मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के HOD प्रो. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि वो लगभग 20 सालों से छात्रों को पढ़ाना और रिसर्च से मिली तकनीकियों को किसानों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. हरी मिर्च रोजगार का एक अच्छा साधन है. यह तुरंत मुनाफा देने वाली फसल है.
जड़ सड़न: हरे मिर्च का पौधा जब एक महीने का हो जाता है, तो उसमें जड़ सड़ने की समस्या होती है. इसमें पौधा गिर जाता है. इसके लिए कार्बेंडाजिम यानी फंफूदनाशी दवाओं का इस्तेमाल करें.
पर्ण कुंजन/गुरचहवा रोग: यह एक गंभीर बीमारी है. इसमें पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं. यह फफूंद और विषाणु दोनों के कारण होती है. इसे गुरचहवा रोग भी बोलते हैं. इस स्थिति में कीटनाशी दवाओं का इस्तेमाल करें. अगर पत्तियों में सफेद दाग है तो फफूंदनाशी का प्रयोग करें.
उकठा रोग: यह एक चर्चित रोग है. यह पूरी मिर्च की खेती को बर्बाद कर सकता है. यह रोग बैक्टीरिया और फफूंद दोनों के कारण होता है. इससे बचने के लिए पौधे को उपचारित करके ही बुवाई करें. कीट की शुरुआती दौर में नीमतेल 5 ml को एक लीटर पानी में घोलकर बनाकर छिड़काव करें.
धनिया और मेथी खेत के लिए वरदान है. यह मिर्च की खेती में लगने वाले तमाम विषाणु और जीवाणुओं को भी नियंत्रित कर देता है. इसलिए, मिर्च की खेती में धनिया और मेथी जरूर लगाएं.
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