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गोरखपुर नगर निगम ने शहर की साहित्यिक विरासत को नई पहचान देने के लिए एक अनूठी पहल की है. बेतियाहाता स्थित मुंशी प्रेमचंद पार्क को अब “साहित्य पार्क” के रूप में विकसित किया जाएगा. यह पार्क न केवल कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद बल्कि शायर फिराक गोरखपुरी की यादों को भी सहेजने का केंद्र बनेगा.

साहित्यिक रचनाओं को मिलेगा डिजिटल रूप  

पार्क को आधुनिक तकनीक से सुसज्जित किया जाएगा, जिसमें मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं और उनके पात्रों को डिजिटल माध्यम से जीवंत बनाया जाएगा. यहां आने वाले लोग प्रेमचंद की कहानियों को सुन और देख सकेंगे, जैसे ‘गोदान’ और ‘कफन’ के पात्र आपके सामने जीवंत हो उठें. यह पहल खासकर युवा पीढ़ी को साहित्य और संस्कृति से जोड़ने के लिए की जा रही है.

दूसरा साहित्य पार्क महेसरा में होगा  

गोरखपुर नगर निगम सोनौली रोड पर महेसरा क्षेत्र में एक और साहित्य पार्क बनाने की योजना पर काम कर रहा है. इस पार्क में किसी अन्य प्रसिद्ध साहित्यकार की रचनाओं और विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा. जमीन चिन्हित करने का काम तेजी से चल रहा है. मुंशी प्रेमचंद ने 1916 से 1921 के बीच गोरखपुर में रहकर ‘ईदगाह’, ‘नमक का दरोगा’, और ‘पूस की रात’ जैसी कालजयी रचनाएं लिखीं. यह साहित्य पार्क उनके साहित्यिक योगदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण जरिया बनेगा.

साहित्यिक धरोहरों को बचाने का अनोखा प्रयास

मुख्य अभियंता संजय चौहान ने जानकारी दी कि मुंशी प्रेमचंद पार्क को साहित्यिक थीम पर सजाने का काम शुरू हो चुका है. इस पार्क में बैठने की जगह, साहित्यिक पुस्तकों का डिस्प्ले, और डिजिटल प्रोजेक्शन जैसी सुविधाएं शामिल होंगी. यह पहल गोरखपुर को साहित्य और सांस्कृतिक गतिविधियों के एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करेगी. “साहित्य पार्क” न केवल शहरवासियों को गर्व महसूस कराएगा, बल्कि देशभर के साहित्य प्रेमियों को भी आकर्षित करेगा. गोरखपुर के “साहित्य पार्क” के जरिए साहित्य और तकनीक का यह संगम आने वाले समय में शहर की पहचान को और मजबूत करेगा.

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