कोटपूतली में 5 दिन से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में टीम अब भी चेतना (3) तक नहीं पहुंच सकी है। पाइलिंग मशीन से बोरवेल के पैरलल करीब 170 फीट का गड्ढा खोदा गया है।
बताया जा रहा है कि रैट माइनर्स पाइप के जरिए इस गड्ढे में उतरेंगे। इसके बाद वे गड्ढे से बोरवेल तक 20 फीट की सुरंग खोदेंगे। इस पूरे ऑपरेशन में जिला प्रशासन के अब तक सभी प्लान फेल रहे हैं।
किरतपुरा के बड़ियाली की ढाणी की चेतना सोमवार (23 दिसंबर) को 700 फीट गहरे बोरवेल में 150 फीट पर फंस गई थी। देसी जुगाड़ से उसे रेस्क्यू टीमें केवल 30 फीट ऊपर ला सकी थीं।
बीते तीन दिन से मासूम 120 फीट की गहराई में अटकी है। करीब 96 घंटे से भूखी-प्यासी चेतना की कंडीशन को लेकर अधिकारी चुप हैं। वो कोई मूवमेंट नहीं कर रही है।
डेली नए प्लान, लेकिन फेल रहा है प्रशासन
मंगलवार (24 दिसंबर) शाम तक चार देसी जुगाड़ फेल हो जाने के बाद आधुनिक मशीनों से खुदाई शुरू की गई। रेस्क्यू में देरी और लापरवाही के आरोपों से घिरे अधिकारियों की बातों से परिवार व ग्रामीणों में भी नाराजगी है। नया गड्ढा खोदने के बाद अब उसमें पाइप के जरिए रैट माइनर्स को उतारा जाएगा। फिर वे एक सुरंग खोदकर चेतना तक पहुंचने का प्रयास करेंगे। इधर बच्ची की मां बेहोशी की हालत में है। परिवार के दूसरे मेंबर्स का भी रो-रोकर बुरा हाल है।
अब देखिए रेस्क्यू से जुड़े PHOTOS…
चेतना की सलामती के लिए आसपास के गांवों में भी लोग प्रार्थना कर रहे हैं। एक बालाजी मंदिर में गुरुवार रात भर पूजा-अर्चना की गई।
शुक्रवार सुबह तक भी बोरवेल में रेस्क्यू टीमों को उतारा नहीं जा सका है। अब भी पाइपों को जोड़ने का काम कचल रहा है। हल्की बारिश से भी परेशानी हो रही है।
गुरुवार रात 10:45 बजे हल्की बूंदाबादी होने के बाद रेस्क्यू टीम की ओर से ट्यूबवेल को ढक दिया गया।
क्रेन की मदद से 170 फीट गहरे गड्ढे में पाइप को लगाया गया। गुरुवार देर रात तक ये ही काम चलता रहा।
वेल्डिंग की मदद से पाइपों को जोड़ा जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही चेतना के बाहर आने की उम्मीद है।
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