यहां तक कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे इंस्टाग्राम और ट्विटर का भी लाभ उठाया. वह किताबों और क्लास मटेरियल के अलावा, सोशल मीडिया ने उन्हें खासतौर पर एथिक्स पेपर लिखने में नए व्यूपॉइंट दिए. उनका मानना है कि सिविल सेवा परीक्षा के लिए यह आवश्यक है कि आप हर साल बदलती हुई परीक्षा प्रक्रिया और नवीनतम व्यूपॉइंट्स से खुद को अपडेट रखना चाहिए.
ऑप्शनल पेपर में रखे थे ये विषय
IAS सिद्धार्थ ने अपने ऑप्शनल पेपर के रूप में राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को चुना था. ट्रेनिंग के बाद उनकी पहली पोस्टिंग राजस्थान के बीकानेर में असिस्टेंट कलेक्टर एंड एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के पद पर हुई. बाद में उन्हें मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स में असिस्टेंट सेक्रेटरी बनाया गया. इसके बाद वह राजस्थान के उच्चैन, माउंट आबू में SDM के पद रहे. फिलहाल वह अभी बाड़मेर के जिला परिषद् के CEO के पद पर कार्यरत हैं.
उनकी सफलता यह सिद्ध करती है कि सिविल सेवा की तैयारी में केवल कठिन परिश्रम ही नहीं, बल्कि समग्र शिक्षा, सोशल अवेयरनेस और समय के साथ बदलाव की समझ भी महत्वपूर्ण होती है. उनके प्रयास और व्यूपॉइंट युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.
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