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मिर्जापुर: मुगलकाल में ईरान से मिर्जापुर आई कालीन का कारोबार विश्वभर में फैला हुआ है. हस्तनिर्मित होने के साथ ही बेहतर क्वालिटी होने की वजह से इसकी मांग हमेशा रहती है. कालीन और दरी में सबसे ज्यादा डिमांड पंजा दरी का है. डिजाइन के साथ ही रुचिकर और वजन कम होने की वजह से लोगों की पहली पसंद है. इसे आसानी से महज एक व्यक्ति इधर से उधर ले जा सकता है और आसानी से धूल भी सकते हैं. वहीं, अन्य कालीन का वजन ज्यादा होता है. वहीं, दाम भी महंगा होता है.

विलेज विवर कंपनी के मालिक ने बताया

विलेज विवर कंपनी के मालिक विक्रम जैन ने लोकल 18 ने बातचीत में बताया कि मिर्जापुर क्षेत्र में आज से नहीं 50 सालों से सबसे ज्यादा पंजा दरी का प्रोडक्शन होता है. खासकर, मिर्ज़ापुर में तैयार पंजा दरी की डिमांड सबसे अधिक है. हैंड नॉटेड कालीन में एक इंच की पाइल होती है. जबकि पंजा दरी में पाइल नहीं होती है. पंजा दरी को हैंड नॉटेड कालीन की तरह बुना जाता है. यह विश्वभर में प्रसिद्ध है.

बता दें कि पंजा दरी में सभी डिजाइन उपलब्ध होती है. आसानी से सफाई के साथ ही वजन कम होने से इधर-उधर ले जाने में कोई दिक्कत नहीं है. अमेरिका, ब्रिटेन, चिली, जापान, रूस सहित अन्य देशों में इसकी डिमांड है. यूरोप में सबसे इसकी मांग रहती है, क्योकि वहां पर छोटी कालीन लोगों को ज्यादा पसंद है.

साइज पर निर्भर रहता है दाम

विक्रम जैन ने बताया कि पंजा दरी का दाम साइज पर निर्भर रहता है. कलर के साथ ही हर देश में अलग-अलग डिजाइन के अनुसार इसे तैयार किया जाता है. एक हजार से 10 हजार मीटर तक इसका दाम रहता है. कॉटन पर पंजा दरी की बुनाई होती है. कारीगर गट्टी बांधकर बुनाई करते हैं. कुशल कारीगर ही इसे तैयार कर सकते हैं. भदोही में कार्पेट तैयार किया जाता है. जबकि मिर्जापुर की पहचान पंजा कालीन के लिए हैं.

Tags: Hindi news, Local18, Mirzapur news, UP news

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