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अजमेर दरगाह विवाद के बीच पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से आज (शनिवार) यहां चादर पेश की जाएगी। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री तथा संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू उनकी चादर लेकर अजमेर आएंगे। इस खास मौके पर मंत्री रिजिजू दरगाह के वेब पोर्टल और जायरीनों के

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शहर काजी मौलाना तौसीफ अहमद सिद्दीकी और कमेटी के सदस्यों ने बुधवार रात (1 जनवरी) को रजब का चांद दिखाई देने के साथ ही उर्स का ऐलान किया था। इसके बाद बड़े पीर साहब की पहाड़ी से तोप के गोले दागे गए थे। इस दिन सुबह ही जायरीनों के लिए जन्नती दरवाजा खोल दिया गया था। दूसरे दिन 2 जनवरी की सुबह केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार और बॉलीवुड की तरफ से चादर पेश की गई थी।

अजमेर दरगाह में 813वें उर्स के मौके पर जन्नती दरवाजा जायरीनों (श्रद्धालुओं) के लिए खोल दिया गया। सामान्य दिनों में यह दरवाजा बंद रहता है।

जयपुर से सड़क मार्ग से आएंगे अजमेर मंत्री रिजिजू विमान से जयपुर हवाई अड्डे पहुंचेंगे। वहां से सड़क मार्ग से अजमेर आएंगे। सुबह 11 बजे के करीब दरगाह शरीफ पर चादर पेश करेंगे।

वेब पोर्टल पर होगा गरीब नवाज का जीवन परिचय दरगाह शरीफ के वेब पोर्टल पर अकीदतमंदों को ख्वाजा साहब के जीवन परिचय के साथ उनके बारे में पूरी जानकारी मिलेगी। दरगार से संबंधित हर छोटी-बड़ी सुविधाओं के बारे में जानने के लिए आपको भटकना नहीं होगा। इस पोर्टल पर गेस्ट हाउस बुकिंग से लेकर अन्य सुविधाओं के बारे में आप जान सकेंगे। ऑनलाइन बुकिंग भी करा सकेंगे। इसके अलावा देश-विदेश में बैठे लोग दरगाह शरीफ का सीधा प्रसारण भी देख सकेंगे।

उमर अब्दुल्ला बोले थे- दबाव में न आएं पीएम जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा था- ख्वाजा गरीब नवाज से कई समुदायों की भावनाएं जुड़ी हैं। उम्मीद है- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे और अजमेर दरगाह पर चादर भेजने की परंपरा जारी रखेंगे। अजमेर दरगाह में सिर्फ एक धर्म के लोग ही नहीं जाते हैं।

दरगाह विवाद को लेकर सुनवाई 24 जनवरी अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने याचिका दायर की थी। अजमेर सिविल कोर्ट में लगाई गई याचिका को कोर्ट ने सुनने योग्य मानते हुए सुनवाई की अगली तारीख 20 दिसंबर 2024 तय की थी। इसमें मजिस्ट्रेट मनमोहन चंदेल ने याचिकाकर्ता और दूसरे पक्षों के वकीलों की दलील सुनकर अगली सुनवाई की तारीख 24 जनवरी 2025 तय की है। गुप्ता ने प्रधानमंत्री की ओर से अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर भेजने के खिलाफ भी कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।

याचिकाकर्ता का दावा- तथ्य साबित करते हैं कि दरगाह की जगह पहले मंदिर था हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता का कहना है कि 2 साल की रिसर्च और रिटायर्ड जज हरबिलास शारदा की किताब में दिए गए तथ्यों के आधार पर याचिका दायर की है। किताब में इसका जिक्र है कि यहां ब्राह्मण दंपती रहते थे और दरगाह स्थल पर बने महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना करते थे। इसके अलावा कई अन्य तथ्य हैं, जो साबित करते हैं कि दरगाह से पहले यहां शिव मंदिर रहा था।

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के दावों के तीन आधार…

दरवाजों की बनावट व नक्काशी : दरगाह में मौजूद बुलंद दरवाजे की बनावट हिंदू मंदिरों के दरवाजे की तरह है। नक्काशी को देखकर भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पहले हिंदू मंदिर रहा होगा।

ऊपरी स्ट्रक्चर : दरगाह के ऊपरी स्ट्रक्चर देखेंगे तो यहां भी हिंदू मंदिरों के अवशेष जैसी चीजें दिखती हैं। गुम्बदों को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी हिंदू मंदिर को तोड़कर यहां दरगाह का निर्माण करवाया गया है।

पानी और झरने : जहां-जहां शिव मंदिर हैं, वहां पानी और झरने जरूर होते हैं। यहां (अजमेर दरगाह) भी ऐसा ही है।

वंशज बोले- सस्ती मानसिकता के चलते ऐसी बातें कर रहे अजमेर दरगाह प्रमुख उत्तराधिकारी और ख्वाजा साहब के वंशज नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा था- कुछ लोग सस्ती मानसिकता के चलते ऐसी बातें कर रहे हैं। कब तक ऐसा चलता रहेगा। आए दिन हर मस्जिद-दरगाह में मंदिर होने का दावा किया जा रहा है। ऐसा कानून आना चाहिए कि इस तरह की बातें ना की जाएं। ये सारे दावे झूठे और निराधार हैं।

हरबिलास शारदा की किताब की बात छोड़ दें तो क्या 800 साल पुराने इतिहास को नहीं नकारा जा सकता है। यहां हिंदू राजाओं ने अकीदत की है। अंदर जो चांदी (42,961 तोला) का कटहरा है वो जयपुर महाराज का चढ़ाया हुआ है। ये सब झूठी बातें हैं। भारत सरकार में पहले ही 1950 में जस्टिस गुलाम हसन की कमेटी क्लीन चिट दे चुकी है। इसके तहत दरगाह की एक-एक इमारत की जांच की जा चुकी है।

गहलोत ने BJP, RSS और PM पर उठाए थे सवाल राजस्थान के पूर्व CM अशोक गहलोत ने अजमेर दरगाह परिसर में शिव मं​दिर ​होने के दावे से उठे विवाद को लेकर BJP, RSS और PM नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाए थे। गहलोत ने कहा था- 15 अगस्त 1947 तक बने जो भी धार्मिक स्थान जिस स्थिति में हैं, वे उसी में रहेंगे, यह कानून बना हुआ है। उन पर सवाल उठाना गलत है।

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