यूपी के लखीमपुर जिले के अर्जुन पुरवा के रहने वाले युवा किसान शिवम पिछले 5 वर्षों से लगातार सब्जी की खेती करते आ रहे हैं. किसान ने जानकारी देते हुए बताया कि सब्जी की खेती में उन्हें अधिक मुनाफा हो रहा है. वो कहते हैं कि सब्जी की खेती करने के लिए अधिक रुपए की आवश्यकता नहीं होती है और कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है .
शलजम की खेती कर रहे किसान
शलजम की फसल खासतौर से सर्दी के मौसम की फसल है. इसको खाने में शामिल करने से हार्ट डिजीज, ब्लडप्रेशर और सूजन जैसी बीमारी के इलाज में फायदा मिलता है. इसका यूज आप सलाद में भी कर सकते हैं. शलजम की फसल 40 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है. शलजम की डिमांड बाजारों में सर्दियों के मौसम में अधिक रहती है क्योंकि कई बीमारियों में शलजम फायदेमंद होता है.
मार्केट में मिलती है अच्छी कीमत
किसान ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताया कि बाजारों में ₹40 प्रति किलो के हिसाब से बिक्री हो रही है. शलजम की खेती करने से किसान शिवम को अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है. इसको बेचने के लिए किसानों को बिल्कुल भी परेशानी नहीं होती है.
कैसी मिट्टी की होती है जरूरत?
शलजम की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी बलुई, दोमट या रेतीली होती है. ये मिट्टी शलजम की जड़ों को अच्छा समर्थन प्रदान करती है, जिससे फसल की वृद्धि और गुणवत्ता में सुधार होता है. खेत की तैयारी के दौरान गहरी जुताई अत्यंत आवश्यक है. इसके बाद बीज की बुवाई पंक्तियों में 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर की जाती है, जिससे पौधों को पर्याप्त जगह मिलती है.
Tags: Agriculture, Local18
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