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नई दिल्ली10 घंटे पहले

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सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने के लिए लगाई गई पुनर्विचार याचिकाओं पर आज सुनवाई होगी। 17 अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से मना कर दिया था।

कोर्ट ने कहा था- कानून बनाना संसद का काम है। कोर्ट का काम उसका पालन कराना है। अब इस पर 13 पुनर्विचार याचिकाएं लगाई गई हैं। इन पर न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ अपने चैंबर में सुनवाई करेगी।

CJI ने मांग खारिज करते हुए कहा था- संसद कानून बना सकता है

17 अक्टूबर 2023 को 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि कोर्ट स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव नहीं कर सकता। कोर्ट सिर्फ कानून की व्याख्या कर उसे लागू करा सकता है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं, यह तय करना संसद का काम है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस रविंद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। जस्टिस हिमा कोहली को छोड़कर फैसला चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस कौल, जस्टिस भट और जस्टिस नरसिम्हा ने बारी-बारी से फैसला सुनाया था।

CJI ने सबसे पहले कहा कि इस मामले में 4 जजमेंट हैं। एक जजमेंट मेरी तरफ से है, एक जस्टिस कौल, एक जस्टिस भट और जस्टिस नरसिम्हा की तरफ से है। इसमें से एक डिग्री सहमति की है और एक डिग्री असहमति की है कि हमें किस हद तक जाना होगा।

होमोसेक्शुअलिटी सिर्फ अर्बन एरिया तक सीमित नहीं’ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘होमोसेक्शुअलिटी या क्वीरनेस सिर्फ अर्बन इलीट क्लास तक सीमित नहीं है। ये सिर्फ अंग्रेजी बोलने वाले और अच्छी जॉब करने वाले व्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि गांवों में खेती करने वाली महिलाएं भी क्वीर हो सकती हैं। ऐसा सोचना कि क्वीर लोग सिर्फ अर्बन या इलीट क्लासेस में ही होते हैं, ये बाकियों को मिटाने जैसा है।’

‘शहरों में रहने वाले सभी लोगों को क्वीर नहीं कहा जा सकता है। क्वीरनेस किसी की जाति या क्लास या सोशल-इकोनॉमिक स्टेटस पर निर्भर नहीं करता। ये कहना भी गलत है कि शादी एक स्थायी और कभी न बदलने वाला संस्थान है। विधानपालिका कई एक्ट्स के जरिए विवाह के कानून में कई सुधार ला चुकी है।’

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा- समलैंगिक लोगों के अधिकार के लिए एक कमेटी बनाए केंद्र सरकार समलैंगिक लोगों के अधिकार के लिए एक कमेटी बनाए। यह कमेटी राशन कार्ड में समलैंगिक जोड़ों को परिवार के रूप में शामिल करने, समलैंगिक जोड़ों को संयुक्त बैंक खातों के लिए नामांकन करने, पेंशन, ग्रेच्युटी आदि पर विचार करेगी। समिति की रिपोर्ट को केंद्र सरकार के स्तर पर देखा जाएगा।

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