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सेना और असम राइफल्स के जवान खदान में ट्रॉली के जरिए उतरे हैं, ताकि मजदूरों को बाहर निकाल सकें।
असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में 300 फीट गहरी कोयला खदान में सोमवार को अचानक पानी भर गया था, जिससे 15 मजदूर अंदर फंस गए। अब इन मजदूरों के रेस्क्यू में सेना को लगाया गया है। NDRF और SDRF की टीम भी मदद कर रही है। असम के माइनिंग मिनिस्टर कौशिक राय घटनास्थल पर मौजूद हैं।
भारतीय सेना और असम राइफल्स के गोताखोर और मेडिकल टीम के साथ इंजीनियर्स टास्क फोर्स रेस्क्यू में शामिल हो गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये रैट माइनर्स की खदान है। इसमें 100 फीट तक पानी भर गया है, जिसे दो मोटर की मदद से निकाला जा रहा है।
रेस्क्यू ऑपरेशन की 3 तस्वीरें…
सेना और असम राइफल्स के गोताखोरों ने ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर खदान में जाने की तैयारी की।
खदान में 100 फीट तक भरे पानी को निकालने के लिए 2 मोटर लगाई गईं हैं।
गोताखोरों को ट्रॉली के जरिए खदान में रेस्क्यू के लिए भेजा गया है।
प्रत्यक्षदर्शी बोले- अचानक पानी आया, निकलने का मौका नहीं मिला
दीमा हसाओ जिले के एसपी मयंक झा ने बताया कि खदान में कई मजदूरों के फंसे होने की आशंका है। प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के मुताबिक अचानक पानी आया, जिसके कारण मजदूर खदान से बाहर नहीं निकल पाए। इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम, लोकल अधिकारियों और माइनिंग एक्सपर्ट की टीमों के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। खदान में फंसे मजदूरों का पता लगाया जा रहा है।
रैट होल माइनिंग क्या है?
रैट का मतलब है चूहा, होल का मतलब है छेद और माइनिंग मतलब खुदाई। साफ है कि छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करना। इसमें पतले से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है और पोल बनाकर धीरे-धीरे छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया जाता है। हाथ से ही मलबे को बाहर निकाला जाता है।
रैट होल माइनिंग नाम की प्रोसेस का इस्तेमाल आम तौर पर कोयले की माइनिंग में होता रहा है। झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्व में रैट होल माइनिंग होती है, लेकिन रैट होल माइनिंग काफी खतरनाक काम है, इसलिए इसे कई बार बैन भी किया जा चुका है।
रैट माइनिंग पर 2014 में NGT ने लगाया था बैन
रैट माइनिंग कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों ने ईजाद की थी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, यानी NGT ने 2014 में इस पर बैन लगा दिया था। एक्सपर्ट्स ने इसे अवैज्ञानिक तरीका बताया था। हालांकि विशेष परिस्थितियों, यानी रेस्क्यू ऑपरेशन में रैट माइनिंग पर प्रतिबंध नहीं है।
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